June 2024 - Dr.Brieshkumar Chandrarav

Tuesday, June 25, 2024

The Braveness.
June 25, 2024 7 Comments

If you are afraid to dream,

you will be afraid to live life.
Walt Disney.

"यदि आप सपने देखने से डरते हैं तो तुम जिंदगी जीने से डरोगे..!
"वॉल्ट डिज्नी"

वाल्टर एलियास "वॉल्ट" डिज़्नी (5 दिसम्बर 1901 - 15 दिसम्बर 1966) एक अमेरिकी फिल्म निर्माता, निर्देशक, कथानक लेखक, नेपथ्य वाचक, एनीमेटर, उद्यमी, मनोरंजन, अंतरराष्ट्रीय प्रतीक और समाजसेवक थे। डिज़्नी बीसवीं शताब्दी के दौरान मनोरंजन के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध हुए है। उनका बोर्न शहर अमेरिका का शिकागो था।

द वॉल्ट डिज़्नी कंपनी (सामान्यतः डिज़्नी नाम से संदर्भित) राजस्व के मामले में विश्व का सबसे बड़ा मीडिया और मनोरंजन समूह है। डिज़्नीलैंड पार्क (एडवेंचर लैंड) लोगों के लिए खोल दिया गया हैं। डिज़्नीलैंड का निर्माण "वॉल्ट डिज़्नी" ने कराया था। जाहिर है वॉल्ट डिज़्नी के नाम पर ही 'डिज़्नीलैंड' का नाम रखा जाए। मिकी माउस 'वाल्ट डिज़्नी' का एक कार्टून पात्र है। मिकी माउस एक चूहा है। मिकी के पात्र का सर्जन वॉल्ट डिज़नी और यूबी इवेर्क्स द्वारा १९२८ में वॉल्ट डिज़नी स्टूडियो में कीया था।
(माहीति स्रोत हिन्दी विकिपीडिया)


इन्फोर्मेशन वाला फंडा खत्म करता हूं। सपनें वाले फंडा पर आता हूं। डर वाले विचार पर आता हूं। "कुछ भी करो डरना मना हैं..अरे ! यार सपने तो निडरता से देखो। उसमें तो कोई आपके पास नहीं होगा ना ? सपनें में भी डर की छाया महसूस होती है, तो रीयल जिंदगी तो क्या खाक जीना..! बात कड़वाहट भरी हैं। लेकिन बात वास्तव को बयां करती हैं। सपनों में जान डालकर जीयेगें। तब निर्भीकता से कुछ करने की उम्मीदें जगती हैं। फिर जीवन भी सहजता से निर्भीकता की ओर मुड़ जाता हैं। ईरादें पालना कोई छोटी बात नहीं हैं। निर्भिक है तो ही हम ईरादें पाल सकते हैं। बाकी सब बेकार..!

मुझे तो इतनी दमदार समज हैं की सबको जीवन देनेवाला एक ही परमात्मा हैं। फिर डराने वाला कौन ? सबका बाप तो एक ही हैं। फिर भी कोई इसमें व्यक्तिबल- समूहबल डराने की कोशिश करता है, तो समझो वो सबसे बडे बूझदील हैं। वो अंदर से खोखले होते रहते हैं क्योंकि उसे तो पता हैं मैं किसके दम पर ये करता हूँ। दम तो खुद का होना चाहिए। वो भी ईश्वर को पसंद आए वैसा खुमारी से भरा दम..!

