TODAY AND TOMORROW. - Dr.Brieshkumar Chandrarav

Monday, May 22, 2023

TODAY AND TOMORROW.

 Today is present Tomorrow is future.

 IS and WILL be scarce.

ज और कल की आश में हमारी जिंदग़ी का गीत पेश होते जा रहा हैंरआज और कल की आश में हमारी जिंदग़ी का गीत पेश होते जा रहा हैं। आज वर्तमान हैं तो कल भविष्य हैं। इस आज-कल की दुर्लभतम घटनाओं के साक्षी बनने का अवसर ही जिंदग़ी हैं। ईश्वर ने धरती पर पलती हरेक जिंदगी को अपने-अपने गीत देकर सजाया हैं। उचितता के मूल मंत्र को ईश्वर ने बखूबी निभाया हैं। एक छोटी-सी चिड़िया के स्वर को भी खुद के अस्तित्व से जोड़कर अपने औचित्य को कायम किया हैं। यहाँ सब नाविन्य से भरा हैं। यहाँ की अद्भुत जीवन सृष्टि कमाल हैं। ईसी धमाल का नाम अपनी-अपनी जिंदग़ी...!!

सबका अपना स्वर हैं, सबका अपना अस्तित्व हैं। सबकी अपनी दौड हैं। सबकी अपनी उम्मीदें हैं और सबका अपना गीत हैं। उसको मैं जिंदगी कहता हूँ। अपने गीत से कोई प्रभावित हैं, नहीं भी हैं। अपने गीत के शब्द कहीं असर छोडते हैं, नहीं भी छोड़ते। अपने गीत की धून पर कईं पागल होते हैं कभी हम खुद पागल कहलाते हैं। फिर भी अपनी-अपनी जिंदगी का खूद का अस्तित्व भी कमाल हैं। कारण ईस जिंदग़ानी पे ईश्वर के हस्ताक्षर हैं..!! 

हँसना-रोना, गिरना-उठना, सोना-झगना और बैठना-चलना-दौड़ते रहना। सांसो का चलना और हृदय का धडकना ये सब अपनी जिंदगानी के बेहतरीन करतब हैं। मनुष्य के रूप में हमें मिले किरदार को जिंदगी के रंगमंच पर बखूबी निभाना हैं। जीवन के फासलों पर हमारा फैसला नहीं चलता। लेकिन उन फासले को बेशुमार आनंद से भर देना हैं। 

"आनंद विश्व सहेलगाह" जीवन के कुछ मिठे पल की याद दिलाने के प्रयास में हैं। शब्द-विचार के माध्यम से मैं अपनी जिंदगी के कुछ पल को आकार देने का काम करता हूँ। ईसे पढने से आपको आनंद मिलता हैं तो मेरा गीत ठीक हैं। मेरा ये छोटा-सा किरदार ठीक हैं।

विश्व के कई किरदारों की अपनी-अपनी पहचान हैं। ईश्वर के रंगमंच से मेरे किरदार की प्रस्तुति बड़ी लाजवाब हो इसके बारें में कौन सोचेगा ? बेशक हमें ही सोचना होगा। सबका एक ही रंगमंच मगर किरदार अनगिनत। ईश्वर की अवर्णनीय परंपरा युगों से चली आ रही हैं। अच्छे किरदार की खुशबू आज भी इतिहास बनाकर सुवासित हैं। ये जीवन के प्रेरणास्रोत बनकर हमें अपने किरदार को आकारीत करने का मार्गदर्शन करते हैं। हम सिखते हैं लेकिन किरदार का रंग तो अनूठा ही प्रकट होता हैं।

 ईश्वर सब जानते हैं, अपने जीवन की पूरी स्क्रिप्ट उन्होंने ही लिखी हैं। पर हमारे किरदार को निभाते हुए देखना शायद ईश्वर को ज्यादा पसंद होगा। हमारे संवाद...हमारे नृत्य...हमारी हलचलें...हमारी हरकतें सब को ध्यान पूर्वक ईश्वर देखते होंगे क्या ? बेशक वो देखते हुए खुश भी होते होंगे। ईश्वर की अदृश्य लीला को संदेह से नहीं संवेदन से महसूस करके हमें अपनी सहेलगाह को बेहतरीन बनाना हैं। "चलो चलें मितवा इन ऊंच-नीची राहों में...कहीं हम खो जाए"

