ईश्वर सनातन सर्वत्र !!
पृथ्वी के निर्माण से ही कोई अक्षय,अविश्रान्त रूप से कार्य कर रहा है। ये न दिखाई देने वाली ओर फिर भी निरंतरीत नियमितता से सृष्टि का बखूबी नियमन करनेवाली शक्ति को हम ईश्वर के नाम से जानते हैं। कोई धर्म सम्पदाय के कारन कोई व्यक्ति विशेष की विचारधारा से कोई आकृति निर्माण हुई। ये भी हमारे ईश्वरका रुप धारण करके श्रद्धा का कारन बन गई हैं।
श्रद्धा से ही हमारे हृदय में भावनात्मकता जन्म लेती हैं।ये भाव ही प्रेम का रूप हैं। प्रेम से ही ममत्व -समता समानता पैदा हुए हैं। ईश्वर को ये समत्व एवं प्रेम से ही अनुराग हैं। सृष्टि की जीवसृष्टि इसके अमूल्य संचरण से ही स्वस्थ और सुखी बनेगी। ईश्वरने येसी ही सृष्टि का सृजन किया है।
हमारे लिए भी इस विचारत्व से जीने का प्रयास करना मुनासिब होगा। तभी हम सब ईश्वर की आनंदविश्व की सहेलगाह को आनंदपूर्व तरीक़े से जी पाएंगे....!! आनंद विश्व की कल्पना में..
आपका डॉ.बृजेशकुमार 💐😊
Gandhinagar, Gujarat
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