सृष्टि में एक वॉल्ट अपनी सोच से एक मिकी और माउस नाम के चरित्रों का निर्माण करता हैं। और वह निर्भीक चरित्रों की वाह वाही पूरे संसार में होती हैं। नटखट मिकी- माउस से विश्व का कौन-सा बच्चा अनजान होगा ? एक कार्टून के जरिए बच्चों के दिमाग में स्थायी हो गए वॉल्ट डिज्नी..! ये कमाल हैं, ये करिश्मा हैं। इस संसार में स्थापित होना कहते हैं। बहादुरी और निर्भीकता का ये सबसे बडा रुप हैं। सपने देखें पूरी सिद्दत से पूरें करने का होंसला मिलेगा प्रकृति में से..!
"डरो मत डराओं भी मत"
निर्भीकता खुद यहीं सिखाती हैं। जो डर पैदा करना सिखाए वो निर्भीकता नहीं हो सकती..उसे क्या कहें ? आप खुद समज जाएंगे।

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Wednesday, June 19, 2024

Big Incidence of MAHABHARATA.
June 19, 2024 2 Comments

fire of jealousy is very dangerous.

ईर्ष्या की आग बहुत खतरनाक होती है।

महाभारत एक अनमोल ग्रंथ हैं। अनेक घटनाओं का संग्रह हैं। पीढ़ीओं के व्यवहारिक वर्ताव का ग्रंथ हैं। अनेक चरित्रों का महान ग्रंथ हैं। मूल्य और मूल्यहास की अद्भुत परंपरा का ग्रंथ हैं महाभारत।

महाभारत के अनेक चरित्रों में से आज शकुनि की बात करते हैं। शकुनि गंधार साम्राज्य का राजा था। यह स्थान आज के समय में अफ़्ग़ानिस्तान में है। वह हस्तिनापुर महाराज और कौरवों के पिता धृतराष्ट्र का साला था। इस नाते वो कौरवों का मामा था। दुर्योधन की कुटिल नीतियों के पीछे शकुनि का हाथ माना जाता है। और वह कुरुक्षेत्र के युद्ध के लिए एवं कौरवों के विनाश के दोषियों में प्रमुख माना जाता है।

Mahabharat

युवराज शकुनि गंधार छोडकर नहीं आया होता तो वो गंधार का राजा बनता। मगर शकुनि स्वभावगत ईर्षा की आग में जीनेवाले व्यक्तिओं में से एक था। पांडवों की शक्ति एवं शालीनता से शकुनि को बड़ी जलन थी। अपनी जलन से वो अपना ही सर्वनाश करता हैं। उसका राजा बनना तय था। उसके भाग्य में जो राज्यपद था उसने दूसरों की ईर्षा के कारण गवाँ दिया। अपने वैयक्तिक हित को भी खत्म करने वाली कटुता को लेकर प्रश्ननार्थ खडे होने चाहिए। ईर्ष्या की आग बहुत खतरनाक होती है। महाभारत का ये शकुनि पात्र हमें काफी कुछ संदेश दे जाता हैं। जो खुद युवराज था, उसका गंधार नरेश के रुप में राज्याभिषेक होनेवाला था। लेकिन वो अपने भीतर के स्वभाव वश दूसरों का युवराज पद छीनने चलता हैं। ईश्वर ने खुद को सोभाग्य दिया है उसका विचार करना हैं। शकुनि ये भूलकर दूसरों का भाग्य छिन्न-भिन्न करने की कोशिश करता हैं। उसका क्या परिणाम आया हैं, वो हम भलीभांति समझते हैं।

महाभारत एक शिक्षाग्रंथ हैं, आचरण ग्रंथ हैं। जीवन की कृति का उत्तमोत्तम दर्शनग्रंथ हैं। धर्माचरण के अनमोल संयोग से आज भी महाभारत सर्व प्रकार के समाधान हेतु प्रस्तुत है !! साथ कुरुक्षेत्र की रणभूमि में प्रगट हुई भगवद्गीता का तो क्या कहना..! आज गीता विश्व ग्रंथ कहलाती हैं। महान भारत का ये प्राचीन ज्ञाम वैभव हैं। उसके जरिए हमें अर्जुन की भाँति कर्मरीति सिखना हैं, धर्मरीति सिखना हैं। कर्तव्य को किस हद तक असमंजस स्थिति से गुजरना पडता है ये भी सीख महाभारत देता हैं।

