The journey of love..Story of Narcissis..! - Dr.Brieshkumar Chandrarav

Wednesday, February 28, 2024

The journey of love..Story of Narcissis..!

 अजायब दुनिया की बहतरीन...सफर !

'स्व' से 'स्वाहा' तक की सफर प्रेम हैं..!

Love is a journey of discovering ourselves in another
person and creating a beautiful story together.

प्रेम एक सफर है...खुद को दूसरें व्यक्ति में खोजना और दोनों की एक सुंदर कहानी का आकारित होना। बहुत ही सुंदर शब्दों ने यहां स्थान लिया हैं। उससे एक हमारे हृदय में अदृश्य-अतुलित भावसंपदा आकारित होती हैं। शब्द जब अच्छे विचारों का प्रवाह बन जाए...तब एक शक्ति का संचरण निर्माण होता हैं। और सबसे अच्छा शब्द संचरण, विचार संचरण प्रेम परिभाषा से होता हैं। सबसे उँची प्रेम सगाई ही हैं। जैसे सबसे बडा बंधन भी प्रेम से ही अतूट हैं। वैसे ही प्रेमशब्द-प्रेमविचार की भी अपनी अलौकिक असर हैं।

The Narcissism

संसार एक अजायबी की तरह हैं। मनुष्यके रुप में तो हम रिएक्ट- अभिव्यक्त होने वाले प्राणी हैं। साथ बुद्धि से भाषा का माध्यम बनानेवाले भी हैं। प्रेम के कितने अच्छे शब्द है..! प्रेम की सफर में एक दुसरें में अपने आपको देखना हैं। "मैं" तभी तो स्वाहा हो सकेगा। एक दूसरों के जीवन एकत्व को धारण करके एक सुंदर कहानी बन जाए.. जीवन का एक सुंदर मुकाम आकारित हो जहाँ कटुता और ग्लानि का दोष और नफरत की हवा भी न चलें।

मैं एक ग्रीक कथा का जिक्र करते हुए प्रेम की बेहतरीन कथा कहता हूँ। "नारिसिसस नदी-देवता और अप्सरा का पुत्र था, और दुनिया में सबसे सुंदर व्यक्ति माना जाता था। वे इतने सुंदर थे कोई पहली बार उसे देखे तो पागल सा हो जाता..भला,ऐसी भी सुंदरता होती हैं क्या !? नारिसिसस वनलता और तरुवर के साथ अपना जीवन बिताते थे। उस वन में जब नारिसिसस चलते तो वनदेवता उनका स्वागत करते। वनलताएँ उसे गले मिलती। खुशबों के फव्वारों से फूल उनका अभिवादन करते थे। वन में एक उत्सव सा माहोल बन जाता था। वन के पास एक तालाब था। रोज नारिसिसस चलते-चलते उस तालाब के किनारें पहुंचते। और तालाब के पानी में ही देखा करते। बहार क्या कुछ हो रहा हैं, उसकी कोई असर उन्हें नहीं थी। एक दिन अचानक नारिसिसस वन में नहीं आए। सब एक दूसरें को पूछ रहें थे;
नारिसिसस कहां हैं ? कईं दिनों तक वो नहीं आए। पूरा वन उनकी चिंता करता था। क्या हुआ होगा नारिसिसस को ?
वनदेवता-वनलताएँ उस तालाब को पूछते हैं;
तुमने नारिसिसस को देखा हैं ?
तालाब सहज उत्तर देता हैं; कौन नारिसिसस ? मैंने कभी उसे नहीं देखा। 
वन देवता अचंभित हो जाते हैं !!
'अरे! वो खुबसूरत बच्चा रोज तेरे पास तो आता था। पूरा दिन वो तुझे तो देखता रहता था। हम उसके दिवाने थे मगर वो तो तेरा दिवाना था।'
तालाब कहता हैं; "मैं ने उसे नहीं देखा वो कौन था, लेकिन जो मेरे किनारे बैठता उसकी आँखें बहुत सुंदर थी। उनकी आँखों में मैं बहुत ही खूबसूरत दिखता था। बस मुझे कुछ ओर पता नहीं।" हुआ कुछ ऐसा था की पानी में पैर फिसलने से उनकी मृत्यु हो गई थी।

ग्रीक पौराणिक कथाओं के कुछ संस्करणों का कहना है कि नारिसिसस पानी में अपने स्वयं के प्रतिबिंब के साथ प्यार में पड़ गए थे। सरोवर उनकी आंखों में अपने प्रतिबिंब के प्रेम में पड गया था। खूबसूरत कहानी पूरी हुई..! कहते है कुछ दिनों के बाद उस तालाब में एक फूल खिलता हैं, उसे नारिसिसस का नाम दिया जाता हैं।

ईस प्रेम की,आत्म-जुनून की कहानी यह हैं की हम Narcissist शब्द को प्राप्त कर बैठे। इसका समान अर्थ selflessness भी हैं, उसे निःस्वार्थता कहते हैं। प्रेम की सुंदर परिभाषा इससे बेहतर समझाने की मेरी औकात नहीं हैं। एक दूसरें में अपना अस्तित्व खोजना सरल नहीं हैं। दो नाम एक ही बन जाए.. राधाकृष्ण ये भी सहज नहीं हैं। संसार की खुबसूरत सफर प्रेम की अलौकिक अनुभूति में...!

आपका ThoughtBird 🐣
Dr.Brijeshkumar Chandrarav
Gandhinagar.Gujarat
INDIA.
dr.brij59@gmail.com
9428312234

3 comments:

Thanks 👏 to read blog.I'm very grateful to YOU.

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