January 2025 - Dr.Brieshkumar Chandrarav

Tuesday, January 28, 2025

If a human being stays focused the universe..!
January 28, 2025 7 Comments


"मैं चाहता हूँ कि आप किसी चीज़ पर ध्यान केंद्रित करें, चाहे वह कोई भी चीज़ हो, क्योंकि अगर कोई इंसान ध्यान केंद्रित रखता है, तो ब्रह्मांड उसे स्वीकार कर लेता है।"

● सद्गुरु

ध्यान एक क्रिया हैं। जीवन की अद्भुत क्रिया हैं। ध्यान के दो पहलू हैं। ध्यान का लगना और ध्यान का भटकना। दोनों की संभवना बराबर हैं। वैसे तो भटका हुआ ध्यान भी कहीं तो लगता ही हैं। इसलिए हम ये भी नहीं कह सकते। आज इस ध्यान को एक ही पहलू से समझे। ध्यान लगना एक सहज और स्वाभाविक घटना हैं। हां एक बात से सहमत होना पड़ेगा कि ध्यान किस बात पर टिकता हैं।


सृष्टि के उपर भी ब्रह्मांड हैं। पृथ्वी जैसे अनेक ग्रह विद्यमान हैं। साथ खगोलिय विज्ञान तो आकाशगंगा की बात करता हैं। जिसमें लाखों करोडों ग्रह हैं। हमारे ज्ञान की मर्यादा हैं कि हम ब्रह्मांड को समझ सके। बस ब्रह्मांड की शक्तिओं का विचार करें। ब्रह्मांड असीमित शक्तिओं का भंडार हैं। इन सारी शक्तिओं का अदृश्य नियमन हो रहा है, उस नियंता को हम ईश्वर के रुप में जानते हैं।

सद्गुरु जैसे महान आत्मा हमें सरलता से ध्यान प्रक्रिया सिखाते हैं। उनका मार्गदर्शन हमें भी अपने कार्यो में सफल बनाने के लिए सक्षम हैं। यदि हमारा ध्यान वैयक्तिक प्राप्ति की ओर लगता हैं, तो सहज ही उसे हासिल कर सकते हैं। इससे उपर समष्टिगत हित के उपर ध्यान करेंगे तो वो बड़ी ताक़त से पूरा होगा। क्योंकि ब्रह्माण्डीय शक्ति हमें देने के लिए तैयार हैं। हमारें ध्यान का परिशीलन ब्रह्मांड की शक्ति का आकर्षण बनता हैं। मैं इसे कृपा कहता हूँ...ये ब्रह्मांड के आशीर्वाद हैं। इसको एक सीधी बात से समझने का प्रयास करें। कोई सामान्य परिवार एवं ज्ञाति का व्यक्ति, जिनके पास जीवन को विकसित करने के पर्याप्त भौतिक-आर्थिक साधनों की अपर्याप्तता हैं। वो अपनी निजी ध्यान प्रक्रिया से कुछ पाने का जज्बा मन में पालता हैं। कोई विशेष प्राप्ति करता हैं। समाज में सम्मान की भावना पैदा हो जाती हैं। ऐेसे कईं उदाहरण हमारे सामने मौजूद होंगे।

ऐसा होने के कईं कारण हैं। इसमें सबसे पहला कारण तिरस्कार है, अवहेलना हैं, अपर्याप्तता हैं। ये व्यक्ति में कुछ कर दिखाने की चिड़न पैदा करती हैं। तब ध्यान की क्रिया सहज कार्यान्वित होती हैं। उठते बैठते बस कुछ ख़यालात उनके साथ विकसित हो जाते हैं। फिर विचार एक स्वप्न का रुप धारण करते हैं। दिन-रात वो स्वप्न व्यक्ति को जागृत करता रहता है। और रास्ते भी खुदबखुद आकारित होते हैं। ये सब ब्रह्मांड की असीम कृपा के कारण होता रहता हैं।

मनुष्य के रुप में इसपर सबका अधिकार हैं। ईश्वरीय वरदान सब के लिए समान हैं। कोई ध्यान को समझने का प्रयास करता हैं। कोई ध्यान को जीने का प्रयास करता हैं। मगर ध्यान भीतर में उठती आग की तरह हैं। एकबार ये आग प्रज्जवलित हो गई फिर उसे रोकना नामुमकिन हैं। वो अपना रास्ता खुदबखुद तय कर लेगी। जैसे River finds a way...मैं कहना चाहता हूँ...life finds a way..! हम सबने देखा हैं, कोई इन्सान संघर्षकाल में जाता हैं। वो ध्यानस्थ होकर अपने कार्य में झुट जाता हैं। एक नया मुकाम तय होता हैं। एक नई मंजिल की दौड़ कायम होती हैं। एक स्वप्न हकीक़त बनने का रास्ता तय करता हैं। कुछ नया आकारित होता हैं। सफलता शोर मचाती हैं। स्वीकार, प्रशंसा, मान-मर्तबा, इनाम-अकराम जैसे शब्द साज़ सामने लगते हैं। ध्यान की क्रिया का फल एक उत्सव बन जाता हैं।

आपका Thoughtbird 🐦
Dr.Brijeshkumar chandrarav
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Monday, January 20, 2025

Everything is under your control...SENECA.
January 20, 2025 4 Comments

 "सबकुछ आपके नियंत्रण में हैं !"