दुर्योधन के जरिए "जानामि धर्मम् न च मे प्रवृत्ति, जानामि अधर्मम् न च मे निवृत्ति।" वाली बात भी ध्यान में आती हैं। एक शकुनि छोटे-से बालक के मन में ईर्षा के बीज बोकर कितना बडे अनर्थ को अंजाम देता हैं। बातें सब जानी हुई हैं लेकिन एक विचार या चरित्र को लेकर उसको समझने का प्रयास करते तब हृदय में खलबली मचती हैं। शायद ये शांत मन में पथराव करने वाले चरित्र हैं। लेकिन साथ ही विचारों में नई उर्जा भरने वाले भी हैं। वैयक्तिक कुछ बदलाव को भी स्फूर्त करते हैं। ये भी अपनी-अपनी मर्ज़ी के हिसाब से..!
अथ श्री महाभारत कथा..!
कथा हैं पुरुषार्थ की ये स्वार्थ की परमार्थ की।
सारथि जिसके बने,श्री कृष्ण भारत पार्थ की..!

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Tuesday, June 11, 2024

Our great attitude..!
June 11, 20240 Comments

Our greatest freedom

is the freedom to choose

our attitude...!

Victor E. Frankl
हमारी सबसे बड़ी आज़ादी चुनने की आज़ादी है, हमारा रवैया !!

Victor E.frankl is austrian neurologist and psychologist.
विक्टर एमिल फ्रैंकल (26 मार्च 1905 - 2 सितंबर 1997) एक ऑस्ट्रियाई न्यूरोलॉजिस्ट, मनोवैज्ञानिक, दार्शनिक और होलोकॉस्ट सर्वाइवर थे। जिन्होंने मनोचिकित्सा के एक स्कूल, लॉगोथेरेपी की स्थापना की थी। जो जीवन में अर्थ की खोज को केंद्रीय बताता है। मानव प्रेरणा 'लोगोथेरेपी' अस्तित्ववादी और मानवतावादी मनोविज्ञान सिद्धांतों का हिस्सा है।

मनोविज्ञान जीवन विज्ञान भी है। व्यक्ति को स्वतंत्रता से विकसित करने वाला ज्ञान भी मनोविज्ञान हैं। व्यक्ति के मानस को समझना उनके वर्तन व्यवहार का अभ्यास भी मनोविज्ञान ही हैं। मन को जानने की और स्वीकार करने की मन की प्रतिबद्धता मनोविज्ञान हैं। मनुष्य के रुपमें अपनी और दूसरें की स्वतंत्रता बनाए रखने की समझ सृष्टि की लाजवाब स्वीकृति हैं। इसके फायदें भी अनगिनत हैं।


मनोविज्ञान को attitude मनोवलण का विज्ञान भी कहा गया हैं। सबके अपने विचार हैं, सबकी अपनी जन्मजात स्वतंत्रता हैं। सबको प्रकट होने का अबाधित अधिकार हैं। मानवीय उन्नति को प्रेषित एवं प्रेरित करनेवाला ये विज्ञान हैं। अस्तित्व और मानवता का बेहतरीन मेल मनोविज्ञान के जरिए संभव हो सकता हैं। मैं समझता हूं दूसरें मनुष्य को समझना, उसका स्वीकार करना, उसकी स्वतंत्रता की परवाह करना या दूसरें को मानवीय संवेदना से संभालना भी मनोविज्ञान हैं। मुझे तो मनोविज्ञान को "प्रेमविज्ञान" कहना भी मुनासिब लगता हैं।

आज ऐसे एक मनोविज्ञानी की बात छेडी है तो कुछ उनके विचार भी रखना ठीक हैं। विक्टर फ्रैंकल: "एक आदमी से सब कुछ लिया जा सकता है, लेकिन एक चीज: मानव स्वतंत्रता का अंतिम हिस्सा है - किसी भी परिस्थिति में अपना दृष्टिकोण चुनना, अपना रास्ता चुनना।"

