December 2024 - Dr.Brieshkumar Chandrarav

Friday, December 27, 2024

अहा ! जिन्दगी !
December 27, 2024 4 Comments

Life is a collection of moments.

जीवन क्षणों का संग्रह है ! सुंदर लम्हों भरा आशियाना! 

जीवन बड़ी ख़ूबसूरत घटना हैं। मानो तो आनंद, न समझो तो पीड़ा। जन्म से लेकर मृत्यु की घटना तक जो कुछ घटित होता है, उसे हम जीवन कहते हैं। जन्म के थोड़े समय तक भाषा के साथ मशक्कत करनी पडती हैं। 'माँ' शब्द को समझकर, अनुभूत करके हम दूसरें कईं शब्दों के संपर्क में आते हैं। साथ कईं लोगो का संपर्क भी होता रहता हैं। हम उनसे संबंध बनाते हैं। किसी के साथ गहराई बढ़ जाती हैं। उसे हम प्रेम कहें तो गलत बिल्कुल नहीं हैं। परिवार,स्नेहीजन,सहकर्मी,समाज जैसे कईं दायरे हमें बांधते हैं। हम एक सामाजिक प्राणी के तौर पर स्थापित हो जाते हैं। ये है हमारे जीवन की सर्वसामान्य तवारीख..! सबकी अपनी अपनी फिर भी एक जैसी..! सैद्धांतिक रुप से ये समान है लेकिन संपर्क में आने वाले पात्र और परिवेश अलग हो सकते हैं। उससे हम अलग पड़ते हैं।

Drworldpeace

जिंदगी में मिलनेवाले लोग, अच्छी बूरी क्षणों को लेकर हम से झुड जाते हैं। हमारे इस स्मृति संग्रह से हमारी संवेदनाएं झुडी होती हैं। जीवन की सुखमय दु:खमय घटना जो हमारी स्मृतिओं में संग्रहीत हैं, वो अमूल्य है। उससे तो जिंदगी जीने लायक लगती हैं। ज़िंदगी का आह्लाद इसपर टिका हैं। जिंदगी का आनंद इसपर टिका हैं। जिंदगी की सफलताएँ भी इसपर ही निर्भर होती हैं। 'स्वीट मेमोरी' जीवन के आधार रुप हैं। इस ब्लोग में मैं 'स्वीट' नहीं ऐसी बातों का ज़िक्र नहीं करुंगा। अच्छी बातें जो मेरे और आपमें संग्रहित है, उसे छेडने का काम करुंगा। शायद ये सबके लिए अच्छा होगा।

अहा ! जिंदगी ! मैं बहुत खुश था, जब तेरे साथ घंटो खेला करते थे। साथ बातों का तो क्या कहना ? थकते नहीं थे। परेशान तब होते थे, जब हम दूर होते थे। वो रात भी बड़ी लंबी हो जाती थी...जिसमें तुम न हो। उम्र बढ़ती रही 'हम तुम से आप' होने लगे। शरीर भी लंबा होने लगा। फिर मिलने की क्षणों में गिरावट आने लगी। तुम ईस शहर में उस शहर में पढने लगा। फिर बसने की तो बात ही अलग थी। यादों में तुम थे, वैसे ही थे जैसे थे। खाने-पीने की लज्जत, घूमने-फिरने की स्वतंत्रता हमें किसने दी थी ? आज भी खोज नहीं पाए। लेकिन आज जो बंधन में जी रहे हैं, वो भी किसने डाले हैं पता नहीं चलता। आज सबके करने लिए मन हैं, लेकिन समय रोक लगाता रहा हैं। ऐसी कुछ बातें आप भी याद करें...ब्लोग पढ़ते-पढ़ते..!

यादें भी यादें है..! तेरा समय-समय पर रुठना, मेरा मनाने का पागलपन..!दोनों को एक दूसरे को मानने तैयार रहते मगर मानते नहीं। तमन्नाएं पालना और उसे सहलाना भी जिंदगी हैं..! आज कल होती, समय यूंही कहता रहता। शरीर पर समय की रेखाएँ स्पष्ट होने लगी हैं, मगर हम वैसे के वैसे..! आज भी मिलन की आस को संभाले हुए हैं। आकाश से कभी-कभार मनभर बातें होती रहती हैं। चाँदनी तो शीतलता से इतना भर देती की यादें खुदबखुद बहार आती रहती। यादों का खेल दुनिया का सबसे सुंदर खेल हैं। इसमें एक अकेला कईंओं के साथ खेलता रहता हैं। जीत और हार दोनों एक तरफ ही रहती हैं। यादें कभी हार मानती है भला..!?

अहा ! जिन्दगी ! तुम कितनी सुंदर हो ! और नहीं भी हो, तो भी सबको सुंदर लगती हो। जैसे अपनी-अपनी जिंदगी ! अपनी ख्वाहिशें अपने सपनें ! अपनी अपनी यादों के संदूक..! इस में कोई He और She भी होता हैं। कोई जाना पहेचाना, कोई अनजाना भी होता हैं। यादें बड़ी सुंदर चीज है मगर एक प्रोब्लम है उसमें...जो जरुरी है वो Delete नहीं होती। और जो यादें ही न बने, वो जरुरी भी कैसे ?

लंबे समय के बाद फिर ब्लोग लिख रहा हूं। ये भी समय के खेल के मुताबिक..!

आपका Thoughtbird 🐣
Dr.Brijeshkumar chandrarav.
Gandhinagar, Gujarat.
India.

Dr.brij59@gmail.com
91+942831223





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Bharat Ratna KARPURI THAKUR.

भारत के एक इतिहास पुरुष..! सामाजिक अवहेलन से उपर उठकर अपने अस्तित्व को कायम करनेवाले, स्वतंत्रता के पश्चात उभरे राजनैतिक चरित्र के बारें में...

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