लुसियस एनियस सेनेका (४ ईसापूर्व- ६५ इसवी) रोमन स्टोइक दार्शनिक, नाटककार और लेखक थे। ये लॅटिन भाषा के रजत युग के लेखक माने जाते है। सबसे अच्छे दौर के व्यंग्यकार माने जाते हैं। सेनेका द यंगर, फिलॉसफर थे साथ बहतरीन राजनेता भी थे।

"सभी लोगों में से केवल वे ही फुर्सत में होते हैं जो दर्शन के लिए समय निकालते हैं, केवल वे ही सही मायने में जीते हैं। केवल अपने दिनों पर अच्छी नज़र रखने से संतुष्ट नहीं, वे हर युग को अपने साथ जोड़ लेते हैं। अतीत की सारी फसल उनके भंडार में जुड़ जाती है।" - द ग्रेट सेनेका


कई बार ऐेसे कुछ शब्द सुनने में आते हैं। फिर लंबी खोज में निकलना पडता हैं। स्थितप्रज्ञ अवस्था लग जाती है, पूरे दिन तक पागलपन सवार होते रहता हैं। और लुसियस एनियस सेनेका पढ़ने में आ जाते हैं। मन खुशहाल हो जाता हैं। फिर मन होता हैं, चलों इसे शब्दरुप देकर आप सब में बाँट दे। और ब्लोग का लेखन शुरु हो जाता हैं। निमित्त मात्र का आनंद प्रयास हैं। ठीक लगे तो, थोड़ीदेर मन की नज़र इन विचारों पर स्थिर करें। आनंद मिले तो "द ग्रेट सेनेका" को सलाम कर देना।

हममें से जो लोग वास्तविक दुनिया में अपना जीवन जीते हैं, उनके लिए दर्शन की एक शाखा बनाई गई है, "स्टोइकिज़्म"।  यह दर्शन हमें अधिक लचीला, अधिक खुश, अधिक गुणी और अधिक बुद्धिमान बनाने के लिए बनाया गया है - और परिणामस्वरूप बेहतर इंसान, बेहतर माता-पिता और बेहतर पेशेवर बनाता है।

लुसियस एनियस सेनेका की अद्भूत फिलासफी इन दस वाक्य में देखे:

1) जहां तक हो सके खुद के साथ रहें, या ऐसे लोगों के साथ रहें जिससे आप कुछ सीख सकते हैं, अपने अंदर सुधार ला सकते हैं।
2) किसी समस्या का सबसे जरूरी पहलू उसका हल नहीं है। हल निकालते हुए जो ताकत मिलती है, वह सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।
3) ऐसा नहीं है कि चीजें मुश्किल हैं, इसलिए हम हिम्मत नहीं करते। हम हिम्मत नहीं करते इसलिए की चीजें मुश्किल लगती हैं।
4) या तो रास्ता तलाशिए या खुद बनाइए।
5) सब आपके नियंत्रण में है। आप चीजों को आसान बना सकते हैं या मुश्किल या हास्यास्पद। चुनाव तो आपका ही होता है।
6) हम असलियत में कम, काल्पनिक रूप से ज्यादा दु:खी रहते हैं।
7) उस व्यक्ति से ज्यादा बदकिस्मत कोई नहीं जिसने कभी तकलीफ नहीं झेली। क्योंकि उसके पास खुद को आज़माने का साहस ही नहीं था।
8) आपने किसी को कुछ दिया है तो शांत रहें, लेकिन किसी ने आपको कुछ दिया है तो जरूर जिक्र करें।
9) डरते हुए पूछने वाले को अक्सर ना सुननी पड़ती है।
10) अपना सर्वश्रेष्ठ दें...वर्तमान का मजा लें और जो है उसमें ही खुश रहें। (स्रोत विकिपीडिया)

बस आज इतना ही, पढ़ें और नियंत्रित हो। जो हमारे नियंत्रण में उसका विचार करें। जो नियंत्रण से परे हैं उसका विचार करके निराश न हो।

आपका Thoughtbird 🐣
Dr.Brijeshkumar chandrarav
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Wednesday, January 15, 2025

Way of love life..!
January 15, 2025 7 Comments

 SADGURU is called....

