September 18, 2025
BY Brij Chandrarav
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गज: दृष्टि सदा विजयं करोति।
आज एक विशालकाय प्राणी की बात करता हूं। उसके बारें में सबको पता है, फिर भी हाथी मुझे बचपन से आकर्षित करता रहा हैं। इसलिए आज गजराज की बात करता हूं। थोड़ी बहुत इन्फोर्मेशन...ओर भी विकिपीडिया पर उपलब्ध हैं। हजारो सालों से हाथी इस धरती पर विद्यमान हैं। विश्व के कईं क्षेत्रो में हाथी पाए जाते हैं। ये एक बड़ा जीव हैं। डायनासोर के बाद इसकी शरीरी विशालता हैं। लेकिन डायनासोर अब सृष्टि में विद्यमान नहीं हैं। उसके कारणों में पड़े बीऩा आगे बढते हैं।
हाथी स्पर्श, दृष्टि, गंध और ध्वनि के माध्यम से संवाद से पारस्परिक संवाद करते हैं। हाथी लंबी दूरी पर इन्फ्रासाउंड और भूकंपीय संचार को महसूस कर सकते हैं। हाथियों की बुद्धिमत्ता की तुलना 'प्राइमेट्स और सीतासियों' से की गई है। 'प्राइमेट्स' का मतलब वे स्तनधारी हैं और जटिल व्यवहार और संज्ञानात्मक क्षमताओं को साझा करते हैं। 'सीतासियन' प्राणी का मतलब हैं, वे अपने शरीर को पूरी तरह से पानी में बिता ने के लिए अनुकूलित हैं। ऐसे दूसरे भी कईं प्राणी इस धरती पर विद्यमान हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि हाथी में आत्म-जागरूकता की शक्ति होती है। और संभवतः वे अपनी प्रजाति के मरते हुए और मृत जीवों के प्रति चिंता और संवेदना भी प्रदर्शित करते हैं।
सृष्टि के सभी प्राणियों की संरचना और बुद्धिमत्ता विभिन्न होती हैं। सबको अपनी विशेषताएँ भी होती हैं। छोटा सा पंछी भी अपनी बुद्धिमता से करामात करते रहते हैं। ये हमारे संसार की बड़ी खूबसूरती हैं। हम सबने हाथी के बारे में भी कईं बातें पढ़ी और सुनी हैं। हाथी के बारे में मैने एक बात सुनी हैं, कि वो दूसरों को अपने जैसा विशाल समझता हैं। उनकी आंखे भले ही छोटी लगती हैं मगर उसके लेन्स की संरचना कुछ ऐसी है कि वो वस्तु को मूल रुप से बड़ा देख पाता हैं। हमने पंछीओं के बारे में सुना हैं उसको सभी वस्तु-चित्र ब्लेक एन्ड वाईट ही दिखते हैं। रंगों की पडछाई ही वो महसूस कर पाते हैं। ये भी ईश्वर का कमाल ही हैं।
दृष्टि जीवन की प्रगल्भता प्रकट करती हैं। हाथी को अपने जैसे सब दिखते हैं। उनकी दृष्टि सबसे सुंदर हैं। किसीको छोटा नहीं समझना हैं। शायद "जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि" इसी को ही कहते होंगे। ऐसी दृष्टि हाथी को बुद्धिमता वाले प्राणी की श्रेष्ठता प्रदान करती हैं। हाथी शक्तिशाली है फिर भी शांत है। समर्थता के बीच गांभीर्य भी होना चाहिए। धीरता सबसे अच्छा गुण हैं। इससे व्यक्ति की भी महानता बढ़ती हैं। और वो सामर्थ्यवान कहलाता हैं। दृष्टि हमें ताक़त देती हैं, दूसरों के लिए एक अच्छी सोच मन में पनपती हैं फिर जीने का असली मजा शुरु होता हैं। "गज: दृष्टि सदा विजयं करोति।" कभी-कभार प्राणी के जीवन से भी सिखना चाहिए। ईश्वर ने सभी प्राणी-पशु और पंछीओ को अपनी-अपनी योग्यता से सजाया हैं। उस योग्यता से वे अलग रुप से प्रस्थापित होते हैं।
"गज:दृष्टि" एक अच्छी सोच का प्रतीक हैं। हाथी भी एक मंगलकारी प्रतीक हैं। वो पशु होने के बावजूद संसार में अपनी योग्यता से ख्यात हैं। पहले के समय में युद्ध में हाथी की आक्रामक शक्ति का उपयोग किया जाता था। वो शांत भी है और आक्रामक भी हैं। लेकिन वो कभी अपनी शक्ति का प्रदर्शन नहीं करता। हां, समय आने पर वो अपना पराक्रम दिखाता हैं। हाथी की तरह ये बात भी बडी हैं, विशाल हैं।
श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय १० विभूतियोग के २७ वे श्लोक में कृष्ण कहते हैं। "ऐरावतं गजेन्द्राणां नराणां च नराधिपम्" श्री कृष्ण कहते हैं कि "गज इन्द्राणां, हाथियों में मैं ऐरावत हूँ मनुष्यों में वे 'नर-अधिपम्' यानी राजा हैं।" इनमें ईश्वर अपनी विराटता को दर्शाते है। इस संयोग में वह विभिन्न रूपों में अपनी उपस्थिति व्यक्त करते हैं। व्यक्ति की विशालता में, उसके पराक्रम और उसके धैर्य में मुझे "गज:दृष्टि" समाहित लगती हैं, ऐसे भाव रखकर आनंद प्रकट करता हूं।
आपका Thoughtbird 🐣
Dr.Brijeshkumar Chandrarav
Modasa, Aravalli.
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