The Great plato says,
Human behavior flows from three main sources:Desire, Emotion and knowledge.
अभिलाष, संवेदन और ज्ञान ही मनुष्य वर्तन के मूलभूत स्रोत हैं।
नये नये विषय पर चिंतन करना, कुछ नये शब्द और विचार से अचंभित हो-कर सतत सोचते रहना ब्लोग के कारण संभव हुआ। सोशल साइट्स-मिडिया के कारण जान-पहचान वालें साथ अनजान भी मुझे पढते हैं इसके आनंद से लिखना जरुरी हो गया...!
Thanks to all my Great Readers.
मनुष्य कैसा व्यवहार करें ?
मनुष्य का वर्तन-व्यवहार कब बहतरीन कहा जाए ?
उसका सुंदर जवाब प्लेटो के तीन शब्दों में मिल जाता हैं। आशा,आकांक्षा, अभिलाषा,उम्मीद जो कहो उसके बिना क्या मनुष्य मनुष्य हैं क्या ? ये है तो जीवन का सफर खूबसूरत हैं, बाकी शुष्कता के आवरण मात्र से जीवन दूसरों के लिए या खुद के लिए भी पीड़ा ही बना रहेगा। अभिलाषा मन में पलती हैं, वो एक दृश्यरूप के लिए ही मन में अंकुरित होती हैं। लेकिन उसके साथ संवेदना का स्पर्श भी इतना ही आवश्यक हैं। इसके बिना रुक्ष अभिलाषा दुनिया के लिए या अपने खुद के लिए कोई कमाल नहीं कर सकती। बस कुछ कमाल करने वाला व्यवहार ही करना हैं।
मनुष्य जीवन के मूलभूत स्रोत के रूप में अभिलाष-संवेदन-ज्ञान इन तीनों की एहमियत धारण करना होगा। ईश्वर ने मनुष्य के प्रकृतिगत संवर्धन में इन तीन वर्तनी का मूलमंत्र दिया हैं। द ग्रेट प्लेटो ने सहज ही कुदरत के तत्व-सत्व को महसूस किया हैं, तभी तो उनके लिए येसे सिद्धांत को पकड पाना संभव हुआ हैं। समष्टिगत है वो असरदार होता हैं। जैसे ये द ग्रेट प्लेटो का मत..!
विश्व के लिए कैसे ज्ञान की आवश्यकता हैं ?
तो एकमात्र उत्तर हैं...संवेदना से भरी आकांक्षाओं का आकारित होना। आज मानवता की मूडी ही विश्व को मार्गदर्शन करके शान्ति स्थापित कर सकती हैं। एक व्यक्ति के रूप में मेरा और आपका अनुसरण भी ईस दिशा में हैं, तो मेरे और आपके तो बल्ले-बल्ले ही समझें...!
द ग्रेट प्लेटो जो ग्रिक फिलसूफ थे। उनकी अप्रतिम चिंतनप्रज्ञा विश्व का मार्गदर्शन करती हैं। सत्य स्थापित करने के लिए तार्किकता की आवश्यकता हैं, लेकिन सत्य स्थापित करने का सरल माध्यम तो सहज कर्म हैं। मैं सौ प्रतिशत मानता हूं की द ग्रेट प्लेटो ऐसे ही सरल-सहज होगे। लेकिन वे असहज थे। क्योंकी उनके द्वारा जो विचार स्थापन हुआ है, वो आज भी प्रस्तुत हैं। साथ ही उनका विचार मंथन प्राकृतिक भी हैं। इसीलिए उस विचार में जीवंतता हैं, मनुष्य जीवन की सिद्धता हैं साथ उस विचार में माधुर्य भी हैं। सर्वसामान्य विचार सहज ही दिलो-दिमाग में अंकित हो ही जाता है।
Respective Salute to the Great plato.
मनुष्य कैसा व्यवहार करें ?
मनुष्य का वर्तन-व्यवहार कब बहतरीन कहा जाए ?
उसका सुंदर जवाब प्लेटो के तीन शब्दों में मिल जाता हैं। आशा,आकांक्षा, अभिलाषा,उम्मीद जो कहो उसके बिना क्या मनुष्य मनुष्य हैं क्या ? ये है तो जीवन का सफर खूबसूरत हैं, बाकी शुष्कता के आवरण मात्र से जीवन दूसरों के लिए या खुद के लिए भी पीड़ा ही बना रहेगा। अभिलाषा मन में पलती हैं, वो एक दृश्यरूप के लिए ही मन में अंकुरित होती हैं। लेकिन उसके साथ संवेदना का स्पर्श भी इतना ही आवश्यक हैं। इसके बिना रुक्ष अभिलाषा दुनिया के लिए या अपने खुद के लिए कोई कमाल नहीं कर सकती। बस कुछ कमाल करने वाला व्यवहार ही करना हैं।
अभिलाषा को संवेदना के रंगो में घोलकर अप्रतिम आकार को अंजाम देना होगा। इन दोनों को पूरे ममत्व से संवर्धित करने का काम ज्ञान का हैं। वैसे तो ये पारस्परिक प्रक्रियाएं हैं, लेकिन उनको अलग-अलग समझकर मूलतत्व के समीप जायेंगे। इसे समझना भी ज्ञान अर्जन क्रियान्वयन हैं।
हरेक का जीवन ज्ञान से अप्रतिम पहचान बना सकता हैं!
The life goes to real mould.
मनुष्य जीवन के मूलभूत स्रोत के रूप में अभिलाष-संवेदन-ज्ञान इन तीनों की एहमियत धारण करना होगा। ईश्वर ने मनुष्य के प्रकृतिगत संवर्धन में इन तीन वर्तनी का मूलमंत्र दिया हैं। द ग्रेट प्लेटो ने सहज ही कुदरत के तत्व-सत्व को महसूस किया हैं, तभी तो उनके लिए येसे सिद्धांत को पकड पाना संभव हुआ हैं। समष्टिगत है वो असरदार होता हैं। जैसे ये द ग्रेट प्लेटो का मत..!
विश्व के लिए कैसे ज्ञान की आवश्यकता हैं ?
तो एकमात्र उत्तर हैं...संवेदना से भरी आकांक्षाओं का आकारित होना। आज मानवता की मूडी ही विश्व को मार्गदर्शन करके शान्ति स्थापित कर सकती हैं। एक व्यक्ति के रूप में मेरा और आपका अनुसरण भी ईस दिशा में हैं, तो मेरे और आपके तो बल्ले-बल्ले ही समझें...!
🐣 आपका ThoughtBird 🐣
Dr.Brijeshkumar Chandrarav ✍️
Gandhinagar,Gujarat
INDIA.
dr.brij59@gmail.com
09428312234.
Really good thought for huminity
ReplyDeleteમહાન ફિલોસોફર પ્લેટો ના દ્રષ્ટાંત દ્વારા huminity વિશે ખૂબ સુંદર રજૂઆત છે...
ReplyDelete👍🏻
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