The best definition of education. - Dr.Brieshkumar Chandrarav

Tuesday, July 15, 2025

The best definition of education.

परंपराएं शानदार ही होती हैं।

नया सिखने का मतलब ये कतई नहीं हैं,

की पुरखों की सभी मान्यताएं गलत थी।


"मैंने तुम्हें स्कूल में नईं चीज़े सिखने के लिए भेजा था। पूरानी चीज़े भूलने के लिए नहीं। पुराना भूला दे वो सभ्यता कल्याणकारी नहीं होती। जो सभ्यता पुरानी सभ्यता को भूला दे वो कितनी भी अच्छी क्यों न हो, वो ठीक नहीं।"

शब्दों में संवेदनशीलता हैं, आर्द्रता हैं। आगे सुने, बहुत अच्छा महसूस होगा। हम सब शिक्षित हैं, नये जमाने में रहते हैं। फिर भी शिक्षा के बारे में प्रयोग ही करते रहते हैं। कैसा सही रहेगा कैसा गलत !? इस स्थिति में काफी-कुछ भूलने लगे हैं। परंपरा की नींव मजबूत नहीं रही इसीलिए नयेपन के बंधी हो गए हैं। चलो फिर आगे...!


"शिक्षा दूर खडे व्यक्ति को पास लाने का काम करती हैं। जो पास खडे व्यक्ति को दूर ले जाने का काम नहीं करती। शिक्षा अमित्र को मित्र बनाने के लिए होती हैं। मित्र को अमित्र बनाने के लिए नहीं होती। आज मुझे स्कूल और विद्यालय में अंतर समझ में आ गया। स्कूलो में व्यक्ति को साक्षर बनाया जाता हैं। और विद्यालयो में व्यक्ति को शिक्षित किया जाता है। बेटा, में ग्रामीण परिवेश का व्यक्ति हूं। मुझे नहीं पता की साक्षरता कितनी कल्याणकारी है कितनी नही हैं। मैं चाहता हूँ , मुझे ये पता है की शिक्षा निश्चित रुप से कल्याणकारी हैं। मैं नहीं चाहता की तुम एक असंवेदनशील साक्षर व्यक्ति के रुप में जाने जाओ। मेरे लिए एक संवेदनशील निरक्षर व्यक्ति अधिक महत्वपूर्ण होगा।"


बहुत ही दिलचस्प शिक्षा विचार के शब्द हैं। दिल को छू लेनेवाले शब्दो के किरदार का परिचय करवाता हूँ। हिन्दी फिल्म जगत में 'आशुतोष राणा' एक बेहतरीन अदाकार हैं। और व्यक्ति के रुप में भी उनकी काफ़ी तारीफ़े होती रहती हैं। मैंने कुछ पहले एक पॉडकास्ट देखा था। उसमें ये बात कही गई थी। वो पॉडकास्ट में आसुतोष थे, रीचा होस्ट कर रही थी। 'रीचा अनिरुद्ध' एक जानी-पहचानी पॉडकास्टर हैं। Zindagi with Rich. टाइटिल के माध्यम से वो प्रोग्राम चलाती हैं। उस पॉडकास्ट टॉक में आसुतोष राणा ने अपने स्कूली अनुभव को सांझा करते हुए बताई थी। हाँलाकि ये शिक्षा संबंधित विचार उनके पिताजी के थे। आसुतोष और उनके भाईयो को एक क्राइस्ट चर्च बोर्डिंग स्कूल में भेजा गया था। ये क्राइस्टचर्च जबलपुर की ख्यातनाम स्कूल थी। वहां एक हफ्ते के बाद आसुतोष के पिताजी उनको मिलने के लिए आते हैं। बच्चों को सूट-बूट में देखते हैं। लेकिन एक बात उनको अच्छी नहीं लगती। स्कूल की सिविलइज्ड डिसिप्लिन के मरते नज़र रखते हुए बच्चोंने दूर से "गुड इवनिंग बाबूजी" कहा। आशुतोष कहते हैं : "बाबूजी को ये बात ठीक न लगी और स्कूल ही छुडवा दी।" इस घटना के उत्तर में आशुतोष के पिताजी ने जो कहा मैंने वो लिखा हैं। एक गाँव के आदमी के मन में शिक्षा की इतनी बडी स्पष्टता हैं। ये सुनकर वाकई में खुश हुआ। सोचा एक अच्छी बात ब्लोग के जरिए आप सबको बताऊँ।

