February 2023 - Dr.Brieshkumar Chandrarav

Saturday, February 25, 2023

Welcome spring.
February 25, 2023 2 Comments

 HELLO FRIENDS....THE SPRING IS COME.

The Nature teach to us every time and every where !!
प्रकृति को जी जान से महसूस करने की ऋतु... वसंत !!

The spring


आनंद विश्व सहेलगाह अनोखे विचार संजोए आपके मन-मस्तिष्क और हृदय को आनंदक्षण देने को प्रयत्नवंत हैं। मैं मेरा प्रकृतिगत कार्य कर रहा हूँ इससे मुझे आनंद मिलता हैं। मैं आनंदमन को शब्दांकित- विचारांकित करके बांटने का कर्म करता हूँ। संवेदन से भरें विश्व में किसी न किसी को विचार से आनंद महसूस हो !!

वसंत छा जाने को तैयार हैं। संसार को नयेपन से संवृत करने..! प्रकृति की क्रियाशीलता से हम अवगत हैं। महान ईश्वर की सृष्टि में हम कुछ भी बदलाव नहीं कर सकते। उसे महसूस करना हमारें बस में हैं। प्रकृति के सामने बेबस नहीं बेधडक बनना चाहिए। ईश्वर की प्रकृतिगत सब करामात मेरे लिए ही हैं। तब वसंत की खुशबु...वसंत के रंग... वसंत की मदहोशी महसूस हो सकती हैं।
वृक्ष की डाल पर ही वसंत की आहट नहीं हैं। धरती पर बहतें पवन में, सूरज की किरनों में, निरव रात की शीतलता में, फूलों की मादक खुशबों में, समग्र प्राणियों के भीतर बहते उत्साह में...!!  नयेपन से धरती को तरबतर करने नियंता की उत्कृष्टता का उत्सव ही वसंत हैं। गीताकार योगेश्वर कहते हैं...अहं ऋतुनां कुसुमाकर:।। 35।। (भ.गीता.अध्याय१० विभूतियोग) स्वयं प्रेममय ईश्वर वसंत स्वरूप हैं। इसकी जानकारी एक बात हैं लेकिन प्रेमबीज को अंकुरित करने वाली वसंत की अनुभूति ही मूलतः ईश्वरीय कमाल हैं।

मनुष्य के रुप में अनहद आनंद में जीने का एकमात्र तरीका का प्रेम ही हैं। वसंत जीवंत प्रेम की ऋतु हैं। वसंत पारस्परिक सख्य की ऋतु हैं। वसंत मादक खुशबू की ऋतु हैं। वसंत नयेपन की बधाई हैं। वसंत उन्माद हैं। वसंत उजाश हैं, वसंत नया करने की उम्मीद हैं। वसंत नये सपनों को  आकार देने वाली प्रेरणा हैं। वसंत जीने का तरीका सिखाने वाली शिक्षा हैं। वसंत जीवन हैं, वसंत प्रेममय ह्रदय की धडकन हैं। 
बस बहुत हो गया क्योंकि वसंत पढने से ज्यादा महसूसी हैं,मदहोशी हैं..! आनंदविश्व सहेलगाह में एक विचार-वसंतोत्सव !!

HAPPY SPRING....by your ThoughtBird.
Dr.Brijeshkumar Chandrarav
Gandhinagar, Gujarat
INDIA .09428312234
dr.brij59@gmail.com 
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Tuesday, February 21, 2023

The Language.
February 21, 2023 5 Comments

 Mother Language care us same as our Mother.

मातृभाषा कैसे हमें पोषित करती हैं ?



मनुष्य का सबसे बेहतरीन करतब भाषा हैं। अन्य प्राणीओं की तुलना में हमारे पास विचार प्रकट करने का जरिया "भाषा" हैं। ईस खोज के कारण ईश्वर की प्राकृतिक सृष्टि में हमारा उत्कृष्ट प्रदर्शन रहा हैं। हमारी कल्पना को हमारे Emotions को मूर्तिमंत करने व प्रकट करने का कौशल हमें मातृभाषा ने दिया हैं।

