New year...run towards new dreams and new Destination.
नयेपन का माहोल और उत्साह को प्रेरित करता सर्दी का मौसम!"आनंदविश्व सहेलगाह" की पाठक शक्ति को वंदन एवं शुभ कामनाएँ। दो हजार चौबीस के प्रथम ब्लोग से आपके साथ विचारसाक्ष्य से उपस्थित हूं। फिर याद दिलाते हुए की मैं एक छोटा-सा निमित्त कर्म बजा रहा हूं।
परोक्ष उपस्थिति भी संवेदन को बढावा दे सकती हैं। जब आप रवैए से संवेगात्मक हैं। वैसे तो सभी जीव संवेग से झुडे हैं। हम और आप भी..! ईश्वर ने सबको अपना-अपना सांवेगिक मनोजगत दिया हैं। खान-पान-रहन-सहन के साथ सबका अपना एक मनोजगत होता हैं। उनके आनंद क्षेत्र भी अलग-अलग होते हैं। इसलिए हरेक के आनंदमन में अपने-अपने सपनें आकारीत होते हैं। संवेदना की तर्ज पर सब का बसेरा हैं। संसार में सबका गंतव्य स्थान भी अलग हैं। उस स्थान तक पहुंचने की सबकी उडान भी अपनी खुद की होती हैं।
युगों से ब्रह्मांड का अस्तित्व कुछ सिद्धांत पर ही टीका हुआ हैं। ईश्वर की अदृश्य नियंत्रितता के बंधन में सब हैं। सभी जीवों का नया साल हैं। समय का बदलाव सबके लिए होता हैं। तरुवर से लेकर नदी-पर्वत तक और पंछी से लेकर प्राणी। किटकों की अद्भुत दुनिया में भी ऋतु का परिवर्तन दिखाई पड़ेगा। एक नन्हीं चींटी भी सर्दी के मौसम में अपने कल का खुराक संग्रह करने में लग जाती हैं। सर्दी के बाद आने वाली धूप का अंदाज लगाकर कहीं पंछी अपने घोंसले भी बनाते हैं। ये सर्दी की मौसम भी बडी लाजवाब हैं। सर्दी में थकान कम उत्साह ज्यादा महसूस होता हैं। नये बरस के प्रारंभ में हमें अपने जीवन को उत्साह-उमंग से भर देना हैं। इनके बारें में जो ज्ञान मिलेगा सब व्यर्थ हैं। क्योंकी दिशा अपनी पसंद की... रास्ते अपनी पसंद के, कोई साथ हैं तो ठीक...मगर चलना तो अपने खुद के दम पर ही हैं।
ईश्वर के जगत में सभी लोग सपने पालते हैं। उस दिशा में सबके प्रयास भी होते हैं। प्रयास सक्षम और दमदार भी, लेकिन कहीं कुछ छोटी-सी बात डेस्टीनेशन तक पहुंचने की गति को कम करती हैं। एक बात हमेशा याद रखना वार और प्रयास कभी खाली नहीं जाते !! जब आपको लगता हैं थोडा समय ज्यादा बह रहा हैं तो चिंता मत करना..."अनसुलझे कोयडों के सुलझने का कर्म आपसे होगा। प्रकृति का ये भी सिद्धांत हैं, प्रयास कभी विफल नहीं होते और प्रयास जब बढ जाए तो अचंभित आकारित होना तय हैं। इतिहास के पन्नों में से प्रयास की विफलता ढूँढ निकालिए ! आप मुझसे सहमत मत होना। मेरे साथ की सहमती का कोई मूल्य नहीं हैं। हां ये सही है कि...शायद इससे मुझे वैयक्तिक प्रशंसा मिल सकती हैं। मगर मेरी आनंद सहेलगाह कुछ मिनिटों के लिए ही खुशी अनुभूत करेगी। आपकी खुद की सहमती आपसे हो, इस बात में दम हैं। मैं एसा कुछ निमित्त बनना चहता हूं। ये मेरी छोटी-सी दुनिया हैं। है कुछ काम की बात ? नहीं भी तो भी आनंद...!
