November 2022 - Dr.Brieshkumar Chandrarav

Wednesday, November 30, 2022

ईश्वर की प्रेम दुनिया...!!
November 30, 20220 Comments

ईश्वर की प्रेम दुनिया !!


ईश्वर की दुनिया ही अनोखी हैं। प्रेममय ईश्वर सृष्टि में इसे हरदम स्थापित करना चाहते होंगे। युगों से मनुष्य की उडान प्रेम शक्ति से ही बहतरीन रही हैं। नफरत हिंसा और डर से विश्व में असुरक्षा-असुविधा ही फैलती है।

ईश्वर को ये कभी पसंद होगा क्या ?? ईश्वर की दी गई शक्ति का योग्य इस्तेमाल न करना भी उनके साथ किया गया द्रोह ही कहलाएगा। सभी मनुष्य को कोई न कोई उडान भरनी हैं, किसी क्षेत्र में सफलता हासिल करनी है। जिसके दिलोदिमाग मेंं ये बात अंकित हो गई वो अपने प्रयासों से थकान महसूस नहीं करेगा। वो निरंतरता को अपना साथी बना देता है। ओर ये सातत्य के कारण वो सफल होता हैं। जीवन जीवित हैं और जीवंत हैं, उसमें काफी भेद है। जीवन को जीवंत बनाने के लिए सतत प्रेम की आवश्यकता होगी। ईश्वर स्वयं प्रेम हैं। उसी शक्ति के जरिए हमें भी प्रेम ही सिखाना हैं। इसकी अनुभूति के लिए ईश्वर की बनाई हर चिज को पूरे ममत्व से महसूस करते रहना होगा। प्रकृति में ये प्रेम संभावनाएँ भरी हुई हैं। ईश्वर ने खुद ये उत्कृष्ट सृजन हमारे हरपल के संगाथ को कायम करने के लिए किया है। ईश्वरीय दुनिया ही मानवमन को जीवंतता प्रदान करने हेतु प्रेरित हैं। 

हमें आनंदविश्व की सहलगाह को प्रेममय बनना है। संयोग है कि हम मनुष्य के रूप में ये कर सकते हैं। ईश्वर की ही करामाती से अपनी उडान मेंं कुछ अनोखे रंग भर सकते हैं। ईश्वर की रंगत मे कमी नहीं है, हमें उन रंगों का दृश्य भाव हमारे भीतर आकारित करना है। ईश्वर की रंगत का संयोजन बनकर हम आनंद विश्व की सहलगाह को नए रंगों से भर देंगे.... आपके साथ उडान के लिए मैं..भी तैयार हूँ। डॉ.ब्रजेश 💐 9428312234



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Sunday, November 27, 2022

ईश्वर हमसे बातें करें...!!
November 27, 20220 Comments
ईश्वर हमसे बातें करे ,,,!!

ईश्वर हमें कुछ कहना चाहता है। हर पल.हमारे साथ जीने वाले, हमारे श्वास से हृदय की धडकन को चलाने वाले ईश्वर को हमसे बात करना भी अच्छा लगता होगा। लेकिन हममें वो आवाज सुनने की शायद फूरसत। नहीं है। भौतिक दुनिया में ओर अपनी ही बुद्धिमानी अपने दिल-दिमाग पर कब्जा कर बैठी है...!! पूरे विश्व ओर  ब्रह्माण्ड को बनाने वाला ईश्वर पंचतत्वों से हमसे जुड़ा है।इसके जरिए वो हमसे जुड़ा रहता है... वो भी हमसफर बनके... Friend, Father and philosopher बनकर...☺️ 

हमें उनकी आवाज को सुनने का एक प्रयास हररोज करते रहना चाहिए। ईश्वर को सुनने की हमारी तत्परता शायद उन्हें पसंद आए और वो हमसे बात करें। विश्व की इस सहलगाह मे कुछ भी मुमकिन है। हमें उनके उपर अप्रतिम श्रद्धा रखनी होगी। बस हमें यह छोटा सा कर्म करना है। 

ईश्वर आनंद विश्व की योजना ही आकारित करना चाहते होंगे। हमें बहतरीन मार्ग के निमित्त बनने की ईश्वर कृपा करें.... आपके डॉ.ब्रजेश कुमार की शुभ कामनाएं 💐

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Friday, November 25, 2022

प्रकृति का नियम...!!
November 25, 20220 Comments
प्रकृति का नियम !!