एक बच्चा इस धरती पर जन्म लेता है तब से वो भाषा के संपर्क में आता हैं। शारीरिक विकास के लिए माँ का दूध जरुरी हैं वैसे मानसिक विकास के लिए मातृभाषा हैं। जब हमने पहला शब्द बोला होगा तब परिवार में खुशिय़ों का माहोल छा गया होगा। सभी का ये अनुभव हैं। मुझे भाषा सिखाने के लिए बडे भी छोटे बन जाते थे। खुशी से पागल हो जाते थे। ये मातृभाषा की कमाल हैं। हमारी सक्षमता के लिए मातृभाषा बीज रूप हैं। आज हम जो आकारित हैं... हमारी भाषिक क्षमताएं, हमारी ज्ञान संपदा मातृभाषा से विस्तरीत हुई हैं।
मानव सभ्यता का जो भी विकास हुआ ये मातृभाषा के कारण ही हुआ हैं। आज 21 फरवरी विश्व मातृभाषा दिन के रुप में मनाई जाती हैं। हमारे गुजरात में ग्रंथ का अद्भुत स्वाभिमान सिद्धराज जयसिंह और आचार्य हेमचंद्राचार्यजी ने प्रकट किया था। आज भी उस दिव्य घटना का जिक्र हो रहा हैं। 

मातृभाषा को महसूस करना हैं। हमें भाषा में जीना हैं। हमें विकसित भी मातृभाषा की गोद में ही होना हैं। अपनी ही भाषा को प्रेम करना हैं। भाषा से ही बौद्धिक  प्रकटता के आशीर्वाद प्राप्त करने हैं।

भाषा चिरंतन हैं और जीवंत भी हैं। युगों से मानव सभ्यता की सांस्कृतिक धरोहर को संजोए हुए हमारी मातृभाषा कालजयी अस्तित्व से अडिग हैं। "आनंद विश्व सहेलगाह" भी भाषा के जरिए वैचारिक एकत्व के लिए प्रयत्नवंत हैं। 
सनातन-शाश्वत सत्य विचार की बात रखकर कर्तृत्व आनंद मैं आपका ThoughtBird Dr.Brijeshkumar 😊
09428312234
Gandhinagar, Gujarat
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dr.brij59@gmail.com. 

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Saturday, February 18, 2023

The Lord SHIVA.
February 18, 2023 2 Comments

 ADI-ANANT SHIVA is The Eternal and Internal STRENGTH.

ऊँ पूर्णमद: पूर्णमिदं पूर्णात पूर्णमुदच्यते ।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ।।

The shiva

ये पूर्ण है। ये विश्व पूर्ण हैं। पूर्ण में सें ही पूर्ण आकारित हैं। पूर्ण में से पूर्ण निकालने पर भी पूर्ण ही शेष रहेगा। शिव ही पूर्णत्व धारण किए हुए हैं। विश्व की श्रेष्ठतम आकारितता शिवसंकल्प से ही संभव हैं।

शिव आदि हैं, शिव अनंत हैं, शिव शाश्वत और ब्रह्माण्डीय शक्ति हैं। शिव ध्यान हैं। शिव संकल्प हैं। शिव ही शुभत्व हैं। शिव नृत्य हैं, शिव संगीत हैं।शिव तपस्या हैं। शिव ही आनंद हैं। परमानन्द स्वरुपा शिव ही ब्रह्माण्ड के आदिनाथ हैं। आदि-अंत की एकत्वी संपूर्णता शिव ही हैं।

महान ईश्वर की दुनिया का कालक्रमिक रहस्य शिव हैं। उनकी अनंत सृष्टि का भेद आज भी अक्षुण्ण रहा हैं। अभेद- अविनाशी शिव अनुभूति व  आनंदपूर्वक की आराधना हैं। अप्रतिम श्रद्धानंद ही शिवसंकल्प हैं। मनुष्य जीवन के भीतरी परिशोधन की कला शिव से ही संभव हैं।
अनादिकाल से ईश्वरीय संभावनाएँ और निहित तत्वों के बारे में काफी चर्चाएं होती रही हैं। विश्व की सभी संस्कृतियाँ विद्यमान सृष्टि और उसके कर्ता के बारें में संशोधित हरकतों से आज भी प्रयत्नवंत रही हैं। सबके प्रयास से मानव सृष्टि को बहतरीन मार्ग प्रशस्त हुए हैं।

