January 2023 - Dr.Brieshkumar Chandrarav

Tuesday, January 31, 2023

The real HERO
January 31, 2023 4 Comments

 The hero of human being Heart.

🩶Truth 💙 Nonviolence 💜 LOVE.



अद्भूत-अविस्मरणीय बापू। व्यक्ति से विराट की सहेलगाह यानि बापू। सत्य से अहिंसा तक बापू। मानवमन के श्रद्धेय बापू और सबको प्रेम करने वाले बापू। बापू के लिए कुछ भी लिखने वाला कभी भी बापू की विराट विशालतम प्रतिभा को वर्णित नहीं कर सकता। सब अच्छे प्रयास से बापू की बात रखते हैं, आज में भी थोड़ा प्रयास करता हूँ। मेरे लिखने से बापू को कोई भी फायदा नहीं होगा लेकिन मेरे जैसे कईयों की वाह-वाही हो सकती हैं। बापू आज भी हमें विकसित कर रहें हैं। ये उनका सदैव आशीर्वाद....!!

The bapu

जीवन के संघर्षो में से ही आदमी अपने जीवन की दिशा तय करता हैं। अथवा अदृश्य ईश्वर की वैशिष्ट्य प्रकटीकरण की योजना से दुनिया में कोई इन्सान अकल्पनीय जीवन जीता हैं। संसार में कुछ न कुछ अचंभित होता रहता हैं। बापू विश्व की श्रेष्ठतम घटनाओं में से एक हैं। बापू एक युग की तरह हैं। आज भी वो अपनी द्रढता से प्रयोगशीलता से मानव मन की सच्ची परिचितता से हमारें ह्रदय में कायम स्थान बनाए हुए हैं।

बापू मात्र स्वतंत्रता के राहबर नहीं रहे हैं। बापू व्यक्ति जीवन के परिशोधन के राहबर हैं। देश को गुलामी से अवगत कराना सहज था। लेकिन मानसिक गुलामी से अवगत कराना दुष्कर था। व्यक्ति को व्यक्ति की मूल्य धारणा से परिचित करवाना कठिन था। मुझे अपने ही कार्य से प्रेम करवाना कठिन कार्य था। दूसरों लिए मेरे हृदय में करुणा स्थापित करना सबसे दुष्कर कर्म था। बापू ने मानव जीवन के सभी पहलूओं पर अपना सहज मत दीया हैं। लेकिन वो मत सहज न होकर सक्षम बनता गया हैं।

आज भी आल्बट आइन्स्टाइन के शब्द प्रस्तुत हैं, Generation to come will scarce believe that such a one as this ever in flesh and blood walked upon this earth. आनेवाली पीढ़ी शायद मानने को तैयार न होगी की येसी कोई मानवीय शख्सियत इस पृथ्वी पर जी चूकी होगी !!

बापू असामान्य हैं, असाधारण हैं। बापू इन्सान के रुप में मानव समाज के लिए आनेवाली  सदियों के संदेशवाहक व मार्गदर्शक हैं। जीवनरीति के उद्घोषक बापू...!! प्राण- प्रकृति और प्रवृति की संवेदनशीलता हैं बापू...!!

आनंदविश्व सहेलगाह का बहतरीन पक्षधर बापू के जीवन मूल्य भी हैं। जो सत्य है वो ही सनातन है, शाश्वत भी...!! विश्व के बापू सत्यमूर्ति हैं इसलिए राहबर भी ओर हमसफ़र भी हैं। चलें बापू के वैचारिक मार्ग पर। भरपूर जीये बापू की सम्यक जीवनद्रष्टि को अपना कर।


🐣ThoughtBird🐥
 Dr.Brijeshkumar chandrarav 
Gandhinagar, Gujarat. 
INDIA
09428312234
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Friday, January 27, 2023

THE  PANCHTATVA.
January 27, 2023 3 Comments

 The power of Life...Growing and Glowing with PANCHTATVA.

पंचमहाभूत- पंचतत्व से हम संवृत-संतृप्त हैं। 

The power of Life

महान ईश्वर ने पंचतत्वों का विश्व आकारित किया हैं। इन तत्वों की मौजूदगी जीव-जगत की निर्मिति का कारण बनती हैं। मनुष्य जीवन इसी पारंपरिक व पारस्परिक ईश्वरीय संभावनाओं से घटित हुआ हैं। ईश्वर की श्रेष्ठतम कलाकृति  होने का हम गौरव करते हैं। बुद्धि और भाषिक वैशिष्ट्य प्राप्त करके हम सभी जीवों से बेहतर सबसे उपर हो गए।
सारी सृष्टि का नियमन हमारे हाथ में नहीं है। फिर भी हम ही सब चला रहे हैं ऐसे गुरूर के साथ सारी सृष्टि का संचालन करने प्रतिबद्ध भी हो रहे हैं। सबसे बेहतर बनने  व्यक्ति-समूह-धर्म या राष्ट्र की होड लगी हैं। ऐसी कुछ बात है ना ? बेहतर वो हैं जो सबका भला सोचे और करे।