कुदरत, ईश्वर,प्रभु जो कुछ भी कहों। प्रकृति का सृजन करनेवाला, या विश्व की नियमितता का नियंता कहो। कोई तो अदृश्य शक्ति है जो इस संसार का नियमन करती हैं। ईसी शक्ति के नियम भी होंगे। शायद कुछ ईसी तरह के.... अनुमान है। कुदरत के सभी अंग सुरक्षितता से पारस्परिक अनुराग से दूसरे को पिडित किए बिना ओर समर्पित सहयोग से जिए। इस चैतन्य धरातल पर आनंद पूर्वक अपना जीवन विकसित करें। सृष्टि में कई येसे भी जीव हैं, जो अपना सामर्थ्य स्थापित नहीं कर सकते। उन सबको साथ में लेकर ईश्वर के आनंद को कायम करे। लेकिन जब ये कडी तूटती हैं तब कुछ अमानवीयता प्रकट होती है। 

विश्व में अलगाव और व्यक्तिहित या समूहहित की असमंजसता पैदा होने लगती हैं। बुद्धि कोई अनुचित लाभ मैं बहनें लगती हैं। एक ही उदाहरण देता हूँ। Naturalism प्रकृतिवाद या उत्क्रांति की सफर मे डायनासोर नामक प्राणी ने हजारों साल पहले लाखों करोड़ों जीवों का जीवन खतरें मे डाल दिया था। आज वो लूप्त प्रजाति में गिना जाता है। लेकिन हजारों सालों से हाथी जीवित है आज भी उसका अस्तित्व कायम हैं। क्योंकि इस महाकाय प्राणी ने अन्यों को पिडित नहीं किया है। उसकी अद्भुत शक्ति को हम सभी जानते हैं। 

बस ये लुप्तता की बात को याद रखकर हमें आनंद विश्व की सहेलगाह को ईश्वरीय अंश कि अनुभूति में जीवन जीना हैं। ममैवंशो जीवलोके जीवभूतः सनातन: ।। इस गीताकार कि योजना में संमिलित आपका डॉ.ब्रजेशकुमार 😊 💐 9428312234 
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Wednesday, November 23, 2022

कुदरत ही कुदरत...!!
November 23, 20220 Comments
कुदरत ही कुदरत  !!

कुदरत द्वारा आकारीत चैतन्यता की अनुभूति करना हमारा मानवीय दृष्टिकोण होना चाहिए। ईश्वर ने हमें इस संसार में अनुभूत संचरण का साक्षात्कार करने एवं उनकी योजना में ही मस्त रह कर कर्तव्य पालन करते जीवन जीने भेजा है। उन्होंने अविश्रान्त रुप से आनंद की अनुभूति के साथ अनुस्यूत रहना सिखाया है। विश्व की झड चेतन दुनिया पारस्परिक अनुबंध में ही निर्भर है। इस अवलंबन मे से ही हमारे वैयक्तिक संबंध निर्माण होते हैं। इसमें कोई अनुचितता प्रवेश करेगी तो व्यक्तिगत विफलता प्रकट होगी। कभी कभी असत्यता का भी सफल होना संभव है लेकिन कुदरत की नजरों से बच गए येसा नहीं। आज खुबसूरत हैं ये हमें लगता है लेकिन हमें कुदरत की खुबसूरती वाली सुबह चाहिए। 

