The king of festival.
Sweetness and brightness is equal to DIWALI.
स्नेहबंधन से झुडे सभी को...शुभ दिपावली !!
मनुष्य का एक दूसरों से झुडाव और संबंध झुकाव के कईं निमित्त हैं। उसमें सबसे बड़ा निमित्त उत्सव हैं। उत्सव खुशीओं का सैलाब हैं। इसमें सबसे प्यारी एवं सबकी दुलारी दिपावली का तो क्या कहना..!
आज की उम्र तक कईं दिवालीयां देखी ही। वैयक्तिक रूप से मैंने बडे पागलपन से दिवाली महसूस की हैं। शायद आप सबकी स्मृतियों में मेरी बात का थोड़ा-बहुत मेल-मिलाप भी हो सकता हैं। क्योंकि दिपावली के रंग सुनहरे हैं, हृदय की धडकनों का संगीत जहाँ एक सुर-ताल में बजता है, तब दिपावली आती हैं। नईं आशाओं के किरन लेकर नए सपनों की ओर दौड़ने का होंसला लेकर दिपावली आती हैं। मिठास और प्रकाश की अद्भुत दुनिया का फिर एकबार प्रयास हैं...अपनी दिपावली !!
अपनी याद्दाश्त की पहेली दिवाली शुरु होती हैं, अपने भीतर कईं कल्पनों को पालते हुए। छोटे-से दीप के ज्योति पूंज से ये यात्रा शुरु होती हैं। हर साल खूशीओं का एक नया अध्याय झुडता जाता हैं... अपने भीतर की स्मृतिओं के साथ...अपने जीवन के बड़े हिस्से को रोकते हुए...सबकी दिपावली अलग ही होती हैं। इसीलिए दिपावली की बात नई ही लगती हैं। भारतवर्ष के सभी लोंगो की भिन्नता दिपावली की आनंद विशालता हैं। सभी के दिलों-दिमाग में अपनी दिपावली अनोखा स्थान बनाए हुए हैं। मैं आज उस अपनी-अपनी दिपावली को छेड रहा हूं। आपकी अपनी आनंद क्षणों को ब्लोग के जरिए एक छोटा-सा विचार स्पर्श...बधाई हो !!
पटाखों की गूंज और गंधक की खुशबू...चमचमाती बिजली के जैसे अग्नि के बालक हमारी आंखों में चमक के सुरमें लगाते हैं। कुछ नयेपन से हमारी खुशी बेशुमार बन जाती हैं। रंग बिखेरते तारों की बारात निकलती दिखाई पडती हैं। मुख में मिठाई की मिठास और चहरें पर दीपक और पटाखों का तेज छा जाता हैं। पैर सहज ही थिरकते हैं, ह्रदय उल्लास से उछलने लगता हैं। हमारे आसपास आनंद का माहोल अंगड़ाई लेते घूमता हैं। ऐसे अविरत आनंद की खोज में हमें चलना हैं। दिपावली सबकुछ भूलाकर जीवन के केवल आनंद का निर्देश करती हैं। मुझे कुछ ऐसा समझमें आ रहा हैं की, सबका आनंद एकत्व धारण करता हैं, तब दिपावली आती हैं। दिपावली छा जाती हैं तन और मनमें...! ईश्वर को पसंद है वो हृदय की विशालता दिपावली का प्राण-तत्व हैं। मनुष्य के भीतर जो निजानंद पलता है वो अक्सर साम्यता का अवतरण हैं। अदृश्य ईश्वर की एकरूप परिकल्पना इस उत्सव को मनाने के भाव लेकर आती हैं। ये हमारी सदाबहार दिलों की दिवाली हैं।
मेरा बाल्यकाल का अनुभव रहा हैं, वैयक्तिक या सामूहिक क्लेश को भूलकर लोग दिपावली मनाते थे। एक दूसरों की सारी गलतियाँ सहज समाप्त हो जाती मैने देखी हैं। आपके अनुभव में शायद इससे भी मूल्यवान स्मरण रक्षित होंगे। ये स्मृतियाँ आनेवाले जीवन के लिए अद्भुत हैं, अमूल्य हैं। अपने जीवन के क्रम में हरेक दिपावली अपने अनोखे रंगों को बिखेरती रही हैं। स्नेह के बंधन को थोडी ओर मजबूताई दे कर, जीवन बुरे अनुभवों से भले गुजरा हो...नये उजाले की, कुछ कर दिखाने की उम्मीद को लेकर अपनी प्यारी दिपावली का आगमन हो चूका हैं... बधाई हो !!