विश्व में मानवीय संवेदना ने सबसे ऊपर प्रशंसा प्राप्त की हैं। इसका मतलब मनुष्य को संवेदना स्वतंत्रता ओर स्वीकार सबसे ज्यादा पसंद हैं। कहीं स्वतंत्रता के दुष्परिणाम भी ध्यान में आते हैं। उसका कारण शायद व्यक्तिमूलक सफलता या समूहमूलक शक्ति का दुष्प्रभाव ही हैं। इससे बचकर ही मानवीय हित व कल्याण का मार्ग सक्षम हो सकता हैं। जहाँ स्वीकार नहीं वहां उत्पीड़न बढेगा। वैयक्तिक व सामाजिक रुप से वहाँ शांति न होगी। आज कहीं न कहीं ये स्वार्थपरता के कारण विश्व चिंतित हैं। शांति के मार्ग ढूंढने पडते हैं। 
विक्टर का एक ओर विचार:
"मेन्स सर्च फॉर मीनिंग" में फ्रैंकल कहते हैं: हालाँकि, स्वतंत्रता अंतिम शब्द नहीं है। आज़ादी कहानी का हिस्सा है और सच्चाई का आधा हिस्सा। स्वतंत्रता पूरी घटना का नकारात्मक पहलू है जिसका सकारात्मक पहलू जिम्मेदारी है। वास्तव में, जब तक स्वतंत्रता को जिम्मेदारी के रूप में नहीं जिया जाता, तब तक स्वतंत्रता महज मनमानी में बदल जाने का खतरा है। इसीलिए मेरा सुझाव है कि पूर्वी तट पर "स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को पश्चिमी तट पर स्टैच्यू ऑफ रिस्पॉन्सिबिलिटी" से पूरक बनाया जाए। (Information source by Wikimedia) स्वतंत्रता और जिम्मेदारी की समझ के बीच मानवीय मूल्य स्थापित हो सकते हैं। बहुत बड़ी बात को स्वीकार करना भी मानवीयता हैं।

विक्टर के मनोविज्ञान एवं फिलॉसफी से मुझे सनातन भारतीय दर्शन में ये बातें स्पष्ट दिखाई देती हैं। भारतभूमि के संस्कार कुछ स्वीकार के आधारस्तंभ जैसे हैं। विश्व को मार्गदर्शन करने वाले मानवीय मूल्य भारत में से इसी कारण प्रगट हुए हैं। लेकिन उसमें क्षति आएगी तो भुगतना भी मानव समाज को ही करना पड़ेगा।
ईश्वर की समदर्शिता का विजय हो इसी भावना के साथ 'विक्टर फ्रैंकल' को शत-शत वंदन !!

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Sunday, June 9, 2024

POWER OF LIFE..!
June 09, 2024 2 Comments

Being different is your SUPER POWER.

अलग होना ही आपकी महाशक्ति है।

ज्ञान की कोई सीमा नहीं और सिखने के लिए शौकीन बनने की जरुरत नहीं। सिखने- समझने की प्रक्रिया सहज- सरल हैं। शर्त सिर्फ इतनी हैं हमें इसकी आदत बनानी होगी। मन को थोडा-सा ट्रेइन करना पडता हैं। आज सोशल नेटवर्किंग के कारण काफी कुछ ज्ञान के माहोल में रहना सहज हो गया हैं। मैंने एक फोटोग्राफ देखा, थोडी देर उस फोटो को देखता रहा। मैं आपको ये दिखाता भी हूँ। ईस कल्पना को मूर्त रुप देनेवाले व्यक्ति को वंदन..!