ईश्वर की अदृश्य समष्टि में मनुष्य जीवन का आनंद समाहित हैं। ईस धरातल पर शिवध्यान एकमात्र अद्भुत-अदम्य मार्ग हैं। शिव ध्यान मदहोशी हैं। शिव ध्यान एकांत की पराकाष्ठा हैं। शिव ध्यान परमानन्द का सर्वोत्तम शिखर है। शिव ध्यान जीवन की अद्भुत आकृति का आधार हैं। ईश्वर को सहज ही ऐसी आकृतिओं से अप्रतिम अनुराग होगा। ईश्वर की निर्मिति कालक्रमिक अखंड आनंद की प्राप्ति करें... ये कालपुरुष शिव ही हैं।

शिवोअहं-शिवोअहं की आध्यात्मिक ऊर्जा मनुष्य जीवन की आत्मिक ऊर्जा की आवाज बनकर अनंत आनंद में परावर्तित हो यही शिव संकल्प हैं। विश्व कई शुभसंकल्प शक्तिओं से आवृत्त बनें। विश्व शिव की ध्यानानंद  अनुभूति से संवृत बनें। यही संकल्पना के साथ हमारी आनंदविश्व सहेलगाह अनंत खूशीयों से संतृप्त बनें ऐसी शुभकामना...!!

आपका ThoughtBird डॉ.ब्रजेशकुमार
Gandhinagar,Gujarat INDIA
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Sunday, February 12, 2023

Voice of soul.
February 12, 20231 Comments

 Beliveness in GOD.

The mountain of Spirituality.

Beliveness in GOD


ईश्वरीय मान्यता के बारें में अनेकानेक मत मतांतर स्थापित हो चुके हैं। इसके बारें में कहना ठीक नहीं हैं। जिसकी जैसी मान्यता वैसे उनका जीवनधर्म। विश्व विचार अंतरंगता से भरपूर हैं। इसकी चर्चा में पडे बिना मैं सर्व सामान्य  भीतरी मान्यता की बात करता हूं। 

धरातल पर मूर्त रूप से ईश्वर प्रकृतिगत तत्त्वों से मौजूद है। सारे विश्व की जीवसृष्टी का सख्या-साक्ष अनुबंध प्रकृति से ही हैं। इसलिए इतनी गहराई से हम कहते हैं प्रकृति के पंचतत्व से हमारा सृजन और इनमें ही हमारा विसर्जन हैं। सृजन-विघटन दोंनो प्रकृति के महत्वपूर्ण पहलू हैं। इनमें हमारी सर्वसामान्य मान्यता एक ही हैं ना ?! मनुष्य के रुप में अपने खुद के जीवन को हम सहज ढांचागत प्रणालीबद्ध करते हैं। लेकिन वो प्रणाली ईश्वर की अद्भुत प्राकृतिक संगिती में हैं क्या ? उसकी आकलित रीति व्यक्तिगत रूप से हम पर ही निर्भर हैं। हम जितने प्रकृतिमय होते है उतना सहजता से अपने को ढाल सकते हैं।

महान ईश्वर ने सभी ईन्सानो में सत्य परख की शक्ति समानता से स्थापित की हैं। जिसको हम अंतरनाद कहते हैं,अंतर्मन भी या ह्रदय की आवाज भी..!! इसी कारण सर्व सामान्य विचार पर हमारी सहज सहमति हो जाती हैं। लेकिन कुछ विचारों पर अप्राकृतिक रूप से अडिग हो जाना विश्व की कल्याणक गति में समस्या रुप बनेगा। वैचारिक आक्रमणों से सब भयभीत हैं, हतप्रभ हैं। ईश्वर की सहमति वाली मान्यता में सम्यक दृष्टिकोण सहज निर्मित होगा। अन्य को परास्त करने की पैंतराबाजी से जो पीड़ा उत्पन्न होगी वो अकल्प-असह्य  होगी। शायद अनुभवशीलो की वैचारिक गहराई इनमें ज्यादा होगी।

आनंदविश्व सहेलगाह में सर्व सामान्य जीवन की आत्मिक आवाज की बात रखकर खुशी मिलती हैं। ईश्वर को हरदम महसूस करना भी अध्यात्मिक कदम ही हैं। प्रकृति में विश्वसनीय होकर आनंदित होना भी आध्यात्म मार्ग हैं। ये सबको प्रेम करने का अद्भुत मार्ग हैं। आनंद विश्व सहेलगाह के माध्यम से ऐसे कुछ शब्द-विचार सहजता से आपके लिए नम्रतापूर्वक 🐿

🐣 Your ThoughtBird
🐧 Dr.Brijeshkumar, Gandhinagar.
Gujarat INDIA
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0948312234. 
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Friday, February 10, 2023

The live life.
February 10, 2023 2 Comments



 THE LIFE LIVE with Emotions.