उनकी सजावट में कभी कमीं नहीं हो सकती। कुदरत की बनाई पुष्प-वन-उपवनों की दुनिया में कोई कमी है क्या ? एक किटक की भी अहमियत कुदरत ने कायम की है। हमें मनुष्य के रुप में बुद्धि और भाषिक जीवन दिया है इसका मतलब ये हरगिज़ नहीं है कि हम सब पर अधिकारत्व स्थापित करें। 

कुदरत कुदरत ही है। विश्व क़ो आनंदमयी अवस्था में देखना ही उसका मकसद होगा। तभी तो हमें दील को छू लेने वालीं बातें या बर्ताव एक अलग अहसास करवाती है। ये ह्रदय की परिभाषा ही कुदरत की सनातन परिभाषा त़ो नहीं...!!

शायद कुदरत आनंदविश्व की सहेलगाही के लिए हमें प्राकृतिक संवेदना व्यक्त करने को प्रेरित करता हैं।  ईश्वर की पसंदीदा राह में चलने के प्रयास में आपका डॉ.ब्रजेशकुमार 💐😊
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Sunday, November 20, 2022

विश्व नियंता की कुछ तो योजना होगी....!!
November 20, 20220 Comments
                       विश्व नियंता की कुछ तो योजना होगी !!

सृष्टि का नियमन करनेवाली शक्ति को हम विश्व नियंता कहते हैं। सूर्य,चंद्र,तारें,नदी, समुद्र और पर्वत का सृजन करनेवाली ईश्वरीय शक्ति का कोई न कोई मकसद होगा।ये अकस्मात या कोई अनहेतु या अनर्पेक्ष कुछ नहीं होगा। ये संयोग भी नहीं है... ये मानव-पशु-पंखी-किटक ओर झड-चेतन के सहचर्य का प्रकृतिक माहोल हैं। हम सब इस भूमंडलीकरण के उपकरण हैं। मानव है, बुद्धि से जीने वाले हैं। इस बुद्धिमत्ता के कारणों से हम उस पर अधिकार या अपना प्रभुत्व कायम करने की चेष्टा करते हैं। शायद यह गलती हम सहजता से या स्वार्थों के कारण करते हैं। 

we need to start thinking with our soul.  आत्मा की परीभाषा को सुनने की जरूरत है। ईश्वरिय शक्ति हमारे जरिए इस संसार में कुछ करवाने के लिए तैयार है। इसीलिए समस्त विश्व में संभावनाएँ ही संभावनाएँ भरी पड़ी है। हमें कुदरत और प्रकृति की सुंदर आवाज को सुनना होगा। 

आनंदविश्व की सहलगाह को बहतरीन मोड देने हम तैयार है क्या ? आइए जानें समजे ओर अपने मन की सुनें, कुछ करने के जज्बे को संवार दे। आपका ब्रजेश कुछ विचार से...आपके साथ आपका डॉ.ब्रजेश आनंदविश्व की ओर..!! 👍😊 
9428312234
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Friday, November 18, 2022

ईश्वर सनातन सर्वत्र...!!
November 18, 20220 Comments
ईश्वर सनातन सर्वत्र !!


पृथ्वी के निर्माण से ही कोई अक्षय,अविश्रान्त रूप से कार्य कर रहा है। ये न दिखाई देने वाली ओर फिर भी निरंतरीत नियमितता से सृष्टि का बखूबी नियमन करनेवाली शक्ति को हम ईश्वर के नाम से जानते हैं। कोई धर्म सम्पदाय के कारन कोई व्यक्ति विशेष की विचारधारा से कोई आकृति निर्माण हुई। ये भी हमारे ईश्वरका रुप धारण करके श्रद्धा का कारन बन गई हैं। 