ईश्वर के पंचमहाभूतो में आकाश मूलभूत तत्व हैं। वह मूलभूत तत्व, जिसके ऊपर बाकी के चार तत्व अपना खेल खेलते हैं। सद्गुरु का ये विचार हमें काफी कुछ गहराईयों में ले जाता हैं। परम- सर्वोच्च- अनंत आकाश से अपनी सीमाओं से परे जाने की क्षमताएं प्राप्त करे। आकाश असीमताओं से समृद्ध है। आकाश  हरदम हमारा बोध करने मौजूद हैं। विशालतम संभावनाए कैसे संभावित हो इसका अहर्निश ज्ञान-बोध करने आकाश हमें संवितरित है...अनंत को धारण किए !!

पंचतत्व से बना हमारा शरीर भी इस पंचतत्वों की असीमित शक्तियों से अवश्य संबल बन सकता हैं। लेकिन पंचतत्वों का पारस्परिक मेल हमें सिखना होगा। पारस्परिक अवलंबन और एक दूसरें का साक्ष नियमन सहजता से अनुभूत करना होगा। ये संयोग नहीं है,दिव्यता का संबंध है। ये तत्वों के बीच पंचमप्रेम, पंचमानुराग ओर पंचमसख्य भी ईश्वरीय ब्रह्माण्ड का अविस्मरणीय सृजन हैं।

आनंदविश्व सहेलगाह का मार्ग प्रशस्त करने हेतु संबलता प्राप्त करने पंचमहाभूतो के आधिन अपना जीवन विकसित करना होगा। ईश्वर इन्ही को आधार बनाकर हमें शक्ति प्रदान करते होंगे क्या ?! शायद ?!
🌍
छोटे-से विचार के साथ मेरी ये प्रस्तुती भी शायद आपको पसंद आए। हमें शामिल होना है अपने भीतर !! अपनी ही जिवंतता के साथ। यही संदेश पंचतत्व का हैं और जीवंतता का फैलाव भी..!!  खुशीओं का सैलाब भी !! आपका ThoughtBird Dr.Brijeshkumar
Gandhinagar Gujarat, INDIA
09428312234.

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Tuesday, January 24, 2023

Thinks power...!!
January 24, 20230 Comments

 The man is Thinker...who is never without think ? !

विचार के बग़ैर कोई कैसे जी सकता हैं ?

Man


महान ईश्वर ने हमें विचार की येसी बख़्शीश देदी हैं कि हममें दुनिया को अचंभित करने का सामर्थ्य हैं। विश्व का या मानवसृष्टि का कल्याणक विचार हमारे भीतर पलता है तो कभी न कभी वो सादृश्य रूपांतरण की गति को प्राप्त करेगा ही। और आकारित भी होगा। सपनों को साकार करने विचार की ही तो आवश्यकता हैं !!

आज जो जगत हम अनुभूत कर रहे हैं, वो किसी न किसी विचार की ही फलश्रृति की कलाकृति हैं। मनुष्य सहजता से विश्व को नयापन दे कर सँवार रहा हैं। युगों से ये कार्य हो रहा हैं। समय की मर्यादाओं को तोड़कर अजीब किस्म की शोध-अनुसंधान की रफ्तार कभी कम नहीं हुई। इन सब के पीछे ईश्वर की विचार कर्मकता गतिमान हो कर आवृत्त हैं। हवा की तरह, प्रकाश के किरनों की तरह, आवाज की सरसराहट की तरह अदृश्य होकर भी हमारे भीतर कुछ करने का होंसला बनकर उभर रही हैं।

मनुष्य के रुप में एकमात्र विचार के ही जरिए हमने भाषा-भूषा,रहन- सहन, जीवन के तौर तरीके कहो की सुसंस्कृत जीवन पद्धति निर्माण की। कुछ भौतिक कुछ आध्यात्मिक पहलूओं की नित नवीनता कायम की हैं। भौगोलिक -अंतरिक्ष या वैज्ञानिक समृद्धीयाँ से हम संवृत-संतृप्त व संबल बने हुए हैं। सारा विश्व विचारतत्व के मूलभूत तत्व से ही सत्वशील गहराईयों को धारण कर पाया हैं। आनंद है ईसका...awesome !!

