विश्व नियंता की कुछ तो योजना होगी !!
सृष्टि का नियमन करनेवाली शक्ति को हम विश्व नियंता कहते हैं। सूर्य,चंद्र,तारें,नदी, समुद्र और पर्वत का सृजन करनेवाली ईश्वरीय शक्ति का कोई न कोई मकसद होगा।ये अकस्मात या कोई अनहेतु या अनर्पेक्ष कुछ नहीं होगा। ये संयोग भी नहीं है... ये मानव-पशु-पंखी-किटक ओर झड-चेतन के सहचर्य का प्रकृतिक माहोल हैं। हम सब इस भूमंडलीकरण के उपकरण हैं। मानव है, बुद्धि से जीने वाले हैं। इस बुद्धिमत्ता के कारणों से हम उस पर अधिकार या अपना प्रभुत्व कायम करने की चेष्टा करते हैं। शायद यह गलती हम सहजता से या स्वार्थों के कारण करते हैं।
we need to start thinking with our soul. आत्मा की परीभाषा को सुनने की जरूरत है। ईश्वरिय शक्ति हमारे जरिए इस संसार में कुछ करवाने के लिए तैयार है। इसीलिए समस्त विश्व में संभावनाएँ ही संभावनाएँ भरी पड़ी है। हमें कुदरत और प्रकृति की सुंदर आवाज को सुनना होगा।
आनंदविश्व की सहलगाह को बहतरीन मोड देने हम तैयार है क्या ? आइए जानें समजे ओर अपने मन की सुनें, कुछ करने के जज्बे को संवार दे। आपका ब्रजेश कुछ विचार से...आपके साथ आपका डॉ.ब्रजेश आनंदविश्व की ओर..!! 👍😊
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