हरेक पर्ल, हरेक दिन, हरेक महिना, हरेक साल कुछ नई उम्मीदों से हमें भर देते हैं। हम कुछ भूल जाते हैं, कुछ नहीं भूल पाते। कभी-कभार याद याद ही बनी रहती हैं। कभी यादों से कुछ रंगीन सपनें...! कभी कडवाहट के घूंट भी उडान की मशीन में ईंधन का काम करते हैं। जीना इसी का नाम हैं..!
युगों से ब्रह्मांड का अस्तित्व कुछ सिद्धांत पर ही टीका हुआ हैं। ईश्वर की अदृश्य नियंत्रितता के बंधन में सब हैं। सभी जीवों का नया साल हैं। समय का बदलाव सबके लिए होता हैं। तरुवर से लेकर नदी-पर्वत तक और पंछी से लेकर प्राणी। किटकों की अद्भुत दुनिया में भी ऋतु का परिवर्तन दिखाई पड़ेगा। एक नन्हीं चींटी भी सर्दी के मौसम में अपने कल का खुराक संग्रह करने में लग जाती हैं। सर्दी के बाद आने वाली धूप का अंदाज लगाकर कहीं पंछी अपने घोंसले भी बनाते हैं। ये सर्दी की मौसम भी बडी लाजवाब हैं। सर्दी में थकान कम उत्साह ज्यादा महसूस होता हैं। नये बरस के प्रारंभ में हमें अपने जीवन को उत्साह-उमंग से भर देना हैं। इनके बारें में जो ज्ञान मिलेगा सब व्यर्थ हैं। क्योंकी दिशा अपनी पसंद की... रास्ते अपनी पसंद के, कोई साथ हैं तो ठीक...मगर चलना तो अपने खुद के दम पर ही हैं।
ईश्वर के जगत में सभी लोग सपने पालते हैं। उस दिशा में सबके प्रयास भी होते हैं। प्रयास सक्षम और दमदार भी, लेकिन कहीं कुछ छोटी-सी बात डेस्टीनेशन तक पहुंचने की गति को कम करती हैं। एक बात हमेशा याद रखना वार और प्रयास कभी खाली नहीं जाते !! जब आपको लगता हैं थोडा समय ज्यादा बह रहा हैं तो चिंता मत करना..."अनसुलझे कोयडों के सुलझने का कर्म आपसे होगा। प्रकृति का ये भी सिद्धांत हैं, प्रयास कभी विफल नहीं होते और प्रयास जब बढ जाए तो अचंभित आकारित होना तय हैं। इतिहास के पन्नों में से प्रयास की विफलता ढूँढ निकालिए ! आप मुझसे सहमत मत होना। मेरे साथ की सहमती का कोई मूल्य नहीं हैं। हां ये सही है कि...शायद इससे मुझे वैयक्तिक प्रशंसा मिल सकती हैं। मगर मेरी आनंद सहेलगाह कुछ मिनिटों के लिए ही खुशी अनुभूत करेगी। आपकी खुद की सहमती आपसे हो, इस बात में दम हैं। मैं एसा कुछ निमित्त बनना चहता हूं। ये मेरी छोटी-सी दुनिया हैं। है कुछ काम की बात ? नहीं भी तो भी आनंद...!
हरेक पर्ल, हरेक दिन, हरेक महिना, हरेक साल कुछ नई उम्मीदों से हमें भर देते हैं। हम कुछ भूल जाते हैं, कुछ नहीं भूल पाते। कभी-कभार याद याद ही बनी रहती हैं। कभी यादों से कुछ रंगीन सपनें...! कभी कडवाहट के घूंट भी उडान की मशीन में ईंधन का काम करते हैं। जीना इसी का नाम हैं..!
तो चलों, चलें..!
एक नई दिशा की ओर,
चलों शुरु करें...!
नई मंज़िल तक पहुचने की आनंद सहेलगाह !!
एक नई दिशा की ओर,
चलों शुरु करें...!
नई मंज़िल तक पहुचने की आनंद सहेलगाह !!
आपका ThoughtBird.🐣
Dr.Brijeshkumar Chandrarav.
Gandhinagar Gujarat.
INDIA
dr.brij59@gmail.com
09428312234
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Thanks 👏 to read blog.I'm very grateful to YOU.