ONE DAY...we will find the right direction.
जिंदगी की डगर पे बस चलते रहना हैं !न रुकना हैं न थमना हैं !
आनंदविश्व सहेलगाह आज अपनी वैचारिक सफर के १०० ब्लोग पूर्ण कर रही हैं। कुछ सोचें बीना एक काम शुरु हो गया। थोड़े शब्द थोड़े विचार से एक गति कायम हुई। दोस्तों की होनहार नजरें उस पर पडने लगी। विचार अच्छा लगा तो दूसरों से बांटा भी गया। इसके जरिए ही लाखों नजरें मेरे ब्लोग पर पडी। जाने-अनजाने सभी का दिल से धन्यवाद !!
वंदनीय अटलबिहारी बाजपेई जी की ये मशहूर कविता आज के दिन पेश करता हूं। सबमें दम हैं.. दम सबमें हैं। इश्वर की दम बांटने की करामात में कभी गलती नहीं होती। शायद हम सोच को अपनी बना बैठे हैं। सोच में सब और सबका कल्याण ही होता हैं। उस दमदार के कदमों की आहट सुनाई पडती हैं...तब जाकर दुनिया उस कदमों का हिसाब रखती हैं।
चलों पढ़ें...दमदार अटलजी को,
बाधाएं आती है, आएं
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ
निज हाथों में हँसते-हँसते..!
आग लगाकर जलना होगा,
कदम मिलाकर चलना होगा।
इतनी दमदार बात सुनकर-पढकर अब मुझे पढनें की आवश्यकता होगी क्या ? मुझे पता है नहीं होगी मगर में अपने कदम चल रहा हूँ...ठीक लगे तो पढें। हजारों सालों से सत्वशीलता कोई एकल निमित्त के जरिए अपना बहाव कायम करती हैं। River finds a way...जैसे नदी अपना रास्ता खूद ही बना लेती हैं। रोक सकें तो रोक लो। जब ईश्वर की मर्ज़ी होगी तब नदी रुकेगी या सूखेगी !! बाकी नदी के बहाव का कभी मजाक नहीं हुआ। उसके बनाएं मैदानों में कई सभ्यताएं पली हैं, बढीं हैं। उनके बहाव से ही धरती भी पली हैं। समग्र जीवसृष्टी का अंदरूनी चालक बल नदी मैया ही हैं। क्योंकि माता चलती रही हैं। रुकना उनका काम नहीं।
"आनंदविश्व सहेलगाह" का ThoughtBird थोड़ी-सी संवेदना बाँटता चला जा रहा हैं। कुछ अच्छाईयों को महसूस करके उसका वैचारिक बंटवारा करता जा रहा हैं। एक बात स्वीकार करता हूं..."मुझे सोचने-लिखने में बड़ा आनंद मिलता हैं !" बस कुछ छोटी-सी उम्मीदें पाल रखी हैं, रुकना नहीं हैं। कुछ करते ही रहना हैं। मान न मिले सम्मान न मिले,न मिले ईनाम अकराम..लेकिन मेरा आनंद बरकरार रहें। इसी उम्मीद में चलते जाना हैं। कोई हाथ पकडकर चलना चाहें..! कोई साथ एक दिशा में चलें ! कोई साथ कोई ऐसी डगर पे ले जाए...जहां पर सबका जहाँ हो। वहां सुकुन की अद्भुत दुनिया हो !
जहां एक बात सबको सही लगे ! कौन-सी बात पता हैं...प्रेम और अनुराग की...समता और स्वीकार की !
चलते रहेंग़े तो एक दिन दिशा भी दमदार होगी।
चलते रहेंग़े तो एक दिन दिशा भी दमदार होगी।
🐣 आपका ThoughtBird 🐣
Dr.Brijeshkumar Chandrarav.
Gandhinagar, Gujarat.
INDIA.
dr.brij59@gmail.com
09428312234
Be prosperous, Be popular, Be Happiest
ReplyDeleteMy dear friend, first I would like to congratulate you on your beginning to achieve milestone of your journey. I have read all your blogs here and always found it thoughtful, insightful and mind refreshing. Hope you will continue your journey and make this blog mostcread ever by the people.
ReplyDeleteThank you very much Harshadbhai. I'm a mediator of Planner. we call him GOD. but I'm realize that I am going good way.
DeleteThanks friends
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