आनंदविश्व सहेलगाह Blog येसे ही अद्भुत विचार के बल पर उत्साह के कदम भरने को उत्सुक हैं। हमें भी दुनिया को कुछ देना होगा। ये हमारा ईश्वरीय दायित्व हैं। जीवन जीवित तो हैं। उसे जीवंत बनाना हैं। एक विचार बीज मुझे भी इस धरती पे उगाना हैं। दूसरें का भला सबका भला बने। मैं सबका सब मेरे बनें। एक येसा विश्व जो निश्चिंत हो कर जीये आनंद की अमर्यादित संभावनाओं में जीये। तो शुरू करें एक आनंद मार्ग की यात्रा विचार के जरीए...!!
Your ThoughtBird Dr.Brijeshkumar.
Mo.09428312234
Gujarat, INDIA. 
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Friday, January 20, 2023

STRUGGLE AND LOVE IS EQUAL TO KRISHNA...!!
January 20, 20231 Comments

 Who is KRISHNA.

  Extreme struggle and Responsible action.

 प्रेममय कृष्ण..संघर्ष का संगीत उत्कृष्ट जीवन-दर्शन !!
 

महान ईश्वर की अदृश्य होकर भी सृष्टि पर नये जीव विकसित करने की अविश्रान्त परंपरा लाजवाब रही हैं। जन्म और मृत्यु के अदृश्य भेद आज तक हम समज नहीं पाए। कई विलक्षण-विचक्षण जीव इस सृष्टि में अवतरित होते रहें हैं। कालक्रमिक सृष्टि का मार्गदर्शन होता रहा हैं। समय समय पर कोई  युगप्रवर्तक युगद्रष्टा मानवसृष्टि का उच्चतम मार्गदर्शन करता हैं। विश्व में कई घटनाएं होती रही हैं...इतिहास साक्ष्य हकीकतों से भरा पडा हैं।

पांच हजार वर्ष से भी पहले भारतवर्ष में जगद्गुरू कृष्ण का अवतरण हुआ। मानव सहज जीवनरीति और जन्म परंपरा का एक घटक बनकर कृष्ण का जन्म हुआ। जन्म से ही संघर्ष से मजबूत नाता बनाकर भी बंसी बजाता रहा कृष्ण !! जन्म से ही प्राकृतिक रूप से सभी जीव को माँ मिलती हैं। ईश्वर की अदृश्य प्रेम परंपरा का दृश्य अस्तित्व माँ हैं। कृष्ण को उससे दूर होना पड़ा। नई जगह, नया वातावरण और अनजाने लोंगो से कृष्ण ने सहज अद्भुत नाता कायम कर लिया। कृष्ण के जीवन में एक राधा आई...प्रेम की जीवंत मूर्ति राधा। कृष्ण- राधा का पारस्परिक प्रेम सृष्टि का उच्चतम शिखर हैं। राधा से सुबह राधा से शाम फिर भी कृष्णा के जीवन में से राधा अदृश्य हो गई। पारिवारिक संघर्ष का तो समंदर कृष्ण ने हसते हसते पार कर लिया। बंसी की सूरावालियों में कृष्ण की पीडा के पडघम शांत होते रहें। कृष्ण ने जीवन का संगीत बजाया हैं। जीवन का आनंद बंसी के जरिए स्पंदित किया हैं। आज भी कृष्ण की अप्रतिम भक्ति से वो सूर महसूस कीये जा सकते हैं। कृष्ण अनुभूत जीवन का आधार हैं।

मानवमन और प्रकृति का सौंदर्य बोध कृष्णा ने बडी सतर्कता से किया हैं। ज्ञान-कर्म और जीवन की अप्रतिम फिलसूफी कृष्ण ने सिखाई हैं। निमित्त भाव और समपर्ण की अद्भुत मूर्ति कृष्ण हैं। जहाँ खडे हैं वहाँ सौंदर्य स्थापित करना वो ही  कृष्ण जीवनामृत हैं। अप्रत्यक्ष हो कर भी आज कृष्णा की प्रेममयता जीवंत हैं। आज भी कृष्ण प्रेममय ह्रदय का स्वामी हैं। अकल्प आकर्षण का बीज कृष्ण ही हैं।

आनंदविश्व सहेलगाह में कृष्ण का जीवन दर्शनशास्त्र आज भी प्रस्तुत रहेगा। कृष्ण की हरेक हरक़त में जीवन की मस्ती हैं। उनके संगीत में नर्तन में भी अलौकिक आकर्षक हैं। युद्ध में भी वो बुद्ध हैं, संबंध में वो शुद्ध हैं, प्रेम में वो नितान्त समर्पण से प्रतिबद्ध हैं। अपौरुषेय कृष्ण समस्या से परे आनंद पुरूष है। हमारी जीवनयात्रा  कृष्ण की आनंदानुभूति से संबल बने यही शुभसंकल्पना के साथ आपका सहपंथी...!!
ThoughtBird Dr.Brijeshkumar.💕
Gujarat, INDIA
09428312234.

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Tuesday, January 17, 2023

TRYING has a Good possibility for World.
January 17, 20231 Comments

 Only Trying is in our Hands.