मैं समझता हूं शिक्षा कभी भी अकल्याण को प्रेरित करने वाली नहीं होती। शिक्षा के संबंध में कईं मत हैं। लेकिन सबकी एक ही आवाज रही हैं,  शिक्षा से समाज उन्नत बनता हैं, शिक्षा से शांति व सौहार्द स्थापित होते हैं। शिक्षा स्वयं से ज़्यादा दूसरों का विचार करती हैं। शिक्षा मनुष्य का मूलभूत स्वभाव बने तो ही अच्छा हैं। जो शिक्षा पर-पीडन सिखाती हैं, दूसरों की अवहेलना सिखाती हैं या दूसरों को प्रयास पूर्वक पीछे धकेलने के षड्यंत्र करवाती है वो शिक्षा कतई नहीं हैं। ये मात्र वैयक्तिक या सामूहिक रुप से अपनी ही बरबादी हैं। एक ही उदाहरण और एक ही वाक्य में कहे तो मोहनदास करमचंद गांधी की महात्मा तक की सफर शिक्षा से ही संभव हुई हैं। ऐसे कईं चरित्रों से अपनी अपनी शिक्षा संकल्पना दृढ़ करे।

आपका Thoughtbird 🐣
Dr.Brijeshkumar Chandrarav
Modasa, Aravalli.
Gujarat. INDIA.
drbrijeshkumar.org
Dr.brij59@gmail.com
+91 942831223 

4 comments:

  1. शिक्षा का मूल्य व्यक्ति में बहुत अधिक होता है। यह न केवल ज्ञान और कौशल प्रदान करती है बल्कि व्यक्ति के चरित्र, नैतिकता और सामाजिक जिम्मेदारी को भी विकसित करती है शिक्षा व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाती है उसे जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करती है और उसे समाज और राष्ट्र के विकास में योगदान करने में सक्षम बनाती है
    शिक्षा व्यक्ति में निम्नलिखित मूल्यों को विकसित करती है
    ज्ञान और कौशल
    शिक्षा व्यक्ति को विभिन्न विषयों का ज्ञान प्रदान करती है और उसे विशिष्ट कौशल सीखने में मदद करती है जिससे वह बेहतर तरीके से काम कर सकता है और जीवन में सफल हो सकता है
    नैतिकता और चरित्र
    शिक्षा व्यक्ति को ईमानदारी, सहानुभूति, सम्मान और जिम्मेदारी जैसे नैतिक मूल्यों को सिखाती है, जो एक अच्छे इंसान बनने के लिए आवश्यक हैं
    सामाजिक जिम्मेदारी
    शिक्षा व्यक्ति को समाज और राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी का एहसास कराती है और उसे समाज के विकास में योगदान करने के लिए प्रेरित करती है
    आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता
    शिक्षा व्यक्ति को आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता प्रदान करती हैं जिससे वह जीवन की चुनौतियों का सामना करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होता है
    सहिष्णुता और समझ
    शिक्षा व्यक्ति को दूसरों के प्रति सहिष्णु और समझदार बनाती है और उसे विभिन्न संस्कृतियों और दृष्टिकोणों का सम्मान करना सिखाती है
    शिक्षा का मूल्य व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है यह न केवल व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से विकसित करता है, बल्कि समाज और राष्ट्र के विकास में भी योगदान देता है
    जे जे एस एल

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  2. शिक्षा की बढिया बात बताई आपने बहुत खुशी मिली।

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  3. I'm read all blogs sir ji

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Thanks 👏 to read blog.I'm very grateful to YOU.

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