अपनी याद्दाश्त की पहेली दिवाली शुरु होती हैं, अपने भीतर कईं कल्पनों को पालते हुए। छोटे-से दीप के ज्योति पूंज से ये यात्रा शुरु होती हैं। हर साल खूशीओं का एक नया अध्याय झुडता जाता हैं... अपने भीतर की स्मृतिओं के साथ...अपने जीवन के बड़े हिस्से को रोकते हुए...सबकी दिपावली अलग ही होती हैं। इसीलिए दिपावली की बात नई ही लगती हैं। भारतवर्ष के सभी लोंगो की भिन्नता दिपावली की आनंद विशालता हैं। सभी के दिलों-दिमाग में अपनी दिपावली अनोखा स्थान बनाए हुए हैं। मैं आज उस अपनी-अपनी दिपावली को छेड रहा हूं। आपकी अपनी आनंद क्षणों को ब्लोग के जरिए एक छोटा-सा विचार स्पर्श...बधाई हो !!
पटाखों की गूंज और गंधक की खुशबू...चमचमाती बिजली के जैसे अग्नि के बालक हमारी आंखों में चमक के सुरमें लगाते हैं। कुछ नयेपन से हमारी खुशी बेशुमार बन जाती हैं। रंग बिखेरते तारों की बारात निकलती दिखाई पडती हैं। मुख में मिठाई की मिठास और चहरें पर दीपक और पटाखों का तेज छा जाता हैं। पैर सहज ही थिरकते हैं, ह्रदय उल्लास से उछलने लगता हैं। हमारे आसपास आनंद का माहोल अंगड़ाई लेते घूमता हैं। ऐसे अविरत आनंद की खोज में हमें चलना हैं। दिपावली सबकुछ भूलाकर जीवन के केवल आनंद का निर्देश करती हैं। मुझे कुछ ऐसा समझमें आ रहा हैं की, सबका आनंद एकत्व धारण करता हैं, तब दिपावली आती हैं। दिपावली छा जाती हैं तन और मनमें...! ईश्वर को पसंद है वो हृदय की विशालता दिपावली का प्राण-तत्व हैं। मनुष्य के भीतर जो निजानंद पलता है वो अक्सर साम्यता का अवतरण हैं। अदृश्य ईश्वर की एकरूप परिकल्पना इस उत्सव को मनाने के भाव लेकर आती हैं। ये हमारी सदाबहार दिलों की दिवाली हैं।
मेरा बाल्यकाल का अनुभव रहा हैं, वैयक्तिक या सामूहिक क्लेश को भूलकर लोग दिपावली मनाते थे। एक दूसरों की सारी गलतियाँ सहज समाप्त हो जाती मैने देखी हैं। आपके अनुभव में शायद इससे भी मूल्यवान स्मरण रक्षित होंगे। ये स्मृतियाँ आनेवाले जीवन के लिए अद्भुत हैं, अमूल्य हैं। अपने जीवन के क्रम में हरेक दिपावली अपने अनोखे रंगों को बिखेरती रही हैं। स्नेह के बंधन को थोडी ओर मजबूताई दे कर, जीवन बुरे अनुभवों से भले गुजरा हो...नये उजाले की, कुछ कर दिखाने की उम्मीद को लेकर अपनी प्यारी दिपावली का आगमन हो चूका हैं... बधाई हो !!
तेजोमय पर्व की मंगल कामना में...!
आपका ThoughtBird.
Dr.Brijeshkumar Chandrarav
Gandhinagar, Gujarat.
INDIA
dr.brij59@gmail.com
09428312234
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Thanks 👏 to read blog.I'm very grateful to YOU.