"If you are in love So it will guide you on the path of life. love has its own intelligence."
"अगर आपके दिल में प्रेम हैं। तो यह जीवन की पगदंडी पर आपका मार्गदर्शन करेगा। प्रेम की अपनी बुद्धि होती हैं।"

प्रेम की फिलासफी बहुत गहरी हैं। कईं महान विभूतियों ने प्रेम के बारें में अपना अभिप्राय दिया हैं। सबकी बात में दम हैं। कृष्ण की 'प्रेमवाणी' तो सबसे बेहतर हैं। सद्गुरु की बात में अचरज और सुंदरता देखें...प्रेम की अपनी बुद्धि होती हैं। मतलब, प्रेम बुद्धि में भी अग्रिम हैं। सृष्टि का सबसे सुंदर व्यवहार प्रेम हैं, जीवन की उत्तम गति भी प्रेम हैं। जीवन का उत्कृष्ठ आनंद ही प्रेम हैं।


एक सुंदर कथा कहता हूं। संत कबीरजी और उनकी पत्नी लाली का गृहस्थाश्रम अत्यंत प्रेम भरा रहा था। एक दिन एक व्यक्ति कबीरजी को मिलने आता हैं। मिलने का प्रयोजन भी था। वो कबीरजी को पूछता हैं, "मैं गृहस्थ जीवन की शुरुआत करना चाहता हूं। इसलिए मुझे कैसा जीवनसाथी चाहिए आप उसका मार्गदर्शन करें।"
कबीरजी यह बात सुनकर उसको अपने घर ले जाते हैं। पत्नी को आवाज लगाई, "खाने में क्या है ?"
उनकी पत्नी लाली ने कहा: "केवल चावल हैं।"
कबीरजी ने कहा: "परोस दिजीए।"
दोनों व्यक्ति खाना खाने के लिए बैठे। थाली में चावल आए। चावल आने पर कबीरजी बोले: "चावल बहुत गरम है, उसे ठंडा करो।"
लाली चावल ठंडा करने लगी। वो व्यक्ति आश्चर्य में पड़ गया, चावल एकदम ठंडे थे फिर भी कबीरजी ने ऐसा क्यो किया ?

फिर कबीरजी अपनी बुनाई के स्थान पर गए। सब जानते हैं, कबीरजी कपड़ा बुनने का काम करते थे। वो व्यक्ति भी साथ में था। दिन का समय था, चौतरफ उजियारा था। फिर भी कबीरजी ने अपनी पत्नी को आवाज़ लगाई : "सुनती हो क्या ? मुझे सूई में धागा पिरोना है, जरा चिराग जलाओ।"
पत्नी लाली कुछ भी कहे बिना चिराग जलाकर लाई। वो आदमी एकदम सुन्न हो गया। और कहने लगा : "कबीरजी मैं अपने जीवन के बारें में सलाह लेने आया हूं। मुझे कुछ तो बताईए ?"
कबीरजी ने उत्तर दिया: "यहां जो कुछ देखा, इसका अचरज न हो और सब काम सहजता से हो जाए...ऐसी कोई मिले तो उससे घर बसालो।"

कबीरजी की बानी मार्मिक थी। लेकिन उनकी पत्नी लाली के व्यवहार में नितांत प्रेम था। कोई भी सवाल किए बिना केवल वहां अनुसरण था। शायद उन दोनों की 'अन्डरस्टेन्डींग' थी। उन्होंने कहा है, तो कोई मतलब होगा। ऐसा कोई अटूट विश्वास था उनकी पत्नी को...या समर्पण की मर्यादा थी !?

सद्गुरु के शब्द यहाँ सच होते दिखाई देते हैं। कबीरजी ने प्रेम को जीया हैं। उनके जीवन की पगदंडी में उनका मार्गदर्शन प्रेम ने किया था। वो बुद्धि से परे प्रेम की अनुभूति करने के लिए समर्थ थे। इसलिए वो एक बानी में कहते हैं;
"पोथी पढ़कर जग मुआ, पंडित क्या न कोई।
ढाई अक्षर प्रेम का पढ़े जो पंडित होई।"

प्रेम में बुद्धि की जरुरत ही नहीं होती। लेकिन प्रेम की अपनी बुद्धि होती हैं। प्रेम की बुद्धि मतलब स्वीकार, समर्पण ओर श्रद्धा। जिसके साथ जीना है, उसका संपूर्ण स्वीकार करना। उसके आगे सब न्योछावर और उसके उपर अटूट विश्वास ये प्रेम हैं। love has its own intelligence. शायद यह समझना आपके लिए मुश्किल न होगा। अगर आपके जीवन की पगदंडी प्रेम से भरपूर है तो...
you are on the right way of life...!

आपका Thoughtbird 🐣
Dr.Brijeshkumar chandrarav
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Bharat Ratna KARPURI THAKUR.

भारत के एक इतिहास पुरुष..! सामाजिक अवहेलन से उपर उठकर अपने अस्तित्व को कायम करनेवाले, स्वतंत्रता के पश्चात उभरे राजनैतिक चरित्र के बारें में...

@Mox Infotech


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