प्रयास ही हमारे हाथ में हैं।

महान ईश्वर ने अपनी दुनिया का बखूबी अपनी ही मर्जी के मुताबिक सृजन किया हैं। मनुष्य का सृजन करने के बाद शायद उनकी खुशी का ठिकाना न रहा होगा। मन-बुद्धि दे कर ईश्वर ने सोच ही लिया होगा मैंने इन्सान सर्वशक्तिमान बना दिया हैं। संसार में सुंदरता निर्माण करने वो अपनी सारी शक्ति लगा देगा। स्वार्थ से परे प्रेम-आनन्द-समर्पण-सहज-सरल व्यवहार से मुझे भी आनंदित करता रहेगा। प्रकृति से अनुराग और सामंजस्य स्थापित करके पारस्परिक अवलंबन में अपनी खुशहाल जिंदगी जियेंगा।
           लेकिन कुछ अप्राकृतिक बढ़ता रहा.. अमानवीय आकारित होता रहा और हम वैयक्तिक-सामूहिक-संस्थानिक-प्रान्तिक-भाषिक न जाने कितने भेद और अलगाव में फंसते गए। ईश्वर की ही सृष्टि की अधिकारिता में कितने युद्ध आपस में करते रहेंगे ?! ईसमें मनुष्य के रुप में मेरी कुछ छोटी सी भी जिम्मेदारी होगी क्या ?!  हम अपने कितने स्वार्थ पूर्ण करेंगे !! आप सुकुन से बैठे हो तब सोचना सबसे बेहतरीन विचार जरुर आएगा। और न आए तो आनंद विश्व सहेलगाह को पढ़ना बंध.. लेकिन मेरा विश्वास है जब आत्मिक आवाज सुनाई देगी तो बहतरीन के सिवा कुछ न होगा।

महान ईश्वर ने हमें कर्म दिया हैं। जीवन के लिए प्रयास दिये हैं। उसके जरिए एक सोच आकारित होती हैं। उससे जुड़ाव महसूस होता हैं। कारवां येसे ही विकसित हुआ। हम एकत्व के विचार से विचलित हुए तभी तो कारवों में बंटते गए। और आज कितनी भिन्नार्थकता से संवृत हो गए ? या समृद्ध ?

आनंदविश्व की वैचारिक सहेलगाह में हम कुछ पल विश्व के शांतिपूर्ण पहलू के बारें में थोड़ा-बहुत सोच-विचार करें। हमारा बीज रूप छोटा-सा प्रयास भी कुछ अंतरंग निर्माण करेगा। मैं तो इस बात पर दृढ़संकल्पित हूं। धरातल पर ऐसी कोई असंभव समस्या है ही नहीं। कमी कुछ प्रयास की हैं। ईश्वर हमारें प्रयास को कैसा नाम देंगे कौन-सा मोड देंगे मुझे पता नहीं।

ईश्वर ने हमे सोचने का कार्य करने का अद्भुत शस्त्र और शास्त्र दिया हैं। ईसको हम सामर्थ्य कहे तो भी गलत न होगा। Let's we start do good be good, Think and action.
एक छोटे-से प्रयास में आपका डॉ.ब्रजेशकुमार
Gujarat, INDIA 09428312234.

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Friday, January 13, 2023

Festivals Happiness
January 13, 20230 Comments

 Happiness with KITES.

उमंग और उत्साह से भरा त्योहार.. उत्तरायन..!!


मनुष्य सहज ही आनंद प्रिय हैं। ये हमारी मूलभूत सोच हैं। सारे विश्व में मनुष्य उत्सव इसीलिये मना रहे हैं। ईस धरातल पर विभिन्न संस्कृतियाँ विद्यमान हैं। सभी संस्कृति की मूलभूत विरासत उत्सव हैं। उत्सव आनंद-उमंग-उत्साह को प्रेरित करता हैं। भारतभूमि तो उत्सवों की रसखान हैं। यहां हरपल उत्सव हैं। यानि की हमें उत्सव से जीने के अंदाज में कुछ नवीनतम बदलाव का अहसास मिलता हैं। ये संपूर्ण सर्वर्विदित बात हैं।

मकरसंक्रांति- उत्तरायन-पतंगोत्सव जो मन में आए कहो। मुझे बात करनी है सिर्फ पतंग की..!! रंगबिरंग, छोटे-बडे,आकार वैविध्य से भरे। कागज और बांस के मेल से बनी पतंगे। पतली सी डोर से बंधी पतंगे। आसमान को छूने का प्रयास करती पतंगे। उडाने वाले और देखने वाले दोनों को पागल करती पतंगे। कोई बीच में ही कट जाती, कुछ दूर चली जाती पतंगे। कोई छटपटाहट भरें कोई धीर गंभीर बनके टहलती हुई पतंगे। कितनी सूनाए ईस छोटे से पतंग के बारें में...!!

