The seeds growing slowly,
Its sleeps very well in the land.The time flows...काल: प्रवहति..!
ईश्वर की अदृश्य सृष्टि में कईं घटनाएँ बडी धीरज से होती रहती हैं। कहीं न दिखाई देने वाली प्रक्रिया भी जब अपना आकार धारण करती हैं। हमारें सामने एक रूप सजकर दृश्यमान होने वाली घटना से हम अचंभित हो उठते हैं। ईश्वर की यही करामत को हम आध्यात्म कह सकते हैं। ईश्वर की दृश्य-अदृश्य, गुण-निर्गुण उपस्थिति भी कह सकते हैं। मैं तो घटनाओं की एक दृश्य की आकारितता का जिक्र करता हूँ। इसे आप अपनी मर्जी से भी समझ सकते हैं। एक ही बात सही हो सकती हैं और नहीं भी...!
मुझे सबसे ज्यादा इस बीज के अंकुरित होने की घटना अचंभित करती रही हैं। एक छोटा-सा बीज धरती की गहराई में जाकर गिरता हैं। फिर कईं दिनों की गहरी नींद में पड जाता हैं। मिट्टी की सुगंध और भीनाश को महसूस करते हुए एक दिन अंगड़ाई भरते हुए अपने मुह को बहार करके...धरती की गोद में खेलने लगता हैं। दिन-प्रतिदिन अपने-आपको बढाते हुए... बडी लाजवाब हरियाली को लपेटकर...खुद को अनेकानेक में बांटते हुए !! ये एक बीज की कहानी हैं। दिखाई न पडने के बावजूद एक लंबी यात्रा हैं बीज के संवर्धन की ! मुझे इस यात्रा में बीज की अनंत- बेशुमार खुशियां भी अनुभूत होती हैं। समय के साथ बडी धीरज से ताल मिलाकर बीज अपने अस्तित्व के गीत गुनगुनाते बढते रहता हैं। काल: प्रवहति की अद्भुत घटना के साथ बीज की भी यात्रा !!
मुझे ऐसा भी कुछ महसूस होता हैं। बेशक ये कहानी हमारी जिंदग़ी को भी प्रभावित करती हैं। समय के साथ मनुष्य मात्र का ताल-मेल चलता रहता हैं। सबके समय के साथ बडे तालुकात हैं भाई..! समय की गति को कभी हम पकडते हैं, कुछ लम्हों को अपने भीतर पालते हैं। समय पकड नहीं पाते, महसूस कर पाते हैं। समय दिखता नहीं फिर भी हम सब उनके इशारों पर ही चलते हैं, दौडते- भागते हैं। कभी खुशी कभी गम की तरह समय हमारे आसपास ही बहता हैं।
धरती के आंगन के हम भी छोटे से बीज ही हैं। हमारी अंगडाई हमारे सतत प्रयास के रुप में हैं। हमारी हरियाली कुछ पा-कर दुसरी आंखों की चमक बनना हैं। हमें भी बँट जाना हैं। किसी के दिल में किसी के दिमाग में..! ये समस्त को स्पर्श करने की बात हैं। ये जीवनयात्रा भी बीजयात्रा की घटना जैसी नहीं लगती हैं ? मैं कोई निष्कर्ष पर नहीं आता...मात्र एक विचार रखता हूं। ये महसूसी का बयान मात्र हैं !!
आनन्द विश्व सहेलगाह में आज समय की धीरी धडकन को सुनना हैं, तब कोई ह्रदय का धडकना बडा अच्छा लगेगा। ये बीज की अद्भुत यात्रा की कहानी को अपने-अपने अंदाज से पढना हैं। तब कोई सुहानी सफर कहानी बनें सामने खड़ी होगी...अपनी खुद की अंगड़ाई से..!! एक कहानी खुद बन जाए तो कैसा रहेगा !?
मैं तो एक वाहक हूं ओर कुछ भी नहीं !!
बीज की यात्रा फल के स्वरुप को धारण करने तक की हैं। ये क्रम शायद चलता है कभी अटक भी जाता है। अपने भीतर की उर्जा को छोड देने के बाद भला संवर्धित हुआ जाता हैं क्या ? बीजयात्रा की कहानी लाजवाब हैं, साथ धरती की खूबसूरती के संयोग की बात भी हैं। परस्पर के सत्व-तत्व को एकरूप करने की भी बात हैं। कमाल है प्रभु...!
मुझे ऐसा भी कुछ महसूस होता हैं। बेशक ये कहानी हमारी जिंदग़ी को भी प्रभावित करती हैं। समय के साथ मनुष्य मात्र का ताल-मेल चलता रहता हैं। सबके समय के साथ बडे तालुकात हैं भाई..! समय की गति को कभी हम पकडते हैं, कुछ लम्हों को अपने भीतर पालते हैं। समय पकड नहीं पाते, महसूस कर पाते हैं। समय दिखता नहीं फिर भी हम सब उनके इशारों पर ही चलते हैं, दौडते- भागते हैं। कभी खुशी कभी गम की तरह समय हमारे आसपास ही बहता हैं।
धरती के आंगन के हम भी छोटे से बीज ही हैं। हमारी अंगडाई हमारे सतत प्रयास के रुप में हैं। हमारी हरियाली कुछ पा-कर दुसरी आंखों की चमक बनना हैं। हमें भी बँट जाना हैं। किसी के दिल में किसी के दिमाग में..! ये समस्त को स्पर्श करने की बात हैं। ये जीवनयात्रा भी बीजयात्रा की घटना जैसी नहीं लगती हैं ? मैं कोई निष्कर्ष पर नहीं आता...मात्र एक विचार रखता हूं। ये महसूसी का बयान मात्र हैं !!
आनन्द विश्व सहेलगाह में आज समय की धीरी धडकन को सुनना हैं, तब कोई ह्रदय का धडकना बडा अच्छा लगेगा। ये बीज की अद्भुत यात्रा की कहानी को अपने-अपने अंदाज से पढना हैं। तब कोई सुहानी सफर कहानी बनें सामने खड़ी होगी...अपनी खुद की अंगड़ाई से..!! एक कहानी खुद बन जाए तो कैसा रहेगा !?
मैं तो एक वाहक हूं ओर कुछ भी नहीं !!
आपका ThoughtBird 🐣
Dr.Brijeshkumar Chandrarav
Gandhinagar, Gujarat.
INDIA
dr.brij59@gmail.com
09428312234.
સરસ વિચાર
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