Speaking truth to power. - Dr.Brieshkumar Chandrarav

Sunday, June 29, 2025

Speaking truth to power.

एक अद्भुत घटना..!

मानवीय मूल्यता का सुंदर विचार..!

सत्ता के सामने बेझिझक सच बोलने की हिम्मत..!



योगेन्द्र यादव का एक विडिओ देखा। वो कहते हैं : "मैंने जब ये विडिओ देखा तो मेरे रोंगटे खडे हो गए, आंख भर आई। मैं चाहता हूँ की हम सब इस दो मिनट का विडिओ देखे। विडिओ अमेरिका का हैं, लेकिन संदेश शाश्वत हैं। वॉशिंग्टन में प्रोटेस्टेंट संप्रदाय की एक चर्च हैं। जहाँ परंपरा है की राष्ट्रपति शपथ लेने के अगले दिन एक प्रार्थना सभा के लिए जाते हैं। उस प्रार्थना सभा में वहाँ की महिला बिशप मॅरीअन एडगर वो राष्ट्रपति को सामने बैठा के क्या बात कहती हैं, आप जरा सुनिए। अंग्रेजी में एक मुहावरा हैं। "स्पीकिंग ट्रुथ टु पाॅवर" सत्ता की आँख में आँख डालकर सच बोलने की हिम्मत..!" शब्दों में सरलता हैं, ये समाचार हैं, इसमें सत्यता की खनक हैं और सभ्यता की सुगंध भी हैं। ऐसे निडर पत्रकार को सलाम करते हुए में आगे चलता हूँ। थैंक्स, योगेन्द्रजी फोर गुड थोट। इस ब्लॉग मैं उनके विडिओ का आधार लिया गया हैं।


अब बिशप मॅरीअन एडगर ने क्या कहा उसका थोड़ा सा अंश पेश करता हूं। "भगवान के नाम पे मैं आपको हमारे देश में उन लोगों पर दया करने कहती हूँ जो अब डरे हुए हैं। डेमोक्रेटिक, रिपब्लिकन और असंबद्ध परिवारों में गे, लेस्बियन और ट्रांसजेंडर बच्चे हैं। जिन्हें अपनी जान का डर हैं। जो लोग हमारी फसलों की कटाई करते हैं और हमारे ऑफिस की बिल्डिंग साफ करते हैं, जो पोल्ट्री फार्म और मीट पैकिंग प्लांट में मजदूरी करते हैं, जो हमारे रेस्तरां में खाने के बाद बर्तन धोते हैं और अस्पतालों में रात की शिफ्ट में काम करते हैं वे नागरिक न भी हों या उनके डॉक्यूमेंट पूरे ना भी हो लेकिन इन आप्रवासियों का विशाल बहुमत अपराधी नहीं हैं। वे टैक्स देते हैं और अच्छे पड़ोसी हैं। वे हमारे चर्चों और मस्जिदों, सिनगाँग, गुरुद्वारों और मंदिरों के भक्तजन हैं। राष्ट्रपति जी, मैं आपको हमारे समाज के उन लोगों पर दया करने के लिए कहती हूँ। जिनके बच्चे भयभीत है कि उनके माँ बाप को उठा लिया जाएगा। आप उन लोगों की मदद करें। जो युद्ध क्षेत्र और अपनी भूमि में उत्पीड़न से भाग कर करुणा और स्वागत की आस में यहां आ रहे हैं। हमारा ईश्वर हमें अजनबी के प्रति दया सिखाता हैं। कभी हम सभी इस भूमि में अजनबी थे। ईश्वर हमें ताक़त और साहस दे कि हम हर इन्सान की गरिमा का सम्मान करें, एक दूसरे से सत्य बोलें स्नेह से और सर झुकाकर चलें। एक दूसरे के साथ हमारे भगवान के साथ, सर्वलोक के कल्याण के लिए, देश और दुनिया में सभी लोगों की भलाई के लिए..! आमीन..!" सुंदर शब्दों के लिए बिशप मॅरीअन एडगर का भी ऋण स्वीकार करता हूं।

