Session of RAIN 🌧 is fully happiness of the nature...!! - Dr.Brieshkumar Chandrarav

Thursday, June 29, 2023

Session of RAIN 🌧 is fully happiness of the nature...!!

 आषाढ की शुरुआत, बारिश की मौसम और भीगने की बातें...! बरसात में बरसाती आशाएं !!

प्रकृति का उत्सव वर्षाऋतु!

आज आषाढ की बात रखने का मन हो गया। वैसे तो ये आषाढ की ही चेष्ठा होगी। क्योंकि आषाढ तो खुलेपन का प्रकट उत्सव हैं। यहाँ बरसना हैं, मन भरके भिगोना भी हैं। सारी सृष्टि का नखशीख स्पर्श करने की प्रकृतिगत हरकत आषाढ की हर्षलीला हैं। आषाढ से सहज प्रकृति में चैतन्य प्रकट होता हैं। आषाढ उल्लास का माहोल ले कर आनेवाला मौसम हैं।

Monsoon

चलें, कुछ बातें आषाढ की करते हैं। आषाढ कैसा हैं ? बादलों से छाया हुआ, हवाओं में पानी की बूँदें भरा,धरती के कण-कण को स्पर्श करता ओर उजाश को थोड़ी थकान महसूस करानेवाला आषाढ! रंगो से भरा आसमान सजाने वाला समग्र सृष्टि का आषाढ। कुदरत की हरेक निशानी में नितांत स्पर्श करें खडा हैं...आषाढ! नदी और पर्वतों के साथ तो आषाढ का निजीपन बहुत ही गहरा हैं। ममत्व कहीं  अत्याधिक भी होता हैं। ये प्रकृति का ही सिद्धांत हैं।

आषाढ बरसने की ऋतु हैं। कारण बीना बस कुदरत की सनातन  मर्जी के लिए अपनी भूमिका निभाई जा रही हैं। प्रकृति का ये शाश्वत मूलतत्व सभी झड-चेतन के लिए हैं। आषाढ उसका श्रेष्ठतम उदाहरण हैं। बस बरसना मेरा काम !! गर्जन भी हैं, वर्षंन भी कभी-कभार डरावनेपन का माहौल भी हैं। मगर सबको पता हैं, ये सब हैं तो कल की आबाद हरियाली हैं। सूखेपन की लडाई के सामने हमारी जीत हैं। आषाढ तो ऊघने-ऊघाने की ऋतु हैं। प्राकृतिक तत्त्वों के मिलन से उपर उठकर आषाढ तो तरबतर अवसर प्रदायका हैं..! एकदूसरे में समाहित होने की ऋतु हैं। ये बीज के नवजीवन की बेला हैं। सही जा रहा हूँ ? मुझे पता नहीं! आषाढ मुझे खींचे जा रहा हैं। आज जो कुछ लिखा जा रहा हैं, आषाढ लिखवा रहा हैं !!

आनंदविश्व सहेलगाह के वैचारिक कदम में आज  जलबिंदुओं से भरी भीगी विचार यात्रा आपके लिए..! मनुष्य के रूप में हम मौसम में जीते हैं, हमें मौसम जीना हैं। तभी तो आषाढ की आगोश में जीने का आनंद महसूस कर पाएग़ें। वसंत मिलन की तडप हैं, आषाढ मिलित्व का उत्सव हैं। ये परस्पर जीने की बात ही सहज और स्वाभाविक हैं। आषाढ मुझे अदृश्य ईश्वर का प्रकट रूप लगता हैं। आषाढ नयापन हैं, तृप्ति हैं। आषाढ मेघधनुषी रंगो का अवतरण हैं। इसतरह जीवन के मूल रंग का ध्यान करना हमें आषाढ ही सिखाता हैं। विश्व में जो प्राकृतिक बदलाव आते हैं वो कुछ न कुछ मानवमन का मार्गदर्शन करने आते हैं, ये सहज मान्यता मेरी वैयक्तिक सोच को आकार देती हैं। मेरी पसंदीदा आषाढ ने मुझसे एक नाॅवल भी लिखवाई हैं। 
उसका नाम "इलेवन डेज मॉनसून" हैं। ईश्वर का आभार प्रकट करते हुए आषाढ की शुभकामनाएँ !!

आपका ThoughtBird
Dr.Brijeshkumar Chandrarav 
  Gandhinagar,Gujarat. 
INDIA.
dr.brij59@gmail.com
09428312234

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The quality of your thinking  determines the quality of your life. आपकी सोच की गुणवत्ता आपके जीवन की  गुणवत्ता निर्धारित करती है। जीवन आखिर...

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