Thursday, December 29, 2022
अद्भूत, अदृश्य ईश्वर की रंगत !! संभव संयोग की ईश्वर निर्मित सृष्टि हैं। आधारभूत कुछ भी न होने के बावजूद मानवमन श्रद्धेय रहा हैं। और इसी श्रद्धा के बल से काफी कुछ प्राप्त भी होता हैं। जीवन को आशावंत और शक्यताओं से भरा देखने वाले मानवों ने दुनिया को बेहतरीन बनाने मे काफी योगदान दीया हैं। ईश्वर अदृश्य होकर भी दृश्य सपने साकार करवाता हैं। इसे हम सफलताएँ और प्राप्ति के नाम से जानते हैं।
दुनिया में अच्छा हो रहा हैं। इसका मतलब ही ईश्वर बेहतरीन को मानव के जरीए धरातल पर मूर्त रूप से स्थापित करता हैं। हमारे मन को अचंभित करने वाली घटनाओं का असंभव को संभव बनाने वाली घटनाओं का घटित होना भी ईश्वरीय संकेत हीं हैं। या तो ये ईश्वर की अदृश्य करामाती हैं। वो अदृश्य हो कर भी दृश्य सृष्टि का नियमन बखूबी कर रहे हैं, निमित्त हम बन रहें हैं। इसका हमें आनंद लेना होगा। ईश्वर की अमाप-असीम शक्ति को धारण करने हेतु उनकी ही ओर मुड़कर येसी कृपा के लिए आशावंत बनना पड़ेगा। आनंदविश्व की सहेलगाह के लिए ये अदृश्य श्रद्धाभाव को दृढ करना चाहिए।
हजारों सालों से दुनिया में वैचारिक-वैज्ञानिक-सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव को लेकर मनुष्य के रूप में कोई न कोई निमित्त बना हैं। उनकी बहतरीन उडान से हम लाभान्वित हुए है। लेकिन ये सब ईश्वर की ही उम्मीदों का साकार रूप हैं। प्रेम आनन्द-समर्पण-सहज-सरल जीवन रीति से असामान्य सात्त्विकता प्रकट होती है।विश्व ऐसी असंभव प्रकटता से भरा हुआ है। हमें संभावनाए बनना हैं..!! आनंदविश्व के लिए कुछ न कुछ निर्मिति का छोटा उपकरण बनना हैं...!!
हमें कुछ पता नहीं की हम कहाँ काम आएगें ? कौन सी उडान हमारें नाम लिखी हैं ?
आनंदविश्व के लिए मेरा भी कोई कर्तव्य तय हो। ओर ये तय करने की बात ईश्वर के हाथ में हैं। हमारे पास साक्षी भाव हैं। मैं जीवित हूं। मेरे श्वास चल रहे हैं। मैं बोल रहा हूं। सोच रहा हूं। हे ईश्वर...! मेरे द्वारा आप जो कुछ करवाना चाहते हो वो कृपादृष्टि बनाए रखें।
Monday, December 26, 2022
अद्भूत- अद्वितीय-अकल्पनीय- अविस्मरणीय ..!!
परम पूज्य प्रमुख स्वामीबापा का जन्म शताब्दी महोत्सव।आनंदविश्व की ओर जाने के लिए वैचारिक कर्मठता की भी आवश्यकता हैं। आज पूज्यनीय स्वामीबापा की जन्म शताब्दी अकल्पनीय व्यवस्थापन और लाखों लोगों की उपस्थिति में मनाई जा रही है। अहमदाबाद में प्रमुखनगर बनाया गया हैं। बरसों के आयोजन के पश्चात, लाखों स्वयंसेवकों व संतो की कडी मेहनत अनोखापन स्थापित कर रही हैं। विश्व में आयोजना के रूप में स्वामीनारायण संप्रदाय का कोई पर्याय नहीं हो सकता। आज दैनिक पचास हजार स्वयंसेवको का सेवाभाव लाखों लोगों का व्यवस्थापन अद्भुत दृश्य भाव निर्माण करता हैं। व्यवस्थापन में स्वामीनारायण धर्म का मोल नहीं हो सकता। Truely the great achievement.
