December 2023 - Dr.Brieshkumar Chandrarav

Wednesday, December 27, 2023

THE MEERABAI.
December 27, 2023 2 Comments

Meera is not poet..she is a devotee.

मीरा कोई कवयित्री नहीं हैं...भक्त हैं, समर्पिता हैं।

कृष्ण के पागल प्रेम में कौन नहीं हैं। हजारों सालों के बाद भी लोगों का कृष्ण के प्रति आकर्षण बढता ही जा रहा हैं। एक तरफ कृष्ण जीवन हैं। एक तरफ कृष्ण विचार हैं। एक तरफ कृष्ण उत्सव रूप हैं, एक तरफ जीवन उद्धारक के रुप में !! कृष्ण का जीवन आनंदलीला है, दूसरी ओर जगद्गुरु की परिकल्पना में कृष्ण विश्व के मार्गदर्शक हैं। इस समग्र असर की तहत पाँच हजार वर्षो के बाद भी कृष्ण मीराबाई की अनुभूति में जीवंत रहते हैं। मीरा की बात आए और कोई पद या भजन याद न आए हो ही नहीं सकता।
"ना मैं जानु आरती वंदन,
ना पूजा की रीत..!
मैं अनजानी दर्शन दिवानी,
पागल मेरी  प्रित..!
लिये री मैंने, दो नैनो के दिपक लिये संजोए !
ये री मैं तो.. प्रेम दिवानी मेरो दर्द न जाने कोई !"


मीरा कृष्ण की भक्ति में इतनी लीन हो गई हैं, कि उसे आरती-वंदन-पूजा की कोई रीत पता नहीं हैं। एकमात्र दर्शन का दिवानापन लिए नैनों के दिपक को संजोए हुए.. प्रेम की अलौकिक मस्ती में जी रहीं हैं। मीरा कृष्ण समर्पण का प्रतिक बन गई हैं। कृष्ण में मीरा का ब्रह्मलीन होना, कृष्ण में एकाकार हो जाना, मीराबाई अद्वैत हो गए हैं। कृष्ण के सहजीवन में मीरा नहीं हैं लेकिन मीरा के सह जीवन में कृष्ण कृष्ण ही हैं। कृष्ण का सख्य राधा को मिला है। राधा ने कृष्णप्रेम को जिया हैं। मीरा ने कृष्णप्रेम अनुभूत किया हैं। दोनों के दीवानेपन में कृष्णा का अनुराग हैं। कृष्णा के प्रति समर्पण हैं। मीरा का प्रेम भक्त वत्सला बन जाता है, कृष्ण तब प्रस्तुत होते हैं। मीरा के शब्द में, विचार में उनके गीत में और नृत्य में भी..! कृष्ण जब मीरा की अनुभूति में आकार सजते हैं तब कोई पद या भजन प्रकट होता हैं। तब कीर्तन-नर्तन की गति को धारण करता हैं। मात्र एकतारा से अनेक सूरों का प्रकट होना संभवित नहीं, सहज नहीं। ये कृष्ण का अप्रतिम भक्त वात्सल्य हैं।

मीरा कृष्ण आहट में सतत हैं। इसीलिए वो कृष्ण आगमन, उनके स्वागत के लिए उत्सुक रहती हैं। हरपल उनकी याद में कृष्णा बसे हैं। कृष्ण के मूर्त रुप के सामने मीरा का अमूर्त प्रेम हैं। कृष्ण जीवंतता की अनुभूति मीरा को एक कवयित्री से उपर समर्पण की मूर्ति बना देती हैं। मीरा कोई शब्द की आराधक नहीं हैं। मीरा कोई विचार के पागलपन में भी नहीं हैं। मीरा कृष्ण की केवल प्रेममय आराधना में हैं। हमें मीराबाई के भजन-पद के द्वारा नितांत भक्ति का आनंद मिलता है। मीरा के "आराधन-पुष्प" से ईश्वर प्रेम की आध्यात्मिक जीवंतता मिलती हैं। हमारे भीतर के कृष्ण को प्रकट होने का अवसर मिलता हैं। इसीलिए मीरा सबसे न्यारी हैं। मीरा के गीत सबके मीत हैं !! मीरा के गीत आनन्द का मूर्त रूप हैं !! आनन्द अनुभूति की क्षण हैं। मीरा के शब्द हमारें लिए भी अद्भुत आनंद के अवसर खडे करने के लिए सक्षम है, समर्थ हैं !!

