Mayday Mayday...!! - Dr.Brieshkumar Chandrarav

Friday, June 13, 2025

Mayday Mayday...!!

 इस शब्द ने सबको थोड़े उत्सुक थोड़े बेचैन किये हैं..!

An international radio distress signal used by ships and aircraft.

जहाजों और विमानों द्वारा उपयोग किया जाने वाला एक अंतर्राष्ट्रीय रेडियो संकट संकेत।

1920 का दशक: फ्रेंच m'aider या m'aidez का उच्चारण दर्शाता है, जो venez m'aider "Come and help me" "आओ और मेरी मदद करो" से लिया गया है। हम ये ज्ञान क्यों बांट रहें हैं, आप समझ रहे हैं।

'मॅडे..मॅडे' ये नया शब्द हमारे कानों में गूंज रहा हैं। १२मी जून दोपहर १:३९ को हुए दर्दनाक मंजर ने गुजरात को झकझोर दिया। सरदार पटेल इन्टरनेशनल एयरपोर्ट अहमदाबाद से एक फ्लाईट उडान भरने के चंद मिनटो में धराशायी हो गई। इस दुर्घटना में २५० से उपर लोगों की मृत्यु हो गई। जहाँ हवाई जहाज गिरा वहां बी.जे मेडिकल कॉलेज का कैंटीन था। मतलब जानहानि की पराकाष्ठा जैसे मंजर से देश व्यथित हैं। इसमें गुजरात के होनहार-सरलहृदयी पूर्व मुख्यप्रधान विजयभाई रुपाणीजी का भी निधन हो गया हैं।


सृष्टि में हररोज नईं-नईं घटनाएँ होती रहती हैं। जिसे हम अकस्मात के रुप में, एक हादसे के रुप में देखते हैं। कुदरत के प्रकोप या कुदरती हादसे की बात नहीं कर रहा। यहां मानव संबंधित घटना की बात करुंगा। कोई मशीन की तकनीकि खामी के कारण या मानवीय बेदारकारी से जो घटना बनती हैं उसकी थोड़ी बात रखता हूँ। मैं भी ये विचित्र घटना हुई उसका रटन ही कर रहा हूं ओर कुछ नहीं कर रहा। सब यही कर रहे हैं मैं भी..! मिडिया, प्रसाशन सरकार सब यही काम में जुटे हैं। अभी तो मरने वालों की पहचान डी.एन.ए रिपोर्ट के आधार पर हो रही हैं। बाद में जहाज में हुई टेक्नीकल खराबी की चर्चाएं शुरु होंगी। न्यूज वाला फंडा या न्यूज वाली भाषा बंद करता हूं। ओवरडोज हो सकता हैं।

मुझे घटना से संबंधित मानवीय बेदरकारी के बारें में कुछ कहना हैं। सभी लोग टेक्नीकल कामों के जानकार नहीं होते। और सभी लोग टेक्नीकल कामों से झुडे भी नहीं होते। एक समूह इन सब की व्यवस्था में झुडा हैं। अच्छी बात हैं, किसीना किसीको ये व्यवस्था तंत्रों को संभालना पड़ेगा। विश्व की दूरी को घंटो में नापनेवाला हवाई जहाज तो अजायबी से कम भी नहीं हैं। इसी लिए उसमें सतर्कता भी ज़्यादा रखी जाती हैं। कोई भी दुर्घटना की अंतिम से अंतिम हकीक़त को 'ब्लेकबोक्ष' वैसे तो वो ओरेंज रंग का होता है, उनमें संग्रहित किया जाता हैं। पायलट और एयरपोर्ट आपरेटिंग ओथोरिटी के साथ की हुई कम्युनिकेशन गतिविधि को उसमें संग्रहित किया जाता हैं। अब उसके खुलने के इन्तजार में सब हैं।

