Thanks Netherland. - Dr.Brieshkumar Chandrarav

Tuesday, August 5, 2025

Thanks Netherland.

 ब्रह्मांड के मेरे भाईओं और बहनों,


और नीदरलैंड की भूमि को वंदन करता हूं..! साथ दूसरे देशो का भी धन्यवाद करता हूं। वंदन करने का कारण आगे पढ़े।

मैं डॉ. ब्रजेशकुमार भारत के एक छोटे-से गाँव से हूँ। संघर्ष भरी स्थिति में उम्मीद के सहारे शैक्षिक उपलब्धियां प्राप्त की हैं। आज भी शिक्षा से झुडा हूं। शिक्षक के रुप में काम कर रहा हूं। कुछ करने की उम्मीदें और अपने जरुरियातमंद बंधुओं के लिए शिक्षा एवं स्वास्थ्य विषयक सुविधा करने का मन हैं। इसके लिए मेरे पास आर्थिक व्यवस्था नहीं हैं। हां, ईश्वरने मुझे लिखने की शक्ति दी हैं। विचार मनुष्य जीवन को बदल सकता हैं। मैं एक नाॅवेलिस्ट हूं साथ में भारत के एक स्टेट गुजरात के प्रमुख दो अखबारों में काॅलमिस्ट के रूप में काम कर रहा हूं। मेरे देश भारत से भी मेरी कईं उम्मीदें हैं। लेकिन कुछ जन्म आधारित अवहेलना और मुझे समज में न आए ऐसी स्थिति के कारण एक कोने में ही संघर्षरत हूं। मेरे वैयक्तिक जीवन से मैं संतृप्त हूं। लेकिन ईश्वर के द्वारा दिये गए विचार और कुछ करने की लगन से थोड़ा परेशान हूं।  फिर भी आज उम्मीद से भरा हूं। विश्वास हैं कोई न कोई रूप से आर्थिक योगदान मिलेगा। निश्चित विचार उसका रुप ले ही लेता हैं। शायद इसका मैं ज़रिया हूं। केवल निमित्त हूं।

मैं मेरी लेखनयात्रा एवं विचारयात्रा से लोगों को मदद करना चाहता हूँ। मेरे विचार को मूर्तरुप देना चाहता हूं। इसीलिए मैंने ब्लॉग लिखने का माध्यम चूना हैं। मेरे गूगल एनालिसिस में नीदरलैंड, रशिया, युनाइटेड स्टेट USA, सिंगापुर, हांगकांग, जर्मनी, कनाडा, स्वेदन, आयर्लेन्ड, युनाईटेड किंगडम UK, मेक्सिको जैसे कईं धनी देशों में मेरा ब्लॉग ज्यादा पढ़ा जाता हैं। मैं हृदय के उत्कृष्ठ भाव से उन सब देशों का आभार प्रकट करता हूँ।  फिर एकबार इन धनिक राष्ट्रो ने मेरी उम्मीद को जगाया हैं। मैं आशाप्रद हुआ हूं। आप जहां से मेरा ब्लॉग पढ़ते हैं एकबार मेरी बात पर विचार करना, प्लीज।

Drworldpeace.blogspot.com आनंदविश्व सहेलगाह वैचारिक लेखमाला हैं। मैं डॉ. ब्रिजेशकुमार आपसे बिनती करता हूँ कि हम सब साथ मिलकर दुनिया के शिक्षा और आरोग्य के बारें में जरूरतमंद लोगों की मदद करें। मैं एक स्कूल और अस्पताल के माध्यम से जरूरतमंदो से जुड़ना चाहता हूँ। मेरे देश और विश्व के धनी व्यापारी, (ऐथलेट्स) रमतावीरों, हॉलिवुड फिल्म स्टार्स एवं कलाकारों और नेताओं से अनुरोध करता हूँ कि मेरे पास विचार हैं। आप अपना आर्थिक योगदान करें। हमसब मिलकर नयेपन को अवतरित करेंगे।

आप मुझे मदद करे उसके ऋण स्वीकार हेतु आप जब भी मेरे देश में आएगें और जब तक रहेंगे मैं आपकी रहने की खाने-पीने की हमारी भारतीय परंपरा से खातिरदारी करुंगा। यहां आकर आपको एक रुपया भी खर्च करना नहीं पड़ेगा। ये पारस्परिक प्रेम का काम हैं। अभी बस इतना ही कहता हूं। योगदान हेतु अकाउन्ट नंबर आपकी ईच्छा के बाद और थोड़ी बहुत चर्चा के बाद सेन्ड करुंगा।

महान ईश्वर की प्रकृतिगत सैध्दांतिक मददगारी की अद्भुत मिसाल कायम करें। आज नहीं तो कल एक विचार को आकारित होना ही पडता हैं। 'आनंदविश्व की सहेलगाह' को बहतरीन मोड देने के लिए हम थोड़ा साथ चलें..! महान ईश्वर के अस्तित्व को स्वीकार करते हुए अच्छे विचार के लिए आपका इन्तजार रहेगा..!