हजारों सालों के बाद राजस्थान के एक शहर मेवाड की पुत्री में कृष्णप्रेम की फुहार प्रगट होती है। वे केवल आनंद की प्राप्ति में पागल हो जाती है। और कृष्ण में समाहित हो जाती हैं। मीरा धरती का अद्भुत चमत्कार हैं।  मीराबाई के कृष्ण प्रेम की प्रसादी उनके पद हैं। ये शब्द से उपर श्लोक बन जाते हैं ! आज मीराबाई ने ये बात मुझसे रखवाकर मुझ पर कृपा बरसाई...आनन्द !

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Dr.Brijeshkumar Chandrarav
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Wednesday, December 20, 2023

The Similarity.
December 20, 20230 Comments

When similarity comes in our life,

Body reacted inner Happiness...!

आखिर मनुष्य जीवन की आत्मिक उम्मीद यहीं हैं...आनंद !!

मनुष्य के रुप में हम कईं उम्मीदों को पालते हैं। हमारे भीतर जो चाह उठती हैं, शायद उसी को हम उम्मीद कहते हैं। कुछ पा लेने की जरूरत महसूस होती है तब जीवन कोई सफलता के पडाव पे अपना मुकाम बनाता हैं। और शुरु होती है, एक सफर...उसे में आनंद सहेलगाह कहता हूं।
ईश्वर की अनजान करामाती हरकतें हरेक जीवन को एक बेहतरीन मोड देने के लिए सक्षम हैं।

The similarity


जीवन में कुछ ऐसा माहोल अंगड़ाई लेता हैं और कुछ नयी उड़ान की तैयारी शुरू होती हैं। मनुष्य के रुप में जब हम पैदा हुए, ईश्वर ने हमारें वर्तन पर ही हमारी उत्कृष्ठ उडान लिख दी हैं। इसे हम भाग्य कहते हैं। या फिर गतजन्म के कर्मफल भी कहते हैं। मुझे तो ऐसा महसूस होता है कि, जब संवेदनाएँ- ईमोशन्स बहतरीन मार्ग प्रशस्त करें तब जीवन की उडान अच्छी लगती हैं। इसके बीना भी किसीको परेशान करके या अपनी बुद्धिमता से कुछ पा लेने की हरकतों से उडान या सफलता पाई जाती हैं। लेकिन उस उडान की ऊँचाई कहाँ तक ? उस उडने वालें को पता..! हमें ऊची उडान की तालीम दी जाती है। उससे एक संकुचित सफर निर्माण होगी। साथ इससे मिलने वाली सफलता का तो क्या कहना ?! उससे जीवनभर की घुटन से ज्यादा क्या मिलेगा ?

जीवन कुछ अच्छी सोच से संवर्धित होता हैं, दूसरों का विचार करते हुए अपने जीवन का मकसद समझ में आता है। प्रकृति की निरव शान्ति में भी गूंज हमें सुनाई पडती हैं। पंछी के गीत के कुछ शब्द बनते हैं, कोई दृश्य आकार धारण करता है। भीतर कुछ अच्छा महसूस होने लगता है। जीवन कोई मकसद को पालता हैं, जिनमें निमित्त कारण का भाव प्रकट होता हैं। तब कुछ आकारित होगा वो बहतरीन होगा। अपना शरीर भी खूबसूरत बननें लगता हैं, मतलब मनुष्य के रूप में जो स्वरूप चाहिए वो सहज निर्माण होगा। ईसे हम खुबसूरती कहते है। ईश्वर के स्पर्श वाली अलौकिक खुबसूरती...!
चलों चलें कुछ ऐसी बहतरीन सफर पे...!

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Tuesday, December 12, 2023

AN HONESTY...!
December 12, 20230 Comments

 Honesty is the fragrance of Humanity.

प्रामाणिकता बडी कीमती हैं, मानवता की महेंक हैं।

An honest man is always child - Socrates. प्रामाणिक व्यक्ति हरहंमेश बालक की तरह होता हैं। ये सोक्रेटिसजी का बहुत बडा विचार वाक्य हैं। मैंने पहले भी ब्लोग के जरिए कहा था कि, सत्य है वो ज्ञान ही हैं। और ज्ञान की असर भी सत्यात्मक होती हैं। ब्रह्मांड में जो बात सनातन महसूस होती हैं वो ईश्वर की सैध्दांतिक बानी हैं।

