AN HONESTY...! - Dr.Brieshkumar Chandrarav

Tuesday, December 12, 2023

AN HONESTY...!

 Honesty is the fragrance of Humanity.

प्रामाणिकता बडी कीमती हैं, मानवता की महेंक हैं।

An honest man is always child - Socrates. प्रामाणिक व्यक्ति हरहंमेश बालक की तरह होता हैं। ये सोक्रेटिसजी का बहुत बडा विचार वाक्य हैं। मैंने पहले भी ब्लोग के जरिए कहा था कि, सत्य है वो ज्ञान ही हैं। और ज्ञान की असर भी सत्यात्मक होती हैं। ब्रह्मांड में जो बात सनातन महसूस होती हैं वो ईश्वर की सैध्दांतिक बानी हैं।

Honesty

आज इस छोटे से वाक्य में जो बडी बात छिपी है, उनकी बात छेडता हूँ। थोड़ा-सा समझदार, छोटा-सा बालक...हम उसे जो भी पूछते हैं, उनका वो अपनी समझ के हिसाब से प्रामाणिक उत्तर देता हैं। प्रामाणिक का सबसे अच्छा प्रदर्शन बच्चें ही करते हैं। " जो है वो " सही क्या ? गलत क्या ? कुछ पता नहीं। जो जैसा है वैसा दिखता हैं, जब उनका वर्णन भी हूबहू शब्दों से होता है, तब जो अभिप्राय बनता हैं वो प्रामाणिक कहलाता हैं। ये वर्तन दोनों पक्षों में बडा ही लाज़वाब दिखाई पडता हैं। बच्चा कुछ छुपाता नहीं। जो देखता हैं, जो सुनता है वैसा ही सहज वर्तन करता हैं। इसीलिए बच्चों का वर्तन सबसे अच्छा माना गया हैं। जो बच्चा हैं, वो अक्सर प्रामाणिक है। ऐसा स्पष्ट प्रतिपादित होता हैं। लेकिन बात कुछ उपर हैं। बात कुछ अलग हैं।

प्रामाणिक मनुष्य बच्चे जैसा हैं। ये बात जरा हटके हैं। तो प्रामाणिक बनें रहना जरुरी है। तो हम भी बच्चा बनें रहेंगे। बात कुछ अटपटी लग रही है ना ?! बिल्कुल अलग है। अक्सर प्रामाणिक वो ही बनते हैं जिनका मन बचपने से भरा हैं। जिनकी Imagination- कल्पनाशीलता में उम्र की कोई असर नहीं होती। जिनके इरादों में स्वार्थ नहीं हैं। वो सृष्टि के कण-कण से कृतज्ञता महसूस करते रहते हैं। उनका झगडा भी क्षण का और जीद भी थोड़ी... उनका बैठना,उठना और चलना सबको पसंद पडता हैं। वो अपने फायदों का विचार कम करते हैं। सब का भला जिनके भीतर समाया है, वो प्रामाणिक हैं। मनुष्य को सबसे अच्छा ही पसंद हैं। मनुष्य दुसरों के अच्छे व्यवहार से नतमस्तक भी होता हैं। मनुष्य को बच्चें सबसे ज्यादा पसंद होते हैं। बच्चों के साथ उनका व्यवहार भी सबसे अच्छा होता हैं। हम सब थोड़े-बहुत मनुष्य हैं न !? ये बात हमारी भी हैं। हमें भी अपना वर्तन...जब स्वार्थ से उपर हुआ होगा...तब खूब पसंद आया होगा। हमारे भीतर वो दृश्य आज भी संग्रहीत होगा। तब जो खुशी मिली होगी वो आज भी हमें याद होगी। क्योंकि वो थोड़ा-सा, छोटा-सा किरदार प्रामाणिक मनुष्य के रूप का था। उसे याद करके भी हमारा चेहरा खिल उठता हैं।

हम बचपन की निर्दोषता दबाने लगे तब से शायद हम प्रामाणिक नहीं रहें।
हम बडे होना सिखते हैं, सबसे अलग कुछ कर दिखाने की चानक चढती हैं। दुनिया की भीड में जब खो जाते हैं तब बचपना छूट जाता हैं। कहीं खो जाता है। सबके जीवन में एक समय तो ऐसा भी आया होगा...जब हमारें बचपनेवाले वर्तन पर कोई हँसा होगा। तब शायद हमने बचपना छोड दिया होगा। सहजता के रंगों में तब से मिलावट शुद्ध हुई होगी। शायद तब-से हम-सब प्रामाणिक बनना छोड़ते गए होंगे। हम बड़े बनते गए...प्रामाणिक बनें रहना मतलब मनुष्य जीवन में से सबकुछ छूट जाना..! हम सब कुछ छोड़ने वाले ईन्सान नहीं रहना चाहते।
So we are not always child, because we do not try for it.

But I'm small ThoughtBird.🐣
Dr.Brajeshkumar Chandrarav.
Gandhinagar, Gujarat.
INDIA.
dr.brij59@gmail.com
09428312234

No comments:

Thanks 👏 to read blog.I'm very grateful to YOU.

Quality of life..!

The quality of your thinking  determines the quality of your life. आपकी सोच की गुणवत्ता आपके जीवन की  गुणवत्ता निर्धारित करती है। जीवन आखिर...

@Mox Infotech


Copyright © | Dr.Brieshkumar Chandrarav
Disclaimer | Privacy Policy | Terms and conditions | About us | Contact us