आनंद ही जीवन का आधार हैं।
लेकिन संवेदना के बिना आनंद प्रकट हो ही नहीं सकता।


जिंदगी प्रस्तुत होने के बावजूद अप्रस्तुत भी हैं। जीवंत Live होने पर भी जिंदगी में होने वाली घटनाओं से हमसब बेखबर ही हैं। इसलिए जीवंतता को कैसे समझा जाए ?! सभी के लिए सुबह होती हैं। रात होती हैं। निश्चेतन अवस्था में भी जिंदगी चलती ही जा रही हैं। दिन-महिने-साल गुजरते हैं उनके साथ हमारी जिंदग़ी भी..!!

जीवन के बहाव में आनंद विशेषतः कारणभूत हैं। इसके बिना तो कई जिंदगियां बिना श्वास थम जाती हैं। या श्वास के साथ भी थमी हुर्ई लगती हैं। आज हम जिंदगी के आनंद क्षेत्र की बात करते हैं। मैं एक विचार रखता हूँ। मेरे साथ आप अपने भीतर सोचिए। आनंद के लिए कुदरत ने जो विश्व आकारित किया है, वो पर्याप्त हैं। हमें कुदरत में जीने की सोच कायम करनी पड़ेगी। लेकिन ये कुदरत- प्रकृति का पारस्परिक नाता मजबूताई खो रहा हैं। हम इन्सान के साथ रहते हैं। सहजीवन की परंपरागत प्रणाली ठीक-ठाक हैं क्या ? रुक्षता से हम रह पाएग़ें- जी पाएंगे क्या ?!

जीवन आनंद के मूलरंग से, मूलमंत्र से ही जीने योग्य बन सकता हैं। आनंद के मूल में संवेदना हैं Emotions हैं। प्रकृतिगत हमारे भीतर लगाव-प्रेम-सख्य संबंध स्थापित हैं। महान ईश्वर का ये unknown software  हैं। संवेदन से ही संसार हैं। संवेदन से ही कोई वस्तु या व्यक्ती में लगाव पैदा होता हैं। मनुष्य में ममत्व ऐसे जन्म लेता हैं। अब जहां ममत्व है वहां अनायास ही आनन्द प्रकट होता हैं। और ये आनन्द ही जीवन हैं। इसके बिना जिंदगी क्या हैं ? सोच रहे हैं ना ? शायद मुझसे बेहतर जवाब आपके पास भी हो सकता हैं।

हम सब ज्यादातर बौद्धिक होते जा रहे हैं। जीवन व्यवहार्यता के लिए या ज्ञान प्राप्ति के लिए सब करामाती मंजूर हो सकती हैं। लेकिन आनंदमयता के लिए खुशियों की हर क्षण को अनुभूत करने संवेदनात्मक बनना ही होगा। संवेदना से  जिंदगी जिंदा रहेगी। हमें आनंद के साथ अनुस्यूत होकर जिंदा रहना हैं। बरसों में जिंदगी नहीं, जिंदगी में बरसों का बहना।
आनंदविश्व सहेलगाह से मैं येसे कुछ जीवनविचार से भीतरी आवाज को साज देने का प्रयास करता हूँ। संवेदन से प्रेम और प्रेम से ही आनंद...!! बौद्धिकता के लिए उम्र जरुरी हैं। संवेदन के लिए बालक जैसा होना भी पर्याप्त हैं। ईस धरा पर हमसब की बहतरीन आनंद सहेलगाह में सदा-सदा साथ...!!
आपका ThoughtBird Dr.Brijeshkumar.
09428312234
Gandhinagar,Gujarat.
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Tuesday, February 7, 2023