आज विषय को पकडे रहना मुश्किल हो रहा हैं। सामने दर्दनाक चित्रों के अट्टहास सुनाई पडते हैं। सेकेन्डों का खेल और कई जिंदगियों का खत्म हो जाना। हम तो घटना के बाद के मंजर से दुःखी हैं लेकिन उस घटना को भुगतने वाले कैसी हालत में आ गए होंगे !? उस वारदात में साक्ष्य रूप लोगों की क्षणों की बौखलाहट कैसी होगी !? आग के शोलों में लिपटे हुए शरीर को कितनी भयंकर पीडा हुई होगी !? दर्दभरी चिल्लाहट आग में ही दब गई होंगी ! कोई इस दर्दनाक बात बताने जिंदा नहीं रहा हैं। कईं सपनें आसमान में ही बिखर गए। कईं मिलन की आस लेकर उडनेवालों की उडान थम गई। कईं परिवारों में से एक या दो संबंध गायब हो गए हैं। ईश्वर की महिमा और उनकी लीला की बातों में व्यक्तिगत मर्यादायें भूलाई जाएगी। एक-दो तीन दिनों में हम सब भूलकर अपने-अपने कामों में लग जाएंगे।

बचेगी बस मौन चिल्लाहटे...एक दूसरें पर किये हुए आक्षेप...बचेगी कुछ गलतफ़हमीयां और हमसब भूल जाएंगे ईस दर्दनाक मंजर को..! लेकिन एक ही बात कहता हूँ। इनमें वैयक्तिक स्वार्थ की बात होगी या निजी फायदे की बात होगी तो वहां जरुर कहर तूट पडेगा..! याद रखना ईश्वर के प्रकोप से बचना नामुमकिन हैं। हमारी Mayday की पुकार कोई सुननेवाला ही न हो ऐसी बद्दुआ से बचना चाहिए..!

आपका Thoughtbird 🐣
Dr.Brijeshkumar Chandrarav
Modasa, Aravalli.
Gujarat.
INDIA
drbrijeshkumar.org
Dr.brij59@gmail.com
+ 91 9428312234

1 comment:

  1. मुझे पता था की आप इस घटना के बारे में कुछन कुछ तो लिखोगे।।।आपका आर्टिकल पढ़ा बैचेन हो कर

    करे तो कया करे

    मैं भी इस पूरे सदमे से आवाक और बैचेन हो गया हू
    पूरे ब्रह्मांड में कुछ तो ऐसी शक्तियां छिपी हुई है जो ब्रह्मांड संतुलित करके चलाती है। पूरा प्लेन तहस नहस हो गया है फिर भी एक इंसान उसका नाम भी विस्वास हे वो भी बच गया वो इंसान को बचाने वाली शक्ति जो जो अदृश्य है
    और
    गीता का जो पुस्तक है वह भी बच गया कुछ भी हुआ नहीं है यह आपने मैंने सबने देखा ।।
    बहुत सालो पहले टाइटेनिक जहाज का मंजर ऐसा भीं हुआ था लेकिन उस मंजर में लोगो को बचने का मौका मिला था
    और
    कच्छ में मांडवी मे
    जहाज के मालिक
    हाजी कासम ने
    माड़वी बंदरगाह से मुंबई अपनी बिजली जहाज को लेकर निकल पडा था
    वो कविता आपने पढ़ी होगी
    ऊसे वक्त बहुत सारे लोग मारे गए थे क्यू कि मुंबई ओर मांडवी के बीच उस जहाज़ ने समाधि ले ली थीं 😭😭
    ऐसी ऐसी दुर्घटनाएंओ से हमारा दिल कॉप उठता है
    फिर भी आज विश्व बहुत बड़ा हो गया है लोग सब कुछ घटनाएं भूल जाते हैं जैसे की CORONA वायरस

    लेकिन यह अहमदाबाद का प्लेन क्रैश का मंजर हम कभी नहीं भूल पाएंगे।।।। क्युकी इन DOCTOR लोगो 🏥 की कया भुल थी 😭😭😭
    प्लेन क्रैश में
    सभी आत्मा ओ को हम सब कि और से ओम शांति ओम शांति
    JJSL 😭

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Thanks 👏 to read blog.I'm very grateful to YOU.

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भारत के एक इतिहास पुरुष..! सामाजिक अवहेलन से उपर उठकर अपने अस्तित्व को कायम करनेवाले, स्वतंत्रता के पश्चात उभरे राजनैतिक चरित्र के बारें में...

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