अध्यात्मिक धरोहर की झड़े इतनी गहरी हैं इसी लिए तो समर्पण भाव की श्रेष्ठता विशेष हैं। मानवशक्ति के संयोजन में शुद्धि और सात्विकता कारणभूत हैं। प्रमुख स्वामीजी ने ये संस्कार स्थापित करने में पूरा जीवन समर्पित कर दिया। आज शिष्य समुदाय उनके शताब्दी जन्मोत्सव के अवसर भाव समर्पण- ऋणात्मक भाव से कर रहे हैं।
महान ईश्वर ये ऋणानुबंध के अकल्पनीय विचार बीज से ही सराहनीय कार्य के प्रति हमारें कदम उठवा रहें हैं...!! आनंदविश्व की सहलगाह ईश्वर के ही अकल्पनीय अनुबंध पर कार्यरत हो। इस आनन्दमय साक्षीभाव का निर्वहन करके हमारी कल्याणक कल्पनाएँ एक नई उडान भरें।
आपका विचारमित्र...डॉ.ब्रजेशकुमार 9428312234.
Saturday, December 24, 2022
Thursday, December 22, 2022
आनंदविश्व की सहलगाह को बहतरीन मोड देने के लिए चलों आसमान से बातें करे !!
आनंद होता हैं। सबके मन को हृदय को स्पर्श करने वालें शब्दों को जोडने का कार्य करते करते..!! आनंदविश्व की वैचारिक परिकल्पना के लिए कुछ विचार जोडने का कार्य करते करते..!! ईश्वरीय संभावनाए निहित है एवं निश्चित भी हैं। उसकी थोडी बहुत अनुभूति करके शायद ईश्वर को पसंद आए येसे विचार का निर्वहन कर्तव्य बजा रहा हूं।
ईश्वर के अलौकिक स्पर्श को अनुभूत करने का सबसे सरल और बेहतरीन उपाय प्रकृति के साथ अनुस्यूत होकर उससे बातें करना हैं। हमारे भीतर कुछ पागलपन को भी पालना होगा। आनंदविश्व की सहेलगाह के लिए पर्याप्त समय पर कोई संवेदन को अकेलेपन में महसूस करना चाहिए। भीड में भी अपने विचारों के साथ थोड़ी बहुत मस्ती कर लेनी चाहिए। ईश्वर शायद यही चाहते हैं की तूं अपने जीवन का भरपूर आनंद ले..! अपने काम की सतत भागदौड के बीच थोड़ी आनंद वाली सांस तो ले..! अपने आसपास फैली हुई प्रकृति को देख तो लें। शक्ति का प्रयोग करते करते इश्वर की शक्ति के बारें में थोड़ा बहुत सोच तो सही। हम किस प्रकार के पागल है हमें पता हैं।मैनें आसमान से बातें करने वाली बात कहीं सूनी थी। शायद ईशा फाउन्डेशन वाले सद्गुरुजी के पास..! आज हमें थामने को शुक्रिया आकाश..!! मेरे जीवन को एक ओर अवसर देने के लिए शुक्रिया..!! इस बात में मुझे काफी दम लगा हैं। विश्व नियंता कुछ येसी बात सुनने को बेताब होगा क्या ??
आनंदविश्व की सहेलगाह में कोई संवेदन-विचार-विमर्श या कुछ भी जो हमें आनंद दे उनके साथ चलना होगा। आपके साथ मैं तो बस तैयार ही हूं।
एक ओर विचार के साथ आपका सहेलगाही...!!
Wednesday, December 21, 2022
👨🎓 P.T.C. For Teacher eligibility since 1998.
