When words touch to US...!
बॉलीवुड में 2013 में एक फिल्म आई थी...Raanjhanaa रांजना..! उसके डायरेक्टर थे आनंद राय। फिल्म की पटकथा हिमांशु शर्माने लिखी थी। उस फिल्म के सोंग इर्शाद कामिल द्वारा लिखे गए थे। और मशहूर संगीतकार ए.आर रहेमान ने कम्पोज के साथ म्युजिक दिया था। उस फिल्म के एक दिल के दरवाजे पर दस्तक देनेवाले बहतरीन गीत की बात करता हूं। इस गीत को जावेद अली, कीर्ति सागठीया और पूजा द्वारा गाया हुआ था। इस गीत को सुनना बहुत ही सुंदर अनुभव होगा। बेहतरीन संगीत और सूर मानो एक हो गये हैं। शब्द भी बड़े ही सुहावने हैं।
पहले थोड़े शब्द पढकर आगे जाए उससे पहले एक छोटी-सी गुजारिश हैं, गीत को सुनते या पढते वक्त ईश्वर को सामने रखना हैं। एक प्रार्थना के रुप में हमारे मन में भाव उठे इस तरह अनुभव करना हैं।
"तुम तक तुम तक अर्ज़ी मेरी,
फिर तेरी जो मर्ज़ी मेरी,
हर दुश्वारी बस तुम तक,
मेरी हर होशियारी बस तुम तक,
मेरी हर तैयारी बस तुम तक,
तुम तक तुम तक तुम तक तुम तक,
मेरी इश्क़ खुमारी बस तुम तक"
हे ! भगवान मेरी मात्र अर्ज़ी होगी, मर्ज़ी तेरी होगी। मेरी (दुश्वारी) मुश्किलें तेरे आने तक ही होगी, फिर सब ठीक हो जाएगा। तेरे आगे मेरी होशियारी भी कुछ नहीं। बस, ये मेरे प्रेम की खुमारी हैं। अब आगे पढना हैं...!
"तुम तक चला हूँ तुम तक,
चलूँगा तुम तक मिला हूँ तुम तक,
मिलूँगा तुम तक चला हूँ तुम तक"
मैं तेरी कृपा से चलना चाहता हूं, तुमसे ही मिलना भी चाहता हूं। मेरी हर गति तुम्हारे तरफ़ ही हैं। तेरी कृपा की श्रद्धा मुझमें कायम स्थापित हैं। इसीलिए तुम तक ही मेरी कामनाएं फैली हैं। अब आगे कुछ पंक्तियां देखते हैं। इस गीत को एक बार तो जरुर सुनना। मजा न आए ऐसा हो ही नहीं सकता।
"मेरी अकल दीवानी तुम तक,
मेरी सकल जवानी तुम तक,
मेरी ख़तम कहानी बस तुम तक"
मैं मेरी बुद्धि तुझे समर्पित करता हूं। मेरी जवानी की हरेक उड़ान में तुम हो। मेरे जीवन की कहानी तुम्हीं हो। इस जिंदगानी का आखरी पड़ाव भी तुम हो। वैसे तो हम हमारी शक्ति को अदृश्य शक्ति की कृपा समझते है, उनकी मर्ज़ी से मेरी सभी हरकतें हैं। इस विचार को मैं आध्यात्मिकता समझता हूं। इससे आगे इस विचार को में हकारात्मक दृष्टिकोण समझता हूं। प्रकृति में जो परिवर्तन होते रहते हैं, वो सहज ही अदृश्य शक्ति के इशारे पर निर्भर हैं। हम भी प्रकृति में से उठ खडे हुए जीव हैं। लेकिन बुद्धि की देन के कारण कुछ विचित्र सोच भी पालते रहे हैं। ईश्वर की निर्मिति का ज्ञान होते हुए भी हम कुछ सवाल खडे करके खुद ही संकुचित सोच में पड़ जाते हैं। हमारी प्राप्ति शायद अभिमान बन जाती हैं।
शब्द हमें सोच देते हैं। शब्द हमें विचार देते हैं। इस तरह शब्द हमें जीवन का सही अर्थ भी देते हैं। शब्द हमें जीवन का मार्गदर्शन भी करते हैं। शर्त केवल इतनी है की हमें ईश्वर को 'तुम तक तुम तक...!' कहते रहना हैं, जब वो हाँ कहकर आवाज दे तब तक ...!
Listen song.
https://youtu.be/k09uvR5eUao?si=l8a44ROpoJHjgNf7
आपका Thoughtbird 🐣
Dr.Brijeshkumar Chandrarav
Modasa, Aravalli,
Gujarat.
INDIA
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संगीत हमारे जीवन का अनमोल विचार है और एक आ आदत भीं
ReplyDeleteसंगीत हमें जीवन जीने की राह बताता है संगीता से जिंदगी की कई मुश्किल या दूर हो जाती है
इसीलिए हर कोई इंसान को संगीत से लगा व होना चाहिए
सही लिखा आपने, शब्द और संगीत प्रकृति, ईश्वर के करीब अनुभूति करने एक अनोखा माध्यम हैं।
ReplyDeleteफिल्म आजा नचले (2007) का गाना "ओ रे पिया" एक रोमांटिक कहानी के भीतर प्रस्तुत किया गया है, इसकी लालसा, समर्पण और गहरी भावनात्मक जुड़ाव की शक्तिशाली अभिव्यक्ति इसे भगवान से प्रार्थना के रूप में एक सुंदर व्याख्या की अनुमति देती है। "प्रिय" के लिए तड़प, परिवर्तित होने की भावना और मार्गदर्शन की तलाश की भावना सभी एक आत्मा की दिव्य तक पहुँचने की भावनाओं को दर्शाती है। गाना एक भावपूर्ण विनती, भक्ति की हार्दिक अभिव्यक्ति और एक ऐसे संबंध के गहन प्रभाव का प्रमाण बन जाता है जो साधारण से परे है।
ReplyDeleteमोरारी बापू अपनी राम कथाओं में बॉलीवुड के गानों जेसे मेरे हमसफ़र मेरे हमसफ़र, लग जा गले, अकेले हैं चले आओ और निगाहें मिलाने को जी चाहता है का प्रयोग करते हैं। यह उनकी कथा कहने की अनूठी शैली का एक हिस्सा है, जहाँ वे अक्सर लोकप्रिय सांस्कृतिक संदर्भों का उपयोग करके रामायण की शिक्षाओं को समकालीन जीवन से जोड़ते हैं और उन्हें व्यापक दर्शकों के लिए अधिक सुलभ बनाते हैं।
इन बातों से पता चलता है कि "गीतकार से बड़ा उसे गीत का व्याख्या कर है।" व्याख्याकार ही अपने मर्म से उन शब्दों में जान डालता है। सरजी आप भी बड़े और सुनने प्रिय व्याख्याकार है।
Thanks, Nikhibhai and Dineshbhai
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