हम सब एक छोटी पतंग ही हैं। हमें भी उडना हैं, बहुतदूर तक उड़ान भरनी हैं। खुले आसमान में हमें भी अपने करतब दिखाते हुए सबको आनंदित हुआ देखना हैं। किसी के चेहरे पर आनंद की फुहार देखना भी ईश्वरीय स्पर्श महसूस करने जैसा हैं।
महान ईश्वर सारे विश्व के मनुष्यों को अपनी मन बुद्धि के मुताबिक कुछ आनंद क्षेत्र खोजने और जीने के अवसर प्रदान करते हैं। विश्व में उत्सवों का अवतरण इसी आनंद प्राप्ति की खोज के कारण हुआ हैं। इश्वर ने मनुष्य के निर्मित नैमित्ति से ही उत्सव निर्माण किए हैं।

आनंदविश्व की सहेलगाह में ये उत्सव हमें जोश देंगे। नया उमंग और उत्साह देंगे। " यू हीं तो उत्सव हैं तो उत्साह है " जीवन को बेहतरीन पतंग सा जीना हैं। बंधन होने के बावजूद थोडी सी उड़ान का आनंद लेना हैं। पतंग सी रंगत को धारण करके...विशाल आकाश में...कई रंगभरें दोस्तों के साथ बस मनभर के उड़ान के मजे लेने हैं...आखिर मैं और आप भी सम्मिलित हैं..!! ईश्वरीय संभावनाए भरे विश्व में !! 

आनंदविश्व सहेलगाह के वैचारिक कदम उठाकर आपके साथ Your ThoughtBird डॉ.ब्रजेशकुमार
09428312234
Gandhinagar,Gujarat
INDIA.

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Thursday, January 12, 2023

ज्ञान का दिग्विजय स्वामी विवेकानंदजी...!!
January 12, 20230 Comments

 १२ मी जनवरी १८६३ मकरसक्रान्ती एक अनोखे महामानव का अवतरण उत्सव..!!                     


विश्व के सत्वशील लोगो के सामने दो ही शब्द Brothers and sisters का  संबोधन करके और अपने हृदय के उत्कृष्ठ भावों को प्रकट करके कुछ ही पल में अपनापन  स्थापित कर देने की जादुई शक्ति का संचार करने वाले स्वामी विवेकानंद...!!

आज उनका जन्मदिन हैं। केवल ३९ वर्ष की आयु में  ४ जुलाई १९०२ में इस संसार को अलविदा कर दिया। स्वामी विवेकानंद यानी ज्ञान- उपासना का उच्चतम शिखर। विश्व के कल्याण हेतु एवं मानवता को एक नई पहचान देने को धरती पर आया हुआ एक अलौकिक महामानव स्वामीजी। बंगाल की सत्वशील एवं सत्यापन की भूमि का अनोखा इन्सान स्वामीजी।
भारतवर्ष की आध्यात्मिक चेतना को महसूस करके विश्व को मार्गदर्शन करने का अद्भुत कर्म स्वामीजी ने बजाया हैं। अपनी मेधाशक्ति और कल्याणक विचार दृष्टि से वो आज भी हमारें बीच विचारपुरुष के रूप में जीवित हैं। विचार नाशवंत नहीं हैं। विचार अक्षुण्ण हैं। विचार सत्वशीलता को स्थापित करता हैं। विचार की वर्यता-श्रेष्ठता मानव सृष्टि को प्रेममय बनाती है। ईश्वर स्वामी विवेकानंद जैसे आदर्श हमारे बीच भेजकर उनकी ही दृढता कायम करते हैं।

विश्व में स्वामी विवेकानंदजी के बारें में काफी कुछ लिखा गया हैं। विवेकानंद केन्द्र कन्याकुमारी द्वारा आज भी स्वामीजी के विचारोंको समाज में स्थापित करने का प्रयास हो रहा हैं। स्वामीजी का अद्भुत व्यक्तित्व आज भी हमें उनके विचारों के जरीए अचंभित कर रहा हैं।
महान ईश्वर समय समय पर ऐसे मानवों का सृजन करके मानवसृष्टि को मार्गदर्शन करतें हैं। आनंद विश्व की सहेलगाह के लिए स्वामी विवेकानंद जैसे कई मनीषीओं के विचारतत्व का स्वीकार करना चाहिए। बौद्धिक आनंद की वैचारिक सत्वशील गहराई स्वामी विवेकानंद जी के पथदर्शक विचारों में हैं।

 जीवन की उडान को ध्येय एवं निश्चित लक्ष्य हासिल करने की मानव सहज कोशिश में ईश्वरीय ज्ञान रूप स्वामी विवेकानंद से विचारमैत्री संभव हैं क्या ?? हम सब संकल्प करे, थोड़ा-बहुत प्रयास करे की वर्षभर स्वामीजी के विचारमित्र बनकर कुछ पढना हैं।

Happy Birthday....Swami Vivekanandji.
Happy birthday...awesome GYAN PURUSH.
Your ThoughtBird Dr.Brijeshkumar
09428312234, Gujarat, India



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Monday, January 9, 2023

Way of Happiness !!
January 09, 20230 Comments

 आनंद प्राप्त करने का आसान तरीक़ा कुछ न कुछ देने की हरकत में हैं।

आनंद सहज हैं, हमें सहज बनना होगा।     

  Let's we start to walk this way.