👨🎓 B.A. (Bachelor of Arts) Since 2000
👨🎓 M.A.( Master of Arts) Since 2002
👨🎓 B.Ed (Bachelor of Education) Since 2004
👨🎓 M.Ed (Master of Education) Since 2013
👨🎓 N.E.T (National Eligibility Test for Professor) Since 2004
👨🎓 PH.D (Doctor of Philosophy in Litterateur) Since 2006
👨🎓 GPSC
1. Educational Director Class1 Written. Exam Clear 2015
2. Reporter Class 2 for reporter Gujarat Legislative Assembl Written Exam. Clear 2016
3. Assistant Professor Class 2. Written Exam Clear 2018
SEE 👇
https://drive.google.com/file/d/1PSGq0MwHQyH-FKHXMgKVXE4NRHD0muI9/view?usp=drivesdk
Dr.Brijeshkumar Chandrarav Gujarati RESUME.
Tuesday, December 20, 2022
Sunday, December 18, 2022
आनंदविश्व की आश में हम सब को निकलना हैं। हमारी ये सहलगाह आनंदमार्ग से भरी हो ऐसा हम सब मानते हैं। आइए कुछ शब्दों को पढकर और एकांत में इस बात पर विचार करके...!! निकल पडे हमारी आनंद विश्व की सहेलगाह पे....!! आपके साथ आपका डॉ.ब्रजेशकुमार 😁 💕
Friday, December 16, 2022
प्रेमशक्ति का महान स्रोत ईश्वर ही हैं !! 💕
युवाशक्ति को शब्दशक्ति- विचारशक्ति और प्रेमशक्ति से कैसे भर सकते हैं ?!!आनंदविश्व की वैचारिक परंपरा में हम चलते जा रहे हैं। अच्छे विचारों की कुछ न कुछ असर होती हैं । विचार शब्द का प्रगट स्वरूप हैं। शब्द की भी आराधना व साधना होती हैं। विश्व की कई भाषा सिखने के बाद उसके साथ प्रकटीकरण - प्रस्तुतीकरण का काम लेना पडता हैं। ईश्वर ने दी हुई बुद्धि से उसका आकलन करना पडता हैं। मनुष्य के रूप में हम इस भाषाविज्ञान से मानवमन को बौद्धिक रूप से प्रतिबद्ध करने का कार्य करते हैं। मनुष्य के रुप में अच्छें विचार स्थापित करना भी उत्तमता कहलाएगी।
आज हम युवाओं को ध्यान में रखकर दो शब्दों के बारें में बात करते हैं। लक्ष्य और ध्येय। लक्ष्य प्राप्ति करना और ध्येय प्राप्ति करना उसमें तार्किक व तात्विक भेद हैं। लक्ष्य भौतिकता एवं व्यक्ति केन्द्री विचार हैं। मैं कुछ बनने का लक्ष्य रखता हूँ तो सफलता निःसंदेह मिलेगी, ये निर्विवाद बात हैं। लेकिन मैं कुछ प्राप्त करने का ध्येय रखता हूँ तो सफलता मिलने की शक्यता दो गुनी बढ़ जाएगी। क्योंकि ध्येय समष्टि के कल्याण भाव को और मानवजीवन के सेवाभाव को दर्शाता हैं।
आनंदविश्व के लिए युवाशक्ति की सोच हमसब को एक नई पहचान दे सकती हैं। विश्व को नई वैचारिक ऊंचाई पर ला सकती हैं। ईश्वर की महान सृष्टि में आनंद की सहलगाह के लिए सदा साथ आपका डॉ.ब्रजेशकुमार 😀 💞
Tuesday, December 13, 2022
Sunday, December 11, 2022
वैश्विक युवाकाल की प्रेमशक्ति ईश्वरीय वरदान !!
Friday, December 9, 2022
Tuesday, December 6, 2022
Sunday, December 4, 2022
Who is soulmate ?
'आत्मसाथी' एक शब्द से उपर हैं ! जीवन सफर का उत्कृष्ठ जुड़ाव व महसूसी का पड़ाव !! शब्द की बात अनुभूति में बदलकर पढेंगे तो सहज ही आ...