We are for world and world for us.
Because this thought is same for whole universe.focus on this inner voice...!!
महान ईश्वर की सुंदर दुनिया और इस सुंदरता के हम अहम भाग हैं। संसार की अंगिनत विविधताओं में हम मनुष्य सबसे उपर हैं। जीव सृष्टि की दृश्य अदृश्य अपरंपार कर्मशीलता में हमारी बौद्धिक कर्मकता सबसे उपर हैं। मैं सहजता से ये बात रख रहा हूँ। क्योंकि मुझे आज भी सृष्टि अचंभित कर रही हैं। जब हम बालक थे तब कितनी जिज्ञासा से भरे थे ?? आज जो कुछ ज्ञान हमारे भीतर संवर्धित हुआ। इसका मुख्य कारण ही हमारी अचंभितता के समाधान से हुआ है !!
हम सब एक हैं। ये एकत्व का भाव हमारे भीतर के महान इन्सान को सृष्टि में दमदार तरीके से स्थापित करता हैं। विश्व में हमारे भारतवर्ष की मानवीय चेतना का स्वीकार सहज ही होता रहा है। इसके मूल में भी हमारा एकत्व- समत्व और ब्रह्माण्डीय कल्याणत्व का भाव हैं। जब समष्टि के कल्याण की बात आती हैं तो परमेष्टि सहज ही हमारे छोटे विचार या कर्म को दमदार तरीके से स्थापित करने लग ही जायेगी। ये पारस्परिक समष्टि-परमेष्टि का प्राकृतिक अनुराग हैं। महान ईश्वर का ये अद्भुत सहचर्य ही आनन्द विश्व सहेलगाह के लिए आनंदमार्ग समान हैं।
मनुष्य के रूप में हम खुद एक छोटे से विश्व को धारण किये हैं। हमारे वैयक्तिक कल्याणी भाव को समष्टि के कल्याण के साथ जोड देना हैं। तभी तो हम विश्वानंद अनुभूता के स्वर में झुड पायेंगे..! एकत्व की अद्भुत संगिती का स्वर बन पाएंगे..! इस संसार में बेहतरीन हिस्सेदारी कायम करने हेतु हमें प्रयत्न करना हैं। और उसकी सहलगाह का लुफ्त उठाना हैं।
हमारा सृजन सहेतुक हैं, सबका अस्तित्व महत्त्वपूर्ण हैं, सबकी उम्मीदें सबकी आशाएं एक बने इसके लिए हमारे अपने भितरी विश्व की आवाज को सुनना ही होगा। उस एकत्वी संगीत को महसूस करना हैं। उसी आवाज में जीवन की बहतरीन खनक हैं,थनक भी और मस्ती भी..!! एकबार सुन भी लो यारों...!!
Your ThoughtBird Dr.Brijeshkumar.
Gandhinagar,Gujarat.
INDIA.
Mo.09428312234
dr.brij59@gmail.com
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Thanks 👏 to read blog.I'm very grateful to YOU.