Super power

बात एकदम छोटी लगती हैं। मगर है बहुत ही सुंदर और लाजवाब..! एक तरफ हम सब ईश्वर की संतान हैं, सब समान हैं। सृष्टि में जन्म के बाद शुरु होती है, कॉम्पिटिशन..! थोडा अलग दिखने की, दूसरों से कुछ विशेष होने का अहसास मन में पलता हैं। थोडे सुपरलेटिव बनने की ख्वाहिशें सबके मन में पलती हैं। और वो ख्वाहिश ही शक्ति हैं, महाशक्ति हैं।

वैसे तो ईश्वर ने सबको एक बनाया हैं फिर भी अलग बनाया हैं। ईश्वर की वो जन्मदत्त शक्ति को पहचानना हमारे वैयक्तिक प्रयास कहेलाते हैं। मनुष्य की सबसे बडी ताकत विचार हैं। उससे भी आगे उस विचार के प्रति हमारी बेहतरीन एक्शन..! एक सोच पालनी हैं, कुछ अच्छे निमित्त के लिए काम करना हैं। मन में औचित्य को पालना है। और उस दिशा में चलते रहना हैं। तब कुछ नया आकारित होगा। 

कितने उदारण हैं संसार में..! कोई मूलशंकर दयानंद सरस्वती बनता हैं। कोई रामकृष्ण परमहंस बनके समाज को स्वामी विवेकानंद देता हैं। कोई स्वामी रामदास शिवाजी को संकल्पित करता हैं। कहीं से भामाशा आकर महाराणा प्रताप की ताकत में नये श्वास भर देता हैं।कोई श्रीमद् शंकराचार्य केवल उनतीस साल की आयु में भारत में सनातन हिन्दु धर्म के चार मठों की स्थापना करता हैं। कोई बलिदान देकर तो कोई सादगी के पाठ सिखाकर राष्ट्रको संजोए रखते हैं। कोई पूरा जीवन शिक्षा साधना में व्यतित करके भारतीय बंधारण को जन्म देता हैं। कोई विज्ञान-अंतरिक्ष के भेद को उकेरता हैं, कोई मिसाइल मेन बनता हैं। कोई देश के जरुरीयात मंदों की सेवा में अपना जीवन समर्पित करता हैं।

९ जून २०२४ के आज के दिन नरेन्द्रभाई मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्रित्व धारण कर रहे हैं। ये घटना भी कुछ अलगता का परिणाम स्वरुप हैं। राष्ट्र को नईं ऊँचाई पर ले जाने की संकल्पबद्धता के कारण निरंतरता कायम हुई हैं। ये सृष्टि के क्रम का ही एक भाग हैं। कुछ अलग शक्ति का संचरण..!

कीतना लिखें ? कहां से शुरु करें ? कहां खत्म करें ? किसके बारें में लिखें ? युगों से चली आ रही मानवीय परंपरा और उसके साथ कुछ नया स्थापित होने वाली असंख्य घटनाएँ..!

सब पर घोर करना हैं, फिर खुद पे यकीन करना हैं। अपनी भी छोटी-सी पहचान के लिए खुद ही निकल पडना हैं। किसी के रोकने से भला कोई रुका हैं ? बस, भीतर की आवाज को सुनना हैं। और चल देना हैं। कारवां के बीच एक उम्मीद बनकर अंकुरित होना हैं। नये रंग की खोज में..! किसीके चेहरें की मुस्कान बनने के ख्वाब सजाते हुए। महाशक्ति की ओर कदम उठाए जाना हैं।

परवाह परवद्दीगार की करना हैं क्योंकी हमसे सबसे बडी उम्मीद वो ही बनाए बैठे हैं।
बस इतना ही..! 

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Wednesday, June 5, 2024

Man rising from agony..!
June 05, 2024 2 Comments

 ईन्सान व्यथा में से खडा होता हैं।


चार्ली चैप्लिन लगभग अस्सी साल ऊपर का आयुष्य भोगने वाले इन्सान हैं। सारे जगत को हंसाने वाले चार्ली का जीवन बडी कष्टीओं में व्यतित हुआ था। वैसे तो चार्ली का पूरा जीवन एक संदेश हैं। बचपन की दारुण स्थिति में से गुज़रने के बावजूद एक बहतरीन ईन्सान उभर कर आया। शायद ईश्वर की यही करामत हैं जो तपता हैं, तड़पता है वो ही निखरता हैं। उनकी कही चार बातों पर घोर करते हैं, देखिए..!


