November 2024 - Dr.Brieshkumar Chandrarav

Tuesday, November 26, 2024

THE LOVE ❤️
November 26, 2024 4 Comments

"Love cannot be explained,

yet it explains all." Elif Shafak.

"प्यार को समझाया नहीं जा सकता,
फिर भी यह सब समझाता है।"

एलिफ़ शफ़क का बिलगिन; जन्म 25 अक्टूबर 1971) एक तुर्की-ब्रिटिश उपन्यासकार, निबंधकार, सार्वजनिक वक्ता, राजनीतिक वैज्ञानिक और कार्यकर्ता हैं। उनका अंग्रेजी- तुर्की भाषा पर प्रभुत्व हैं। उनकी स्पेनिश शिक्षा मिडल ईस्ट टेकनिकल यूनिवर्सिटि में हुई थी। अवधि 1990. तुर्की और अंग्रेजी में वो लिखती हैं। उन्होंने 21 किताबें प्रकाशित की हैं। वह अपने उपन्यासों के लिए सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं। जिनमें 'द बास्टर्ड ऑफ इस्तांबुल' 'द फोर्टी रूल्स ऑफ लव''थ्री डॉटर्स ऑफ ईव'और'10 मिनट्स 38 सेकेंड्स इन दिस स्ट्रेंज वर्ल्ड'शामिल हैं।  www.elifshafak.com


चलों, वर्ल्ड बेस्ट महिला की बेस्ट बात को आगे ले जाएँ। जब कोई पागलपन की अनुभूति में जाकर लिखता है, और किसी भी तरह की मलिनता से दूर जाकर लिखता है वो लिखा हुआ मन को छूता हैं। उनका एक-एक शब्द और वाक्य भी दिल को छू लेता हैं। ये कोई तपस्या से कम नहीं। एलिफ़ शफ़क को प्यार भरा नमन..!

प्यार की बात करना सबके बस की बात नहीं हैं। और प्यार को लिखना तो और मुश्किल काम हैं। वैसे तो प्यार एक अहसास हैं, अनुभूति हैं। प्यार को समझाया नहीं जाता। वो खूद समझ जाता हैं। प्यार में दो की कल्पना ही नहीं कर सकते। एकत्व और अद्वैत की स्थिति का मात्र शब्दज्ञान होना पर्याप्त नहीं हैं। शब्द की चमक-दमक देखें तो प्यार, प्रेम, इश्क,स्नेह,राग, अनुराग, आदर, मोह, लगाव, मोहब्बत, प्रणय..! कितने सारें शब्द हैं। हरेक शब्द अपनी गरीमा संजोए हैं। लेकिन उन शब्दों को जीना पडता हैं। तब प्रेम समझ में आता हैं।

एलिफ़ शफ़क की एक और बात लिखता हूँ। " हम सब ऊपरवाले की प्रतिछाया हैं; फिर भी हम एक दूसरे से अलग है और अनोखे हैं।" ईश्वरने सबको अलग बनाया और उन्हीं में एकत्व निर्माण होता है तो वो खुश हो जाता हैं। इसीलिए शायद प्रेम को ईश्वर का रुप कहा गया हैं। बात थोड़ी उल्टी-सीधी लगती हैं। क्यों की अब तक हम दिमाग चला रहे हैं। बुद्धि से प्यार को समझ ने की भूल करते हैं। इसलिए समझना- समझाना चले रहते हैं। वहाँ व्यवहार चलता हैं, एक परंपरा चलती हैं।

ईश्वर ने हमारे भीतर के प्यार को सहलाने के लिए प्रकृति का निर्माण किया हैं। प्रकृति में प्यार ही प्यार भरा पड़ा हैं। जहां देखों वहाँ एक दूसरें के प्रति समर्पण ही समर्पण हैं। सब अलग दिखाई पड़ता हैं लेकिन है पारस्परिक, अवलंबित...! यहाँ समझावट के तूत कतई नहीं हैं। क्योंकि वहाँ प्यार हैं। हम एक गुलाब का फूल लगाने से अच्छे लगते हैं, एक फूल देने-लेने से खुश हो जाते हैं..! हमसे कोई फूल खुश होगा क्या !?

प्रकृति की हरेक बाबत में प्यार का संयोजन हैं। उसे बुद्धि लगानी पडती नहीं, इसलिए 'रीयल फोर्म' में प्यार दिखाई पडता हैं। रंगो में, खुशबु में और आकर्षक रुप में..! प्रकृति हमें प्रेम सिखाती हैं।

चलों..सहजता से ईश्वर से ऐसा प्यार माँगे जो जीने का बेहतरीन तरीका बन जाय। हम भी एलिफ़ शफ़क जैसी प्रेम दृष्टि प्राप्त करें। बोलों,अब क्या समझ की बात कहे..!? खुद ही समझ जाना हैं..बस !!

आपका ThoughtBird 🐣
Dr.Brijeshkumar Chandrarav
Gandhinagar,Gujarat.
INDIA.
dr.brij59@gmail.com
dr.brijeshkumarji.com
+91 9428312234
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Wednesday, November 13, 2024

The secret of life.
November 13, 2024 6 Comments

 The secret of your future is hidden in your daily routines.