                   
कुदरत की बनाई हरेक चीज कुछ न कुछ देने की प्राकृतिक गुणधर्मों से संवृत हैं। एक छोटा सा पौधा भी खूबसूरत पुष्प के साथ हमें खुशबु की फुहार देता हैं। आपको ऐसे कई उदाहरणों की याद के लिए मैं आनंदित हुआ। ईन्सान के रुप में ये सोचना सहज हैं। इसलिए मैं यादों का मेला आपके मन-मस्तिष्क में उमड उमड कर उभरें बस येसे शब्द-विचार लिख रहा हूँ।

सबको आनंद पसंद हैं। हमारी सेहत से लेकर हमारी वैचारिक उडान भी आनंद क्षेत्र से निकलती हैं। ये जो आनंद हैं न,वो ही मनुष्य के रूप में हमें सबसे बेहतर साबित कर सकता हैं। विश्व में कई सफल व्यक्तिओं की जीवनरीति में आनंद की अहमियत सबसे ज्यादा हैं। ओर ये आनंद दूसरों का विचार करने में, किसीको कुछ न कुछ देनें में निहित हैं। हमारे पास जो कुछ हैं...शब्द हैं, विचार हैं, धन-दौलत हैं या खुशी के पल हैं। दूसरें के चेहरे पर मुस्कान दे सके येसा कुछ भी हमारे आनंद प्राकट्य का अवसर हैं।

एक बच्चा सहज हैं। क्यों सहज हैं ? क्योंकि उसे दुनिया से सीखना हैं। नये वातावरण में अपनी जिज्ञासा को संतुष्ट करना हैं। बच्चा सभी को हसतें हुए आशावंत बनकर देखता हैं। "वो मुझे देखकर खुश होता हैं इसलिए मुझे भी हंसना है।" ऐसी कुछ कल्पनाएँ  बच्चें के अंतरंग दिमाग में होगी क्या ?? हम तो अब बच्चें नहीं रहे।

आनंदविश्व सहेलगाह को बचपना चाहिए। हमारी बुद्धि भले बढ गई हो। वैचारिक मतभेद के जमेले से गिरें हुए हो। लेकिन आनन्द प्राप्त करना है तो सहजता से बच्चा बनकर कुछ पल बचपने मे बिताने ही पड़ेगें। ठीक हैं ना ?

Your small ThoughtBird is small child till this moment.
Dr.Brijeshkumar.
09428312234 Gujarat, India.

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Friday, January 6, 2023

Extreme TRUST.
January 06, 20231 Comments
What is the extreme TRUST. 
श्रद्धा की पराकाष्ठा क्या होती हैं ?!
 
                                             

श्रद्धा और विश्वास के कारणवश जगत विद्यमान हैं। हम सब को ये विश्वास ही संजोए रखता हैं। सुबह होगी, रात होगी, कल का खुशहाल दिन आयेगा। महिना बरस- साल आएगा। मैं ये करुंगा, मेरी यह योजना हैं। मैं ये बनना चाहता हूं। ये सब विश्वास से झुडी बातें हैं। कोई भरोसा हमारे मन को थामें हुए हमें सृष्टि में जीने के करतब करवा रहा हैं। कल्पनातीत जगत में हम बहें जा रहे हैं। कोई अकल्पनीय मार्ग के यात्रीगण के रूप में बस चलना हैं।

ईस धरातल पर ईश्वर भी किसी न किसी को मिले हैं। भारतवर्ष तो ऐसे कई उदाहरणों से समृद्ध है। कहीं एकनाथ को श्रीखंड्या के रुप में, कहीं नाम्बी को गणेश के रूप में, कहीं नृसिंह को कृष्ण के रूप में, प्रह्लाद को विष्णु के रूप में या शबरीमाँ को राम के रूप में ईश्वर की दृश्य अनुभूति हुई हैं। ऐसी तो कई घटनाएँ भारतवर्ष की आध्यात्मिक धरोहर का साक्षत्व बयां करती हैं। मनुष्य के रूप में हमें अपना भी अनुभूत विश्व खडा करना हैं। इतिहास के पन्नों में हमारी साक्ष्य अनुभूति का कोई मोल हो न हो। ईश्वर की आकारित योजनाओं मे मैं भी सम्मिलित हूँ। जन्मदत्त मेरा भी छोटा सा आनंद क्षेत्र हैं। मेरा भी अतूट-असीम श्रद्धा बल हैं। This is our extreme TRUST. 