१} जिंदगी का सबसे बेकार दिन वो दिन है, जिस दिन हमारें चहरे पर हँसी नहीं आई हों।
२} मुझे बारिश मैं चलना पसंद था क्योंकि बारिश में मेरे आंसू कोई नहीं देख सकता हैं।
३} इस दुनिया में कुछ भी परमानेंट नहीं हैं, यहाँ तक की हमारी। तकलीफ़े भी नहीं।
४} ये दुनिया के छह सबसे अच्छे डाक्टर्स है, सूरज, रेस्ट एक्सर्साइज, डाइट, सेल्फ रिस्पेक्ट और दोस्त..!

अपनी जिंदगी के सभी पड़ावों में उनके साथ जुड़े रहें और अपनी जिंदगी को खुलकर जीये। अगर आप चाँद को देखते हो तो आप उस ईश्वर की सुंदरता को देख रहे हो। अगर आप सूरज को देख रहे हो तो आप ईश्वर की ताकत को देख रहे हो। जीवन सिर्फ एक यात्रा हैं, इसलिए आज को आज जियो क्योंकि कल कभी नहीं आने वाला है..! जीवन की शानदार दृष्टी के लिए मैं 'चार्ली चैप्लिन' को शत-शत वंदन करता हूं। आपकी उन्नति का कारण आप खुद हैं। ईश्वरने आपको सराहा हैं, तराशा हैं। सृष्टि के रंगमंच पर सबको हँसाने का उत्कृष्ठ अभिनय आपने बखूबी निभाया हैं।

जिंदगी अनजानी-अनचाही राहों पर चलना जैसी हैं। फिर भी जिने की चाह को बरकरार रखना हैं। कुछ पल खुशी के आते हैं, कुछ पल नाखुशी के..! दिल में एक आश पलती हैं और हम उठ खडे होते हैं। कोई आज जीना सिखाता हैं, कोई कल अच्छा होगा येसी तसल्ली से जीना सिखाता हैं। कोई महेनत से निखरता हैं, कोई नसीब से..! कोई पीडाओं में से निखरता हैं। कोई दूसरों को हसाता हैं तो कोई दूसरों पर हंसता हैं। पीड़ा सहकर भी कोई हँसते रहता हैं, कोई अनहद सुख में भी रोते रहता हैं। 

जीवन की ये कैसी करुणता हैं ? न कुछ समझ में आए..! बस,समझ में आता हैं, कैसे जीना है वो अपने-अपने बस की बात हैं। अपने जीवन जीने के तरीकें हमें खुद ही दूँढने पडेंगे। ईश्वर की अदृश्य अनजान डगर पे हमें खुद ही दमदार कदम से चलना होगा।

किसी जीवन का अनुभव ज्ञान जरुरी हैं। उसमें से जो कुछ अच्छाई है, वो हमें जरुर काम आएगी। एक जीवन की बहतरीन यात्रा हमारे लिए हौंसला बन सकती हैं। जीवन की डगर पे कहीं मुसीबतों का सामना करना पडे तो वो ताकत बनकर हमारा साथ देंगे। एक ओर चार्ली संसार में हजारों को प्रेरणा देगा। जीवन की चाह खडी करना भी छोटा काम थोड़ा हैं ? अपने या पराये जीवन को ख़ुशहाल करना सामान्य हैं क्या? हरगिज नहीं जीवन अपना या पराया जीवन जीवन हैं। हँसना-हँसाना ही उत्कृष्ठ जीवन हैं..!

Humor is the best medicine of the universe.

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Quality of life..!

The quality of your thinking  determines the quality of your life. आपकी सोच की गुणवत्ता आपके जीवन की  गुणवत्ता निर्धारित करती है। जीवन आखिर...

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