Bharat Ratna KARPURI THAKUR. - Dr.Brieshkumar Chandrarav

Saturday, June 28, 2025

Bharat Ratna KARPURI THAKUR.

भारत के एक इतिहास पुरुष..!

सामाजिक अवहेलन से उपर उठकर अपने अस्तित्व को कायम करनेवाले, स्वतंत्रता के पश्चात उभरे राजनैतिक चरित्र के बारें में थोड़ी सी हकीक़त..!



२३ जनवरी २०२४ में जिसे भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार 'भारतरत्न' दिया गया। ये उनकी जन्म शताब्दि का वर्ष था। एक व्यक्ति के नाम से गाँव का नाम जुड़ता हैं। वो बिहार की राजनीति के सीमास्तंभ हैं। उस भद्र जननायक का नाम हैं...कर्पूरी गोकुल ठाकुर। रामदुलारी देवी के पुत्र। वे नाई समुदाय से थे। इस जातिसूचक वाक्य को लिखना ठीक नहीं लगता फिर भी लिख रहा हूं। क्योंकि सब को पता चले प्रतिभा किसी दायरे की मोहताज नहीं होती। किसीके इरादें जब लोगों की संवेदना से झुडते हैं तब क्रांति होती हैं। कोई इसे हकीक़त बनते रोक नहीं सकता। आज से सो साल पहले ऐसा ही कुछ हुआ था, भारत के बिहार क्षेत्र में..! अमरत्व के आशिष लेकर मान्यवर कर्पूरी ठाकुर अपने व्यक्तित्व से उठ खड़े हुए थे...भारत की राजनीति में दमदार अध्याय लिखने के लिए...!


1988 में कर्पूरी ठाकुर के मृत्यु के बाद उनके जन्मस्थली समस्तीपुर जिला के पितौंझिया गाँव का नाम बदलकर कर्पूरी ग्राम "कर्पूरी गाँव" कर दिया गया था। समाज की वर्गवाद-जातिवाद की मानसिकता के खिलाफ ये एक अद्भुत घटना थी। आज भी इतिहास के पन्नों में वो महान पुरुष की कहानी गौरवपूर्ण तरीके से दर्ज भी हैं।

भारत के परतंत्रता काल में २४ जनवरी १९२४ को उनका जन्म हुआ था। बहतरीन निमित्त उनको अच्छे कामो में जोड रहे थे। कर्पूरी ठाकुर महात्मा गांधी और सत्यनारायण सिन्हा के संपर्क में आए और काफी प्रभावित भी हुए। जीवन की दिशा तय हो गई और काम भी शुरु हो गया। वो 'ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन' में शामिल हो गए। छात्र कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने 'क्विट इंडिया मूवमेंट' 'भारत छोड़ो' आंदोलन में भाग लिया था। उन्होंने अपनी स्नातक की पढाई छोड़कर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपना योगदान दिया था। और छब्बीस महीनो का जेलवास भी किया था।

अपने युवाकाल में ही भारत को स्वतंत्रता मिली थी। स्वतंत्र भारत में ठाकुर ने अपने गाँव के स्कूल में शिक्षक के रूप में समाज उत्कर्ष का काम शुरु किया था। समाज को अच्छी शिक्षा मिले उस दिशा में वो चल पडे थे। "शिक्षा से ही सबका उद्धार हैं" ऐसे स्पष्ट खयालात रखने वाले ठाकुर बिहार की जनता के लिए भारत में १९५२ में हुए पहेले चुनाव में भाग लेते हैं। ताजपुर निर्वाचन क्षेत्र से वो 'सोशलिस्ट पार्टी' के उम्मीदवार बने। और बिहार विधानसभा के सदस्य भी चूने गए। वो १९५२ की पहली विधानसभा में चुनाव जीतने के बाद बिहार विधानसभा का चुनाव कभी नहीं हारे थे।

राज्यसभा सांसद रामनाथ ठाकुर ने कहा हैं, "कर्पूरीजी बिहार में एक सामाजिक आंदोलन के प्रतीक रहे हैं। इसलिए हर तरह के लोग या विभिन्न राजनीतिक दल उनके जन्मदिन पर सामाजिक न्याय के सपनों को पूरा करने का संकल्प लेते रहे हैं।" ठाकुर की छबि को ओर स्पष्टरुप से पेश करुं तो वे 'संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी' के अध्यक्ष भी रह चुके थे। उन्हें लालू प्रसाद यादव, रामविलास पासवान, देवेंद्र प्रसाद यादव और नीतीशकुमार जैसे कईं दिग्गज बिहारी नेताओं के गुरु के रूप में जाना जाता है। इतना कदावर व्यक्तित्व बनाने में कर्पूरी ठाकुर ने अपना जीवन समाज के चरणों में रख दिया था। वो पिछड़े, दलित और मध्यम वर्ग के प्रति काफ़ी संवेदनशील रहे हैं। उसका परिणाम ये आया कि १९७० में वो बिहार के पहले गैर-कांग्रेसी समाजवादी मुख्यमंत्री बने। उससे पहले वो बिहार के उपमुख्यमंत्री भी रहे थे। उन्होंने बिहार में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया था। उनके शासनकाल के दौरान बिहार के पिछड़े इलाकों में कईं स्कूल और कॉलेजो की स्थापना हुई थी।

कर्पूरी ठाकुर के मुख्यमंत्री कार्यकाल में जिस तरह की छाप बिहार के समाज पर पड़ी है, वैसा दूसरा उदाहरण आज तक नहीं मिलता। ख़ास बात ये भी है कि गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री होने के बावजूद इतना अच्छा काम हुआ था। उनके नाम कईं समाज उद्धार काम इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं। आज की पीढ़ी उनके नाम और काम से बेख़बर हैं। बिहार राज्य को छोड़कर कोई ठाकुर जी को गहराई से नहीं जानता। लेकिन हमारे क्रांतदृष्टा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रभाई मोदी के ठाकुरजी को मरणोत्तर 'भारतरत्न' सम्मान देने के फैसले से काफी-कुछ लोगों ने उनको जानने समजने का प्रयास किया हैं।

माननीय मोदीजी का व्यक्ति को देखने का नजरिया ही अलग हैं। उनके हरेक फैसले में 'सामान्यजन' का विचार रहता हैं। आज भारत के महत्वपूर्ण सम्मान के लिए कईं ऐसे लोगों का चयन हो रहा है जिनका काम वाकई में काबिले तारीफ हो। मोदीजी खुद को एक सामान्यजन की तरह मानते हैं। एकबार उन्होंने ही कहा था की "मैं भी ओबीसी वर्ग से आता हूँ। मैंने काफी संघर्ष देखा हैं।" मतलब जो महसूस करेगा वो संघर्ष को समज सकता हैं। कर्पूरी ठाकुर के संघर्ष को वंदन करते हुए..!

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Dr.Brijeshkumar Chandrarav
Modasa, Aravalli.
Gujarat, INDIA.
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Bharat Ratna KARPURI THAKUR.

भारत के एक इतिहास पुरुष..! सामाजिक अवहेलन से उपर उठकर अपने अस्तित्व को कायम करनेवाले, स्वतंत्रता के पश्चात उभरे राजनैतिक चरित्र के बारें में...

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