Drworldpeace
February 07, 20230 Comments

 आनंदविश्व सहेलगाह


महान ईश्वर की अद्भुत प्राकृतिक प्रेम और एकत्व की परिकल्पना पर आधारित वैचारिक शृंखला हैं। मैं बचपन से जो कुछ महसूस कर रहा था...साथ ही अभ्यास, कुछ नयेपन से अत्यंत जिज्ञासावश सोचते रहना, कुदरत की प्राकृतिक सौंदर्य की ममता...शायद इन सबके कारण में सिखता गया। आज कुछ सोचने की कुछ लिखने की क्षमता इन्हीं तत्त्वों से मिली हैं। ये मेरी दृढ मान्यता हैं।


Drworldpeace


"आनंदविश्व सहेलगाह" ऐसे कुछ शब्द-विचार से प्रकट हुई हैं। मैं आनंदमन हूँ मुझ से कोई आनंदविश्व सहेलगाह के लिए प्रेरित कर रहा हैं। मैं निमित्त रूप मेरा प्रकृति दत्त कर्म बजा रहा हूँ। बस यही आनंद में आपका...!!

🐣ThoughtBird 🐣
Dr.Brijeshkumar Chandrarav
 Gandhinagar.Gujarat.
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Monday, February 6, 2023

The Dreamers.
February 06, 2023 2 Comments

 The Dreamers can change the world.

I'm definitely believe and you ??

The Dreamers

आशाएं-उम्मीदें-सपनें- पागलपन ये सब एक ही दिशा में दौडने की बात करते हैं। कितना बडा विश्व और कितने सारे लोग ?!! सबके अलग सपनें और सबकी अपनी दौड, सबका अपना-अपना पागलपन !! वैसे तो पागलपन एक बिमारी कहलाती हैं। फिर भी पागलपन से ही क्रान्तियाँ हुई हैं।

महान ईश्वर की अद्भुत योजना में मनुष्य के मन-मस्तिष्क के बारें में  No Repeat Theory कायम हैं। तुंडे तुंडे मतिर्भिन्न: यानि सब अलग है। Men are unique. समय के कदमों में नित नयापन जंकृत होता रहा हैं। अचंभितता से भरी सृष्टि में हम सब इस हेरतअंदाजी से चकित हैं।

इन्हीं पृथ्वी पर कोई नए सपनें देखता हैं। उसे पूरा करने का अथक प्रयास करता हैं। किसीके सपनों की उडान त्वरा से गति पकडती हैं। कोई सपनों के पीछे बहुत भागता हैं। आखिर वो सच तो होते ही हैं। ये सपनों वाली बात सबसे टेढी होती हैं। दुनिया को समझने में, इस सृष्टि की व्यापकता को पहचानने में हम अच्छी तरह से सो नहीं पाते। और हमें अपने सपनों से दूर होना पडता हैं। वैसे तो सपनें पिछा न छोडने वाली अमीरात हैं। निंद में ओर जागतिक स्थिति में भी वो हमारे साथ ही रहते हैं। एक बार सपनें को बारीकी से संवारना होगा। ममत्व की पराकाष्ठा से संभालना होगा। व्यक्तिगत रूप से कोई लाभ न होने के बावजूद सपनें को सजाना और सहज कर्म समज कर सृष्टि में समर्पित करना होगा।
इस दुनिया में कई सपनों के सौदागर आए हैं, पागलपन से जीवनभर सपनों को सच करने की चाहत रखकर दमदार जी कर चले गए। आज भी उनके सपनों की खैरात से हम खुश हैं।

आनंदविश्व सहेलगाह ऐसे सपनों में जीने वाले लोगों से संवितरित होना चाहता हैं। विचार के बीज से संसार को नई अवधारणा दे कर, उस दिशा में चलने वाले लोंगों के काफिले को आनंद का अमर्याद खजाना मिले। वो आनंदमन की अविस्मरणीय पलों के साक्षी बनते रहे। महान ईश्वर क्या यहीं चाहते होंगे क्या ? 
बिल्कुल मेरा विश्वास बरकरार हैं...क्योंकि ईश्वर ही प्रेमस्रष्टा हैं।
Your ThoughtBird Dr.Brijeshkumar
Gandhinagar, Gujarat.
INDIA 09428312234.
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Who is soulmate ?

  'आत्मसाथी' एक शब्द से उपर हैं !  जीवन सफर का उत्कृष्ठ जुड़ाव व महसूसी का पड़ाव !! शब्द की बात अनुभूति में बदलकर पढेंगे तो सहज ही आ...

@Mox Infotech


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