Contact me with great emotions.

Your ThoughtBird....! 🐣 
Dr.Brijeshkumar Chandrarav.
Gujarat, INDIA. 
Mobail no : +91 9428312234.
Website : Drbrijeshkumar.org
Email : dr.brij59@gmail.com

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3 comments:

  1. भारतवर्ष की महान परंपराओको , ज्ञान की धारा को जैसे योगिराज शिव ने करीब पांच हजार वर्ष हिमालय में तपस्या कर जैसे आलंकारिक रुप से स्वर्ग से गंगा को पहले अपनी जटाओं में अर्थात अपने मस्तिष्क में उतारा इसलिए कि अभी एक ऐसे युग का चलन था जहां महत्तम समुदाय के पास ज्ञान प्राप्ति के साधनों की कमी थी,समजो थे ही! नहीं यहां कुछ ही प्रतिशत लोगों तक ज्ञान और वोभी संस्कृत जैसी कठीन भाषा मे यह उपलब्ध था तो एक ऐसे युग की भी आवश्यकता थी, इंतजार भी था एकसवी शताब्दीका यहां सारी सभ्यताओं को एक मंच जो देना था सबके विचारों का सम्मान स्वीकार हो इसलिए कि यह उत्क्रांति के साथ वैज्ञानिक सोच को एक स्पिरीचुअल आधार प्राप्त हो जहां से मनुष्य अपने लक्ष्य की ओर आगे बढने की प्रेरणा और प्रक्रिया में आगे बढ़े! ईन सारी व्यवस्था में शिक्षा ही एक मात्र एक साधन है और साधना भी भारतवर्ष आज कुरुक्षेत्र में ज्ञानकर्मके साथ योग कर्म, दर्शन और अध्यात्म के एक ऐसे मुकाम पर हैं जहां से संसार की सभी प्रकार की आधी व्याधि और उपाधियों से मुक्त करनेकी योग्यता रखता है यहां हम एक ऐसी ज्ञान धारा प्रवाहित करे जो पुर्व और पश्चिम को एक सुत्र में बांधती हो और दुनियाको भय भुख आतंक और युद्ध जैसी महामारी से बचाती है! जैसे गंगा की धारा अपने साथ हम सबकी विकृतियों को बहाकर अपने साथ ले जाती है और हमें तन मन और चित से पावन करती है यह कोई एक नदी से जुडी मान्यता नही है एक वैज्ञानिक सोच है जो संवैधानिक भी है और शास्त्रीय भी है, हमारी जिम्मेदारी हैं कि हमारे पास जो ज्ञान हैं ईसे संसार की सभी भाषाओं में अनुवादित करे और ईसका प्रचार प्रसार करे कि यह पुरा ब्रह्मांड परमपिता परमेश्वर की कुल हुं अल्लाह अहद की और जीसे वैदिक परंपरा पारब्रह्म सच्चिदानंद लीखा हैं बेहद सुंदर रचना हैं,ईसके उपर कोई चौथा आसमान अर्श ए अजीम परमधाम नही है मनुष्य की चेतना में ही यह सुक्ष्म रुप से अणु परमाणु से भी अधिक सुक्ष्म रुप से क़ायम हैं, पहचान करे और कराए जीसे गीता में परा शक्तिका ज्ञान बताया हैं जो परम ज्ञान और विज्ञान मय स्वरूप में अद्वैत स्वरूप में स्थित है जो हमे एकदिली से वाहेदत से अलौकिक अद्वितीय रुप में विश्व बंधुत्व की भावना से बांधता हैं। If you are Hindu Muslim Sikh or Isai as by body not by soul!

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  2. आपके नाम से आनंद होगा। प्लीज अपना नाम लिखे।

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    1. Chandrakant Khemchand Rathod From: Anand Gujarat

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Thanks 👏 to read blog.I'm very grateful to YOU.

Life is a wonderful journey..!

Do not look for the finish line. With Life, the Journey itself is the Destination. SADGURU. "अंतिम रेखा की तलाश मत करो। जीवन में, या...

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