इस घटना का ज़िक्र करते हुए हमारे भारत वर्ष के वेदों के कुछ श्लोक भी याद आए। भारतवर्ष की भीतरी सोच का जीवंत दस्तावेज हमारे वेद हैं। उसमे समष्टि के कल्याण की बात भरी हुई हैं। स्वामी विवेकानंद जैसे संत ने इसी लिए पश्चिम में अपनी आध्यात्मिक धरोहर की बात रखी थी। उनके स्वीकार का एक कारण यह भी था कि उन्होंने 'भारतवर्ष के आत्मा' का बखूबी वर्णन 'विश्व धर्मसभा' में किया था। बिशप की बातों का मेल मुझे इस श्लोक में मिलता हैं।

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत् ॥

'सब सुखी हो, सब निरोगी रहे। सब अच्छी घटनाओं के साक्षी बने रहें और कभी किसी को दुःख का भागी न बनना पड़े।'

बिशप की सद्भावना इसी श्लोक में प्रगट हो जाती हैं। हमारे उपनिषदों के ज्ञान को 'अपौरुषेय' कहा गया हैं। अपौरुषेय का अर्थ हैं 'मनुष्य द्वारा निर्मित नहीं' या 'निर्वैयक्तिक' होता हैं। यह श्लोक 'वृहदारण्यक उपनिषद्' में से लिया गया है। उपनिषद् का अर्थ है पास में बैठना। ये हमारी हमारे भारतवर्ष की शाश्वत मान्यता हैं। ये हमारी मानवीय परंपरा का सूत्र भी हैं।

विश्व में जो कुछ अच्छा हो रहा हैं, उसकी प्रशंसा करना भी हमारा मानवीय धर्म हैं। हमें हमारा गौरव गान करना हैं, हमारी परम्पराएँ का प्रचार-प्रसार भी करना हैं। लेकिन इसका मतलब ये कतई नहीं है की दूसरों के द्वारा बोली गई संवेदना से भरी सम्यक दृष्टि का स्वीकार ही न करना। और भारतवर्ष के गौरव की बात करते हुए दूसरों की अवहेलना करते हैं तो समझो वो विचार हमारा नहीं हैं। वो किसी स्थापित हितो के लिए संघर्ष कर रहे संगठन का हैं। उनमें मानव सभ्यता के प्रति खोखलापन हैं, दोगलापन हैं। ऐसे व्यक्ति और संगठन राष्ट्र को बहुत बड़ा नुकसान करते हैं। उनकी फिलसूफी में वैयक्तिक या एक स्थापित समूह के लिए स्वार्थपूर्ति की बात होती हैं। इससे भारतवर्ष को ख़तरा हैं।

आज विश्व हमारे सांस्कृतिक मूल्यों का आदर करते हुए हमसे आगे निकल रहा हैं। हमारा देश संकुचित मानसिकता का शिकार बनता जा रहा हैं। 'भारतवैभव' की बातें एक शब्द बनकर रह जा रही हैं। मात्र अनुकरण के साथ हमारी सोच केवल चिल्लाहट बन रही हैं। हमारी परंपरा अंतर्मुखी कतई नहीं हैं। फिर भी ये हो रहा हैं..! क्यूं हो रहा हैं..!? वैयक्तिक और सामूहिक आंतरखोज करने का समय आना चाहिए। वर्ना हम भारतवर्ष के गौरव का गान करते हुए गायक ही न बने रहें !?!

एक अच्छी घटना का जिक्र करके मैं आनंदित हुआ। मैं मेरा छोटा-सा कर्म करके बहुत ही खुश हूं। विश्व के कल्याण के लिए चिंतित सभी को शत शत नमन करते हुए...!

आपका Thoughtbird 🐣
Dr.Brijeshkumar Chandrarav
Modasa, Aravalli.
Gujarat, INDIA.
drbrijeshkumar.org
Dr.brij59@gmail.com
+ 919428312234




No comments:

Thanks 👏 to read blog.I'm very grateful to YOU.

Speaking truth to power.

एक अद्भुत घटना..! मानवीय मूल्यता का सुंदर विचार..! सत्ता के सामने बेझिझक सच बोलने की हिम्मत..! योगेन्द्र यादव का एक विडिओ देखा। वो कहते हैं ...

@Mox Infotech


Copyright © | Dr.Brieshkumar Chandrarav
Disclaimer | Privacy Policy | Terms and conditions | About us | Contact us