विचार ईश्वर का ही करिश्मा हैं !!
सारे संसार में ईश्वर ने मनुष्य को विचार करने की क्षमता दी है। इस विचार प्रक्रिया के कारण मनुष्य ने उसका प्रकटीकरण भाषा के जरिए किया है। विश्व में इसी सिध्दांत से अनेकों भाषाओं का संवर्धन व प्रसरण हुआ। ओर इस माध्यम से मानव संस्कृति की विकासमान बौद्धिक परंपरा अस्तित्व में आई। विश्व में फैली हुई मानव जीवन की ये क्षमता़ओं ने उत्क्रमित हो कर अनेकों संसाधनों के आविष्कार कीये। फिर से मैं याद दिलाता हूँ कि विचार ही महत्वपूर्ण पहलू है। ईश्वर की ये मानवता पर कि गई केंद्रवर्ति कृपा हैं। ईसी कृपा के माध्यम से हमें भी अपना मनुष्यत्व प्रकट करना होगा। ईश्वर की ही सामजंस्य और पारस्परिक करूणा-प्रेम की विचारवर्यति से हमें अपने आप को एक मोड देना होगा।
विचार से हमारी कर्मकता गतिमान बनती हैं। ईसी सिद्धांत को लेकर मनुष्य अपनी श्रेष्ठता को विश्व कल्याणक मार्ग में जोडता हैं। विश्व में व्यक्ति ओर संघठनों के विचारों की श्रेष्ठता उनकें आचरण से तय होगी। एक व्यक्ति के रूप में कई मानवों ने विश्व को मार्गदर्शन किया है। कई संघठनो ने भी कुदरत की उत्तमता स्विकारित करकें विश्व में सर्वश्रेष्ठ प्रदान किया है। विचारों की वर्यता गणमान्य हो तभी हमारें लिए कारगत होगी।
ईश्वर ही ये करिश्मा किसी न किसी व्यक्ति के रूप में करवा रहा हैं। यही प्रकृति की निर्मिति हैं। यही ईश्वर की करामाती....!! आनंद विश्व की इस कुदरती करामाती का हम सब छोटा हिस्सा कैसे बनेंगे ?? ये विचार प्रश्न आप सबके बीच रखता हूँ। हम सब की आनंदविश्व की सहलगाह परिकल्पना में आपका छोटासा विचारबंधु डॉ.ब्रजेश 💐
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