मैं समय हूँ...मैं ही जीवन की गति हूँ। मैं ही कल आज ओर कल हूँ।
Time has a never ending...Time is always going and growing...!!आज मैं भी समय की बात छेडता हूँ। हिन्दु नववर्ष का ये पवित्रतम दिन हैं। आज चैत्र सुद एकम हैं। काल के घटनाक्रम से पूर्ण रुप से हम आज भी अवगत नहीं हैं। ये सृष्टि के नियंता की सक्षमता हैं। अदृश्य होकर भी सारे ब्रह्मांड को नियंत्रित-संवर्धित व अचंभित करते रहना ही महान ईश्वर की अकालान्तक कर्मकता या वर्तनी हैं।
" मैं समय हूँ। मेरा जन्म सृष्टि के निर्माण के साथ हुआ था। मैं पिछले युगों में था, इस युग में हूँ और आनेवाले सभी युगों में भी रहूंगा। अनंतकाल से पृथ्वी पर राज करने की लडाई जारी हैं। लाखों वर्ष पहले संसार में भीमशरत यानि डायनोसोर जैसे अद्भुत जीवों का राज था। पर काल चक्र के साथ वो न चल पाए और उनका अन्त हुआ। फिर धीरे धीरे ईश्वर के पुत्र मानव ने धरती को अपने वश में किया। और शुरु हुई मुकाबले की एक येसी आंधी जिसने कई सभ्यताओं का उदय और अंत देखा। रोम की शान, तो कहीं युनान की विशाल शक्ति, कभी मुगल सल्तनत बुलंदियों तक पहुंची तो कभी ब्रिटीश साम्राज्य ने अपने ही सूरज को अपने सामने डूबते देखा।" ये समय की करवटें हैं। महाभारत के कालचक्र वाले शब्दों की बात याद आई ना ??
समय इन सारी घटनाओं का साक्षी रहा। समय पक्षपात नहीं करता। इन सभी सभ्यताओं- राजवंशों और साम्राज्यों ने जीतना तो सीखा। लेकिन उस जीत को कायम रखने के लिए वो समय के साथ बदले नहीं। जो समय के साथ बदलते नहीं समय उन्हें ही बदल देता हैं। करवट बदलते समय के साथ खुद को बदलने की हिम्मत हमें ही करनी होंगी। इसके लिए हम तैयार हैं तो...?? आज की जीत और कल की कामयाबी हमारी होंगी। परिवर्तन की इस रणनीति के साथ जुडने की शुभकामनाएं।
कई इतिहासिक हकीकतों का दौर इस नववर्ष की घटनाओं के साथ झुडा हैं। सभी के बारें में लिखना संभव हैं लेकिन आर्टिकल की मर्यादा समझकर थोडी विचारबात रखता हूँ। आज युगाब्द की कालगणना का दिन हैं। युधिष्ठिरजी के राज्याभिषेक का भारतवर्ष का सबसे गौरवशाली दिन हैं। युग परिवर्तन के इस दिवस को 5125 बरस हुए। सनातन हिन्दु सभ्यता के उत्तमोत्तम दिन की आनंदविश्व सहेलगाह की ओर से ढ़ेर सारी बधाई।
" मैं समय हूँ। मेरा जन्म सृष्टि के निर्माण के साथ हुआ था। मैं पिछले युगों में था, इस युग में हूँ और आनेवाले सभी युगों में भी रहूंगा। अनंतकाल से पृथ्वी पर राज करने की लडाई जारी हैं। लाखों वर्ष पहले संसार में भीमशरत यानि डायनोसोर जैसे अद्भुत जीवों का राज था। पर काल चक्र के साथ वो न चल पाए और उनका अन्त हुआ। फिर धीरे धीरे ईश्वर के पुत्र मानव ने धरती को अपने वश में किया। और शुरु हुई मुकाबले की एक येसी आंधी जिसने कई सभ्यताओं का उदय और अंत देखा। रोम की शान, तो कहीं युनान की विशाल शक्ति, कभी मुगल सल्तनत बुलंदियों तक पहुंची तो कभी ब्रिटीश साम्राज्य ने अपने ही सूरज को अपने सामने डूबते देखा।" ये समय की करवटें हैं। महाभारत के कालचक्र वाले शब्दों की बात याद आई ना ??
समय इन सारी घटनाओं का साक्षी रहा। समय पक्षपात नहीं करता। इन सभी सभ्यताओं- राजवंशों और साम्राज्यों ने जीतना तो सीखा। लेकिन उस जीत को कायम रखने के लिए वो समय के साथ बदले नहीं। जो समय के साथ बदलते नहीं समय उन्हें ही बदल देता हैं। करवट बदलते समय के साथ खुद को बदलने की हिम्मत हमें ही करनी होंगी। इसके लिए हम तैयार हैं तो...?? आज की जीत और कल की कामयाबी हमारी होंगी। परिवर्तन की इस रणनीति के साथ जुडने की शुभकामनाएं।
कई इतिहासिक हकीकतों का दौर इस नववर्ष की घटनाओं के साथ झुडा हैं। सभी के बारें में लिखना संभव हैं लेकिन आर्टिकल की मर्यादा समझकर थोडी विचारबात रखता हूँ। आज युगाब्द की कालगणना का दिन हैं। युधिष्ठिरजी के राज्याभिषेक का भारतवर्ष का सबसे गौरवशाली दिन हैं। युग परिवर्तन के इस दिवस को 5125 बरस हुए। सनातन हिन्दु सभ्यता के उत्तमोत्तम दिन की आनंदविश्व सहेलगाह की ओर से ढ़ेर सारी बधाई।
आपका ThoughtBird Dr.Brijeshkumar Chandrarav
Gandhinagar,Gujarat.
INDIA
09428312234
dr.brij59@gmail.com
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Very nice
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