Existence is a wonderful phenomenon.
अस्तित्व एक अद्भुत घटना है।अस्तित्व का दूसरा नाम वजूद भी हैं। सृष्टि वजूद से भरी हैं। अस्तित्व का आनंद ईसी में छिपा हुआ हैं। जीवन कोई सामान्य घटना नहीं हैं। ये अस्तित्व की एक अद्भुत घटना हैं। हम वजूद से इस संसार में पैदा हुए हैं। जन्म नैमित्तिक कर्म हैं। जन्म से हम एक जीवन को पाते हैं। जीवन की गति अविरत और अविश्रांत रुप से चलती रहती हैं। सांस के साथ कुछ उम्मीदें पलती हैं। मन उड़ान के हौसलों से भर जाता हैं। हृदय अच्छे भाव से भर जाता हैं। मस्तिष्क में सम्यक दृष्टि का आविर्भाव पनपता हैं। इससे जीवन का वजूद समझ में आता हैं।
अस्तित्व के आनंद में रहेना भी जीवन की खूबसूरती दर्शाता हैं। ब्रह्मांड में शक्यताएं भरी हैं। संभावनाओं से जगत भरा पड़ा हैं। इनमें से हमारे जीवन के वजूद को ढूंढना हैं। मनुष्य के रुप में वजूद सार्वजनिक भी होता है और वैयक्तिक भी होता हैं। सार्वजनिक वजूद को हम कल्याण सेवा या फिर परोपकार से महसूस कर सकते हैं। वैयक्तिक वजूद हमारी सफलताएं हमारे आनंद के प्रदर्शित करती हैं। मनुष्य के रुप में पहले अपने को समझना हैं। अपनी अच्छाई बुराई के भेद को समझना हैं। जब ये मुकाम ठीक होगा तब समष्टि का वजूद समझमें आता हैं। जब तक वैयक्तिक वजूद से झूडे है तब तक हमारा जीवन एक दायरे में रहेग़ा। लेकिन जब ये दायरे टूटते हैं तब हम विशालता के संपर्क में आते हैं। तब हमारी संकल्पनाएं नयेपन से भर जाती हैं। वैयक्तिक ज्ञान सामूहिक हित के कामों में लगता है तब हमारे अस्तित्व का आनंद प्रकट होता हैं।
यहां एक चीटि का भी अस्तित्व हैं। वो नन्हीं सी चीटि जब अपने वैयक्तिक बल से गुड़ या कुछ मीठा पाती है, ये उसका निजी आनंद हैं। लेकिन वो उसे अपनी बिरादरी के लिए खुला छोड़ देगी तब सहअस्तित्व का उत्सव खडा हो जाएगा। यह एक चीटि के जीवन का सुंदर वजूद कहलाएगा। मनुष्य जीवन के सुंदर अस्तित्व का समष्टि के कल्याण में गुल मिल जाना ही अद्भुत घटना कहलाएगी। जीवन का आनंद इसी प्रक्रिया में छिपा हैं। सचमुच अस्तित्व का आनंद ही जीवन हैं और हमारा बजूद भी...! जिसका वजूद बड़ा उसका जीवन साफल्य के प्रति प्रयाण सहज होगा। सृष्टि के रंगमंच का यही सत्य हैं।
existence को दूसरे शब्द में समझने का प्रयास करे तो
A way of living, especially when it is difficult.
'कठिनाई से गुज़ारा या जीवित रहने की स्थिति' ऐसा भी एक ओर अर्थ निकलकर सामने आता हैं। कठिनाईयों से सहज बाहर निकलना और अपने आपको संभाले रहना एक सुंदर घटना हैं। 'A way of living' इसे हम जीने का खूबसूरत सफर कह सकते हैं। वैयक्तिक और सामूहिक Livingness जीवंतता इसे कहते हैं।
संसार में कईं व्यक्तियों ने इसे मूल रुप से प्रस्थापित किया हैं। कई संस्थाएं इसका अनुसरण करके अपना इतिहास कायम कर रही हैं। उदाहरण के तौर पर भारत का एक संगठन जिसे ' राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' RSS के नाम से हम जानते हैं। डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार उसके स्थापक थे। उस संगठन के इस वर्ष सो साल पूरे हो रहे हैं। दूसरा एक भक्तिमार्गीय एवं आध्यात्मिक संगठन 'स्वाध्याय परिवार' हैं। वो भी शतक पूरा कर रहा हैं। परम पूज्य पांडुरंग शास्त्री इस संगठन के प्रणेता थे। वैयक्तिक रुप में देखे तो महात्मा गांधी, डाॅ.भीमराव बाबासाहब आंबेडकर, सरदार पटेल जैसे कईं चरित्र हमारे सामने आएंगे। इससे भी आगे कई संतपुरुष के नाम भी सामने आते हैं। इन सब के अस्तित्व को शत शत नमन करता हूं।
आपका Thoughtbird 🐣
Dr.Brijeshkumar Chandrarav
Modasa, Aravalli,
Gujarat.
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