Your ThoughtBird.
Dr.Brijeshkumar Chandrarav.
Gandhinagar, Gujarat.
INDIA.
dr.brij59@gmail.com
09428312234

 सजाया हैं। उचितता के मूल मंत्र को ईश्वर ने बखूबी निभाया हैं। एक छोटी-सी चिड़िया के स्वर को भी खुद के अस्तित्व से जोड़कर अपने औचित्य को कायम किया हैं। यहाँ सब नाविन्य से भरा हैं। यहाँ की अद्भुत जीवन सृष्टि कमाल हैं। ईसी धमाल का नाम अपनी-अपनी जिंदग़ी...!!

सबका अपना स्वर हैं, सबका अपना अस्तित्व हैं। सबकी अपनी दौड हैं। सबकी अपनी उम्मीदें हैं और सबका अपना गीत हैं। उसको मैं जिंदगी कहता हूँ। अपने गीत से कोई प्रभावित हैं, नहीं भी हैं। अपने गीत के शब्द कहीं असर छोडते हैं, नहीं भी छोड़ते। अपने गीत की धून पर कईं पागल होते हैं कभी हम खुद पागल कहलाते हैं। फिर भी अपनी-अपनी जिंदगी का खूद का अस्तित्व भी कमाल हैं। कारण ईस जिंदग़ानी पे ईश्वर के हस्ताक्षर हैं..!!

 हँसना-रोना, गिरना-उठना, सोना-झगना और बैठना-चलना-दौड़ते रहना। सांसो का चलना और हृदय का धडकना ये सब अपनी जिंदगानी के बेहतरीन करतब हैं। मनुष्य के रूप में हमें मिले किरदार को जिंदगी के रंगमंच पर बखूबी निभाना हैं। जीवन के फासलों पर हमारा फैसला नहीं चलता। लेकिन उन फासले को बेशुमार आनंद से भर देना हैं। "आनंद विश्व सहेलगाह" जीवन के कुछ मिठे पल की याद दिलाने के प्रयास में हैं। शब्द-विचार के माध्यम से मैं अपनी जिंदगी के कुछ पल को आकार देने का काम करता हूँ। ईसे पढने से आपको आनंद मिलता हैं तो मेरा गीत ठीक हैं। मेरा ये छोटा-सा किरदार ठीक हैं।

विश्व के कई किरदारों की अपनी-अपनी पहचान हैं। ईश्वर के रंगमंच से मेरे किरदार की प्रस्तुति बड़ी लाजवाब हो इसके बारें में कौन सोचेगा ? बेशक हमें ही सोचना होगा। सबका एक ही रंगमंच मगर किरदार अनगिनत। ईश्वर की अवर्णनीय परंपरा युगों से चली आ रही हैं। अच्छे किरदार की खुशबू आज भी इतिहास बनाकर सुवासित हैं। ये जीवन के प्रेरणास्रोत बनकर हमें अपने किरदार को आकारीत करने का मार्गदर्शन करते हैं। हम सिखते हैं लेकिन किरदार का रंग तो अनूठा ही प्रकट होता हैं।

 ईश्वर सब जानते हैं, अपने जीवन की पूरी स्क्रिप्ट उन्होंने ही लिखी हैं। पर हमारे किरदार को निभाते हुए देखना शायद ईश्वर को ज्यादा पसंद होगा। हमारे संवाद...हमारे नृत्य...हमारी हलचलें...हमारी हरकतें सब को ध्यान पूर्वक ईश्वर देखते होंगे क्या ? बेशक वो देखते हुए खुश भी होते होंगे। ईश्वर की अदृश्य लीला को संदेह से नहीं संवेदन से महसूस करके हमें अपनी सहेलगाह को बेहतरीन बनाना हैं। "चलो चलें मितवा इन ऊंच-नीची राहों में...कहीं हम खो जाए"

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3 comments:

Thanks 👏 to read blog.I'm very grateful to YOU.

Flying marvel...my fiction.

  नमस्कार दोस्तो...! मेरा ये उपन्यास मेरे जीवन में खुशियां की बौछार लेकर आया हैं। बाज पक्षी का संघर्ष मुझे पसंद आया और शुरु हुई कहानी...फ्ला...

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