श्रद्धा से ही हमारे हृदय में भावनात्मकता जन्म लेती हैं।ये भाव ही प्रेम का रूप हैं। प्रेम से ही ममत्व -समता समानता पैदा हुए हैं। ईश्वर को ये समत्व एवं प्रेम से ही अनुराग हैं। सृष्टि की जीवसृष्टि इसके अमूल्य संचरण से ही स्वस्थ और सुखी बनेगी। ईश्वरने  येसी ही सृष्टि का सृजन किया है। 

हमारे लिए भी इस विचारत्व से जीने का प्रयास करना मुनासिब होगा।
 तभी हम सब  ईश्वर की आनंदविश्व की सहेलगाह को आनंदपूर्व तरीक़े से जी पाएंगे ....!!
आनंद विश्व की कल्पना में आपका डॉ.बृजेशकुमार 💐😊942831223
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Tuesday, November 15, 2022

प्रकृतिविश्व...!!
November 15, 20220 Comments
प्रकृति विश्व !!

प्रकृति यानी ईश्वर। हम सब प्रकृति के ही अंश है। ईश्वर की निर्मिति ही पंचमहाभूत कहलाती हैं। सारे विश्व में इन्ही आधार पर नियंता का नियमन हैं। हजारों साल पहले श्री कृष्ण ने ये बात भगवद गीता के माध्यम से हमें बताई है। प्रेम स्वरूप ईश्वर पारस्परिक अनुबंध-सख्य और नितांत एकमेव पारस्परिक निर्भरता कि बात का ही अनुमोदन करता हैं। 

आज मानव मात्र को प्राकृतिक सांनिध्य मे जीना मुनासिब होगा। संताप से मुक्ति एवं जीवन के प्राकृतिक आनंद कि अनुभूति का ये ईश्वरिय मार्ग हैं। आनंद विश्व सहेलगाह का वैचारिक कदम समाज जीवन में नई चेतना का संचार करेगा ऐसा दृढ़संकल्प से लिखाई शुरू की हैं।

आनंद विश्व की सहेलगाह में आपका डॉ.ब्रजेशकुमार...!! 💐
9428312234 
Gandhinagar Gujarat INDIA 
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Sunday, November 13, 2022

हमारा राष्ट्र
November 13, 20220 Comments
हमारा राष्ट्र । 

राष्ट्र से बहतर कुछ भी नहीं है। एक व्यक्ति के रूप में हमें जो कुछ करना है देश को ध्यान में रखकर ही करना है। मेरी सुबह देश के लिए ही संभव हुई हैं ये भाव मुझे सामर्थ्यवान बनाने के लिए सक्षम हैं। मैं एक शिक्षक के रूप में अपने छात्रों को देख कुछ येसी राष्ट्र प्रति कर्तृत्व संभावनाएँ महसूस करते हुए आनंदित हूँ। मेरे पास आए हुए मासूमों से मुझे राष्ट्र गौरव की संस्कारिता प्रकट करवाने का उमदा कार्य निर्वाहन करना है। इस से मैं आनंदित हूँ। 
जीवन का एक नया मोड लेखन से शुरू करता हूँ। संवेदन प्रकट करने का विनम्रतापूर्वक प्रयास हैं। राष्ट्र के संस्कार से राष्ट्र को अर्पित कर नए कदम उठाए जा रहा हूं। विचार यात्रा में आपका अभिवादन करता हूं।

कर्म धर्म सब राष्ट्र को अर्पित ये भाव में जीना भी मेरे आनंद विश्व की सहेलगाह हैं  ईस धरातल पर आनंद विश्व की परिकल्पना में आपका डॉ.ब्रजेशकुमार !!

Your ThoughtBird 
Dr.Brijeshkumar Chandrarav
 Gandhinagar
 Gujarat INDIA 
dr.brij59@gmail.com 
09428312234
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Who is soulmate ?

  'आत्मसाथी' एक शब्द से उपर हैं !  जीवन सफर का उत्कृष्ठ जुड़ाव व महसूसी का पड़ाव !! शब्द की बात अनुभूति में बदलकर पढेंगे तो सहज ही आ...

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