विश्वमें व्यक्ति साथ-सहयोग दे सकता हैं। कभी प्रेम और सहानुभूति भी..!! लेकिन मन की अलौकिक आनंद अनुभूति ईश्वर से ही मिलती हैं। उसकी योजना में छल-कपट नहीं। सबके लिए समान और सबको अपना ही लगने वाला प्रेमबीज हैं। हम सबने सूना है ईश्वर ही सामान्य को असामान्य बना सकता हैं। सही भी हैं।  लेकिन हम ईश्वर का ही सृजन है इसलिए सामान्य तो है ही नहीं।

उसी प्रेमबीज से हम  संवृत-संतृप्त हैं। ईश्वर की अमाप-असीम शक्तिसंपन्नता हमें ह्रदय के उच्चतम भावों से भर देती है। हमे बस अनुसरण का मार्ग चयनित करना है। बाकी सब उनको ही सौपकर निस्संदेह होकर निश्चिंतता से आनंदविश्व सहेलगाह को बहतरीन बनाना है।
आनंदविश्व विश्व की सहेलगाह तो एक छोटा-सा विचार हैं। हम अपना खुद का आनंदविश्व खङा कर पाए ओर जीवन का ईश्वरीय आनंद पाए..!! यही शुभ कामनाएँ मेरी..!!

 मैं तो आनंदविश्व सहेलगाह की इस वैचारिक यात्रा का नैमित्तिक कर्म बजा रहा हूं। Voice of soul. कुछ क्षण के लिए आनंदमार्ग पर वैचारिक सहेलगाह है मेरी...!!  💕🚶
Your ThoughtBird Dr.Brijeshkumar. 
Gujarat,INDIA 
09428312234
 






                         












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Tuesday, January 3, 2023

 EARTHMOTHER.
January 03, 20230 Comments
The Earth is symbol of Reciprocable  LOVE. 
सारे संसार को धारण करने वाली हमारी पृथ्वी....!

ईश्वर के द्वारा संजोए हुए हरेक तंतुओं से परीवृत्त हमारी पृथ्वी। अधध जलराशी, जंगल-जमीन और मानव-पशु-पंखी एवं असंख्य जीव-जंतुओं के विस्मय से भरी हमारी प्यारी हमें संवर्धित करने वाली पृथ्वी माँ की सहस्त्र कोटी वंदना ।

विश्व की अद्भुत जीवसृष्टी को लाखों करोडों सालों से धारण करके उसका अविश्रान्त पालन कर रही हैं पृथ्वी माँ। कोई अकल्पनीय घटना से, सूर्य का एक धधकता अंश अवकाश में घूमता रहा। कई बरसों तक ये विशाल आकार नियंता की ख्वाहिश के मुताबिक अथवा कोई अनंत योजना के तहत घूमते घूमते निश्चित आकारित होता हैं। इस तरह हमारी धरित्री का अवतरण हुआ I इस तरह की भौगोलिक बातों से हम सभी अवगत हैं। सतत घूमने से या कोई विशिष्ट योजना के कारण यहाँ ज़ीवसृष्टि का वातावरण निर्मित हुआ।

ईश्वर के आनंदविश्व का निर्माण हुआ..!! उसकी तरासी हुई हर एक चीज अपना अस्तित्व बनाती गई। चेतन अचेतन सभी चीजों ने अपना कर्तृत्व कायम करना शुरू किया। पारस्परिक अवलंबन ये सृष्टि का प्राण तत्व हैं। और ईश्वर का पसंदीदा  आकलन भी। अदृश्य होने के बावजूद ईश्वर ने सभी तत्वों का संमिलित सम्मिश्रण नियमित रूप से स्थापित कर दिया हैं। इसके ताग़ को समज पाने के हमारे प्रयास आज भी पूर्ण रूप से असमर्थ रहें हैं। मनुष्य के रूप में हमने जो कुछ प्राप्त कीया है उसका आनन्द ओर अचरज !!  यही हमारी खोज संपदा !!  ज्ञान संपदा !!