Honesty

आज इस छोटे से वाक्य में जो बडी बात छिपी है, उनकी बात छेडता हूँ। थोड़ा-सा समझदार, छोटा-सा बालक...हम उसे जो भी पूछते हैं, उनका वो अपनी समझ के हिसाब से प्रामाणिक उत्तर देता हैं। प्रामाणिक का सबसे अच्छा प्रदर्शन बच्चें ही करते हैं। " जो है वो " सही क्या ? गलत क्या ? कुछ पता नहीं। जो जैसा है वैसा दिखता हैं, जब उनका वर्णन भी हूबहू शब्दों से होता है, तब जो अभिप्राय बनता हैं वो प्रामाणिक कहलाता हैं। ये वर्तन दोनों पक्षों में बडा ही लाज़वाब दिखाई पडता हैं। बच्चा कुछ छुपाता नहीं। जो देखता हैं, जो सुनता है वैसा ही सहज वर्तन करता हैं। इसीलिए बच्चों का वर्तन सबसे अच्छा माना गया हैं। जो बच्चा हैं, वो अक्सर प्रामाणिक है। ऐसा स्पष्ट प्रतिपादित होता हैं। लेकिन बात कुछ उपर हैं। बात कुछ अलग हैं।

प्रामाणिक मनुष्य बच्चे जैसा हैं। ये बात जरा हटके हैं। तो प्रामाणिक बनें रहना जरुरी है। तो हम भी बच्चा बनें रहेंगे। बात कुछ अटपटी लग रही है ना ?! बिल्कुल अलग है। अक्सर प्रामाणिक वो ही बनते हैं जिनका मन बचपने से भरा हैं। जिनकी Imagination- कल्पनाशीलता में उम्र की कोई असर नहीं होती। जिनके इरादों में स्वार्थ नहीं हैं। वो सृष्टि के कण-कण से कृतज्ञता महसूस करते रहते हैं। उनका झगडा भी क्षण का और जीद भी थोड़ी... उनका बैठना,उठना और चलना सबको पसंद पडता हैं। वो अपने फायदों का विचार कम करते हैं। सब का भला जिनके भीतर समाया है, वो प्रामाणिक हैं। मनुष्य को सबसे अच्छा ही पसंद हैं। मनुष्य दुसरों के अच्छे व्यवहार से नतमस्तक भी होता हैं। मनुष्य को बच्चें सबसे ज्यादा पसंद होते हैं। बच्चों के साथ उनका व्यवहार भी सबसे अच्छा होता हैं। हम सब थोड़े-बहुत मनुष्य हैं न !? ये बात हमारी भी हैं। हमें भी अपना वर्तन...जब स्वार्थ से उपर हुआ होगा...तब खूब पसंद आया होगा। हमारे भीतर वो दृश्य आज भी संग्रहीत होगा। तब जो खुशी मिली होगी वो आज भी हमें याद होगी। क्योंकि वो थोड़ा-सा, छोटा-सा किरदार प्रामाणिक मनुष्य के रूप का था। उसे याद करके भी हमारा चेहरा खिल उठता हैं।

हम बचपन की निर्दोषता दबाने लगे तब से शायद हम प्रामाणिक नहीं रहें।
हम बडे होना सिखते हैं, सबसे अलग कुछ कर दिखाने की चानक चढती हैं। दुनिया की भीड में जब खो जाते हैं तब बचपना छूट जाता हैं। कहीं खो जाता है। सबके जीवन में एक समय तो ऐसा भी आया होगा...जब हमारें बचपनेवाले वर्तन पर कोई हँसा होगा। तब शायद हमने बचपना छोड दिया होगा। सहजता के रंगों में तब से मिलावट शुद्ध हुई होगी। शायद तब-से हम-सब प्रामाणिक बनना छोड़ते गए होंगे। हम बड़े बनते गए...प्रामाणिक बनें रहना मतलब मनुष्य जीवन में से सबकुछ छूट जाना..! हम सब कुछ छोड़ने वाले ईन्सान नहीं रहना चाहते।
So we are not always child, because we do not try for it.

But I'm small ThoughtBird.🐣
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Tuesday, December 5, 2023

Theater of creation.
December 05, 20231 Comments

 सृष्टि का रंगमंच...!

ईश्वर-सृजला, ईशानंदा, ईशस्नेहा...सृष्टि !!

ईश्वरीय सृष्टि के हम अंश, मुट्ठीभर मिट्टी से बना एक नायाब किरदार...! सृष्टि की संपूर्ण विविधता में हम मनुष्य सबसे उपर हैं। शायद ईश्वर हमसे कुछ करवाना चाहते हैं। हमारे निमित्त तले वो लाजवाब कारनामें करते हैं। ईश्वर ने मनुष्य की श्रेष्ठता शायद इसी उम्मीद पर बनाए रखी हैं। मनुष्य के रुप में हमें जो किरदार मिला है, उसे बखूबी निभाने का दमदार प्रयास ही हमारा प्राकृतिक आनंद बन सकता हैं। क्योंकी हम सृष्टि के रंगमंच की कठपुतलियां से ज्यादा कुछ नहीं।  William Shakespeare says, "The world is a stage and we are all puppets of this beautiful show called LIFE."