आपके भविष्य का रहस्य आपकी दैनिक दिनचर्या में छीपा हैं।

सांप्रत समय में सोशल मीडिया को सब ज्ञान की युनिवर्सिटी कहते हैं। कभी इस ज्ञान को फेक कहकर नकारा जाता हैं। लेकिन मैं कहता हूँ; जिनको जो पसंद है वही चूनता हैं। सबके मन की एक वैयक्तिक सोच होती हैं। सब इनके मुताबिक इधर उधर हो रहे हैं। सालों पहले एक एडवर्टाइज मैंने देखी थी। "शौच वहाँ शौचालय" मैं इसे ऐसे पढता था। 'सोच वहां शौचालय' शायद, ये टॉयलेट की जरुरियात के बारें में विज्ञापन था। विद्या बालन उस एडवर्टाइज की एक्ट्रेस थी।


"सोच वहाँ शौचालय" शब्द का फर्क पकडना पड़ेगा। 'शौच और सोच' मैं सोच ही सुनता और विचार करता सोच भी पवित्र होनी चाहिए। वो भी बदबूदार होगी तो जीवन शौचालय जैसा लगेगा।

आज मैंने यहां दिये गए चित्र में लिखे हुए उत्तम शब्द को समझा और जो समज मैं आया वो आपके समक्ष रखता हूं। पसंद मेरी होने के बावजूद आपको भी पसंद आएगी..! सुबह होती हैं; अपनी नींद खुलती हैं। सारीं यादें, सारें काम से हम फिर  झुट जाते हैं। दिनचर्या में हवा-पानी खुराक भी संमिलित हैं। व्यवसाय के अनुरुप कार्य संगति चलती रहती हैं। आनंद, उत्साह और हर्षोल्लास की पूरे दिऩ की सहेलगाह होती रहती हैं। कोई आज के लिए कार्य करता हैं, कोई कल के लिए। कोई आनेवाले जन्म या आनेवाली पीढियों के लिए काम करता हैं। कोई एक दिन के खाने के लिए भी काम करता हैं। कोई पसीना बहाने के बावजूद भूखा रहता हैं। कोई ठंडाई में बैठे आराम से काम करता हैं। किसी को खाने के लिए भी फुर्सत नहीं हैं। ये सनातन सत्य की बातें हैं।

हम भविष्य को नहीं जानते फिर भी आश लगाए बैठे हैं। कुछ न कुछ अच्छा आकारित होगा। आज नहीं तो कल बहतर होगा। सब लोग इसी आशा में कार्य करते रहते हैं। फिर रात आती हैं; थकान सुकुन में बदल जाती हैं। जीवन का पूरा भार कहीं ओर चला जाता हैं। आनंद की गहराई में रात बह जाती हैं। सपनों की दुनिया की सैर में हम पड जाते हैं। फिर सुबह होती हैं, अनेकानेक जिंदगियां चल पडती हैं, अपने-अपने मुकाम पर..!

मूल बात अपने आनेवाले कल के बारें में ये है; की हमारी दिनचर्या क्या हैं ?हमारी दैनंदिन कार्यशीलता किस प्रकार की हैं। उससे हमारा भविष्य निर्माण होगा। सुबह-शाम के इस खेल में सब संमिलित हैं। पेड़, पौधे, पंछी प्राणी और हम मनुष्य भी..! लेकिन मैं बात मनुष्य की करता हूं। हमारी सोच पर हमारें कार्य निर्भर करते हैं। और इस कार्य की सहेलगाह धीरे धीरे एक अनूठे व्यक्तित्व का निर्माण करती हैं। आज हम जो कुछ है; वो हमारी दैनिक कार्यशीलता के आधार पर हैं। जीवन का आकार बनने की ये अदृश्य घटना हैं। फिर भी हैं बड़ी नक्काशीदार..! ये हैं हमारा कल हमारा भविष्य..!

आज हम जिस प्रकार के समय में जी रहें हैं, उसीके जरिए ही सीखना पड़ेगा। आज मोबाइल इन्टरनेट के समय में उसमें से हमारी जीवनचर्या ढूंढनी होगी। उसमें से मेरे लिए क्या अच्छा हैं ? वो ढूँढने की जिम्मेदारी भी हमारी खुद की हैं। एक अच्छे वाक्य ने मुझे मेरे ब्लॉग का विषय दे दिया। मैं इससे अपनी विचार क्रिया को प्रकाश में ला रहा हूँ। इसका आनंद प्रकट करते हुए...हम सब के नये साले की गति में विचारपुष्प रखता हूँ।

आपका ThoughtBird 🐣
Dr.Brijeshkumar Chandrarav
Gandhinagar, Gujarat
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Dr.brij59@gmail.com
+91 9428312234.


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Bharat Ratna KARPURI THAKUR.

भारत के एक इतिहास पुरुष..! सामाजिक अवहेलन से उपर उठकर अपने अस्तित्व को कायम करनेवाले, स्वतंत्रता के पश्चात उभरे राजनैतिक चरित्र के बारें में...

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