 ज्ञान-विज्ञान एवं योग-आध्यात्म की हमारी मानव सहज प्रकृति रही हैं। विश्व के सभी देशों के मानवों ने यहीं सिद्धांत के तहत ही अपनी जीवनरीति को कायम किया हैं।विश्व में जो वैविध्य आकारीत हुआ ओर हो रहा है ये इसी नियंत्रित परिभाषा के कारणवश है।
असंख्य आकाशगंगाओ में हमारी तो एक मात्र पृथ्वी हैं। जहाँ हमारा जीवन हैं। जहाँ हमारे श्वास चल रहे है। जहाँ संबंधों का जगत हैं। रात है दिन है। उम्मीदों के आशियाने सजते हैं, जहाँ उत्सव हैं। जहाँ उडान है उजाश हैं। जहाँ सूर है संगीत हैं।


                    ईस धरातल पर आनंदविश्व की सहेलगाह को बहतरीन मोड देने हम तैयार ही है। क्योंकि यहाँ कही हर बात से हमसब अवगत हैं। बस ध्यान ईस बात का रखना है की हमें ईश्वर की अनंत संभावनाएँ महसूस करना है। मन को अच्छा लगें तो मन ही मन हँसना और Thanks Earth बोलना.!   मैं तो कब का तैयार हूँ।
Your thought Bird...Dr.Brijeshkumar. 9428312234
Gujarat, INDIA.   

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Sunday, January 1, 2023

Time Time...!!
January 01, 20231 Comments


Time is not for us, we are all for Time.

समय की रफ्तार न कोई पकड सका न समज सका हैं...!
युगों से चली आ रही काल गणना..!  कई करवटें..!



पृथ्वी के जन्म से या उससे भी पहले क्या था ?? कौन ये करतबों को आकार दे रहा हैं। कल्पनातीत घटनाएं इस ब्रह्मांड में होती रही हैं। पारस्परिक अनुबंध और मानव उत्क्रांतिक घटनाओं से ज्ञान संवर्धित होता रहा। आज हस्तांतरित एवं कंठोपकंठ ज्ञान संपदा विश्व की कई संस्कृतियाँ संजोए खड़ी हैं। हम समय की गणना करते चले लेकिन समय को अबतक पकड नहीं पाए। उसे महसूस कर पाए पर समज नहीं पाए। सही है न !?

आज विश्व वैज्ञानिक तकनीकों से समृद्ध हैं। भूतकाल के कइ भेद समझने में संशोधक सफल रहें हैं। मनुष्य ने इतिहास को बौद्धिक रूप से जानकर सामाजिक परंपराओं की समज प्राप्त की हैं। भौगोलिक घटनाओं सें जल-स्थल की ज्ञान संपदा प्राप्त की हैं। अंतरिक्ष विज्ञान व कास्मिक एनर्जी का अकल्पनीय भेद भी दृश्यमान हुआ है। लेकिन समय की आनेवाली एक क्षण को आज भी हम समझ नहीं पाए। मनुष्य के रूप में इसे विफलता समझे की कुछ और ?? नहीं ये विफलता नहीं..!!युगों से चली आ रही नियंत्रित शक्ति की सहलगाह हैं। हम इसे ईश्वर की सनातन अदृश्य यात्रा कहें या कुछ और ? मूलतःसब ईश्वरीय हैं। उसके ऐश्वर्य को आनंदित होकर अपने-आप महसूस करना है। विश्व को इस आनंदित बात का संदेश देकर मानुषीय कर्तव्य का पालन करना हैं।

आज विश्व की ज्ञान-विज्ञान की वैचारिक गहराई काफ़ी महत्वपूर्ण स्थान पर हैं। ईश्वर भी अपनी अदृश्य-अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य की खोज पर निकलें मनीषीओं की सहलगाह से खुश होंगे। ज्ञान संवर्धन के लिए बुद्धि तत्त्व भी हमें उसी शक्तिमान ईश्वर ने दिया हैं। विश्व को बुद्धिमानी के साथ संवेदनशील भी बनना होगा तभी तो हम ईश्वर की आनंद संपदा का अलौकिक स्पर्श महसूस कर पाएगें। समय अपनी अदृश्य कलाबाजी करता रहेगा। हमें समय की एक एक क्षण को जीने का अपना ही अंदाज ढूँढ निकालना होगा।


आनंदविश्व की सहलगाह एक विचार मात्र हैं। हम सब को स्वीकार है ऐसा गणमान्य विचार हैं...विश्व में आनंदप्रियता की स्वीकृति सहज हैं। ईश्वर की रंगत अमाप-असीम हैं। समय की करवटें बदलती रहेगी...! अनादिकाल से प्रतिबद्ध ईश्वर का रहस्यमय साम्राज्य स्थापित है और रहेगा। आनंदविश्व की सहेलगाह में हमें ह्रदय को प्रेममय परिभाषा से भर देना है बस...!! आपके साथ ऐसी सहलगाह के लिए मैं  डॉ.ब्रजेशकुमार भी तैयार हूँ।
09428312234, Gujarat, India.



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  'आत्मसाथी' एक शब्द से उपर हैं !  जीवन सफर का उत्कृष्ठ जुड़ाव व महसूसी का पड़ाव !! शब्द की बात अनुभूति में बदलकर पढेंगे तो सहज ही आ...

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