कुदरत का दिया हुआ Role, ईश्वर का बनाया चरित्र, उनके ही संवाद और उनकी दी हुई समय मर्यादा। उनकी दी हुर्ई बुद्धि से अपने-अपने किरदार को रुआबदार बनाना। हकीक़त ये है कि ये रुतबा भी ईश्वर की कमाल हैं।

सुबह होती है, सूरज की किरनों से धरती प्रकाशमान हो उठती हैं। माऩों सृष्टि के रंगमंच पर सभी जीव-जंतु, मानव-पशु-पंखीओं के पाठ शुरु हो गए। संतोष और असंतोष से भरी भागदौड के बीच कईं जिंदगियां अपने साँसों की गति को तेज करती हैं। कोई खेलता है, कोई गाता है, कोई नाचता है, कोई अपने आप को लूपाता-छूपाता हैं। कोई बहादुरी के स्वांग सजाता हैं। कोई कपट के रंग लेकर खडा हैं। कोई बेवफाई से नाता झोड लेता हैं। कोई एक दिन की रोटी के लिए कोई पुरखों तक चलने वाली धन दौलत के पीछे पडा है। कोई निरांत के श्वास ढूँढता हैं। किसी को नशा है सत्ता का...कोई नशे में ही हैं। ये हैं जिंदगी की रफ़्तार..! सृष्टि के रंगमंच पर ऐसे लाखों दृश्य अपने-अपने पराक्रम को प्रकट करते हैं। इसे मैं अपने अस्तित्व का प्रेजेंटेशन कहकर आगे बढ़ता हूं।

सृष्टि के रंगमंच का सबसे बेहतरीन किरदार कौन-सा हैं ?
स्वयं ईश्वर भी किस तरह के किरदार से वाकई प्रसन्न होंगे ?

वो किरदार, जब भी रंगमंच पर फॉक्स्ड होता है, तब तालियों की बौछार होती हैं। जब कोई किरदार किसी दूसरें के संग अलौकिक संबंध निर्माण करता हैं। मैं तो कहता हूं...ये भी ईश्वर की ही कोई करामात होगी। जब सूरज निकलता है...और सृष्टि के दो पात्रों का मिलन एक उत्सव बन जाता हैं। उनके चेहरें का स्मित समर्पण प्रकट करता हैं। दो चरित्रों के संवाद एक होने लगते है। एक दूसरों के सपनों में एकत्व का संचार होने लगता हैं। एकमेव पारस्परिक सख्य का दृश्य आनंद ईश्वर को प्रसन्न करने वाला होगा। सृष्टि के रंगमंच का ये बहतरीन किरदार हैं। शांत-निर्मल झरनों के बहाव का संगीत व पावित्र्य इन किरदार में से सहज ही प्रकट होंगे। प्रेमतत्व से बंधा ईश्वर का पसन्दीदा किरदार...!!

सृष्टि के कोई कोनें में दो जीवों का अप्रतिम मिलन संभव होता हैं।  भिन्नताएं एकत्व के मार्ग पर चल पडती हैं। अप्रस्तुत ईश्वर अदृश्य होकर भी दो जीवों के 'अद्वैत' का आनंद लेते हैं। ये सृजन भी ईश्वर का ही हैं। उनके आनंद पात्रों के रुपमें कौन पसंद होता हैं ? सृष्टि के कौन-से किरदार पर ईश्वर की अमीदृष्टी पडती हैं, क्या पता !? ये बेमिसाल किरदार वाला फॉर्म्युला गजब का हैं। सृष्टि के रंगमंच का आनंदृश्य...!

"आनंदविश्व सहेलगाह" कुछ  विचार रखकर खूश हैं। शायद ईश्वर ने दिया हुआ ये मेरा किरदार हैं। उसे अच्छी तरह से निभाने की शक्ति भी वो ही देंगे..! ऐसी अतूट श्रद्धा के साथ....!!

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Who is soulmate ?

  'आत्मसाथी' एक शब्द से उपर हैं !  जीवन सफर का उत्कृष्ठ जुड़ाव व महसूसी का पड़ाव !! शब्द की बात अनुभूति में बदलकर पढेंगे तो सहज ही आ...

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