"Love cannot be explained,
yet it explains all." Elif Shafak.
"प्यार को समझाया नहीं जा सकता,
फिर भी यह सब समझाता है।"
एलिफ़ शफ़क का बिलगिन; जन्म 25 अक्टूबर 1971) एक तुर्की-ब्रिटिश उपन्यासकार, निबंधकार, सार्वजनिक वक्ता, राजनीतिक वैज्ञानिक और कार्यकर्ता हैं। उनका अंग्रेजी- तुर्की भाषा पर प्रभुत्व हैं। उनकी स्पेनिश शिक्षा मिडल ईस्ट टेकनिकल यूनिवर्सिटि में हुई थी। अवधि 1990. तुर्की और अंग्रेजी में वो लिखती हैं। उन्होंने 21 किताबें प्रकाशित की हैं। वह अपने उपन्यासों के लिए सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं। जिनमें 'द बास्टर्ड ऑफ इस्तांबुल' 'द फोर्टी रूल्स ऑफ लव''थ्री डॉटर्स ऑफ ईव'और'10 मिनट्स 38 सेकेंड्स इन दिस स्ट्रेंज वर्ल्ड'शामिल हैं। www.elifshafak.com
चलों, वर्ल्ड बेस्ट महिला की बेस्ट बात को आगे ले जाएँ। जब कोई पागलपन की अनुभूति में जाकर लिखता है, और किसी भी तरह की मलिनता से दूर जाकर लिखता है वो लिखा हुआ मन को छूता हैं। उनका एक-एक शब्द और वाक्य भी दिल को छू लेता हैं। ये कोई तपस्या से कम नहीं। एलिफ़ शफ़क को प्यार भरा नमन..!
प्यार की बात करना सबके बस की बात नहीं हैं। और प्यार को लिखना तो और मुश्किल काम हैं। वैसे तो प्यार एक अहसास हैं, अनुभूति हैं। प्यार को समझाया नहीं जाता। वो खूद समझ जाता हैं। प्यार में दो की कल्पना ही नहीं कर सकते। एकत्व और अद्वैत की स्थिति का मात्र शब्दज्ञान होना पर्याप्त नहीं हैं। शब्द की चमक-दमक देखें तो प्यार, प्रेम, इश्क,स्नेह,राग, अनुराग, आदर, मोह, लगाव, मोहब्बत, प्रणय..! कितने सारें शब्द हैं। हरेक शब्द अपनी गरीमा संजोए हैं। लेकिन उन शब्दों को जीना पडता हैं। तब प्रेम समझ में आता हैं।
एलिफ़ शफ़क की एक और बात लिखता हूँ। " हम सब ऊपरवाले की प्रतिछाया हैं; फिर भी हम एक दूसरे से अलग है और अनोखे हैं।" ईश्वरने सबको अलग बनाया और उन्हीं में एकत्व निर्माण होता है तो वो खुश हो जाता हैं। इसीलिए शायद प्रेम को ईश्वर का रुप कहा गया हैं। बात थोड़ी उल्टी-सीधी लगती हैं। क्यों की अब तक हम दिमाग चला रहे हैं। बुद्धि से प्यार को समझ ने की भूल करते हैं। इसलिए समझना- समझाना चले रहते हैं। वहाँ व्यवहार चलता हैं, एक परंपरा चलती हैं।
ईश्वर ने हमारे भीतर के प्यार को सहलाने के लिए प्रकृति का निर्माण किया हैं। प्रकृति में प्यार ही प्यार भरा पड़ा हैं। जहां देखों वहाँ एक दूसरें के प्रति समर्पण ही समर्पण हैं। सब अलग दिखाई पड़ता हैं लेकिन है पारस्परिक, अवलंबित...! यहाँ समझावट के तूत कतई नहीं हैं। क्योंकि वहाँ प्यार हैं। हम एक गुलाब का फूल लगाने से अच्छे लगते हैं, एक फूल देने-लेने से खुश हो जाते हैं..! हमसे कोई फूल खुश होगा क्या !?
प्रकृति की हरेक बाबत में प्यार का संयोजन हैं। उसे बुद्धि लगानी पडती नहीं, इसलिए 'रीयल फोर्म' में प्यार दिखाई पडता हैं। रंगो में, खुशबु में और आकर्षक रुप में..! प्रकृति हमें प्रेम सिखाती हैं।
चलों..सहजता से ईश्वर से ऐसा प्यार माँगे जो जीने का बेहतरीन तरीका बन जाय। हम भी एलिफ़ शफ़क जैसी प्रेम दृष्टि प्राप्त करें। बोलों,अब क्या समझ की बात कहे..!? खुद ही समझ जाना हैं..बस !!
आपका ThoughtBird 🐣
Dr.Brijeshkumar Chandrarav
Gandhinagar,Gujarat.
INDIA.
dr.brij59@gmail.com
dr.brijeshkumarji.com
+91 9428312234
Good
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा हैं। धन्यवाद
ReplyDeleteप्रेम को सुंदर परिभाषित किया है।
ReplyDeleteThoughtBird Dr.Brijeshkumar congratulations. good blog.
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