People who notice your silence,
Care about you.
जो लोग आपके मौन पर ध्यान देते हैं, वे आपकी परवाह करते हैं।
एक गीत की कुछ पंक्तियां रखता हूं। इसके रचयिता जिम्मी डेविस थे। जेम्स ह्यूस्टन 'जिम्मी' डेविस (1899 - 2000) पवित्र और लोकप्रिय गीतो के गायक थे। डेविस का जन्म उत्तरी लुइसियाना के बीच स्प्रिंग्स के शहर में हुआ था। वो अपने गृह राज्य लुइसियाना, अमेरिका के गवर्नर के रूप में दो बार लगातार चयनित भी हुए थे। डेविस राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय देशी संगीत और 'गॉस्पेल' गायक थे। "गॉस्पेल" का हिंदी में अर्थ "सुसमाचार" या जिसका एक ओर मतलब 'शुभ समाचार' भी होता है। कभी-कभी वो रिकॉर्डिंग करके भी प्रदर्शित करते थे। उनका परिवार इतना गरीब था कि उनके पास नौ साल की उम्र तक सोने के लिए बिस्तर भी नहीं था। फिर भी 'जिम्मी' ने अपने जीवन में उत्साह को बरकरार रखा था।
चलो, ऐसे उत्साही को पढ़े। आप निरुत्साहित हैं, अकेला महसूस कर रहे हैं, तो उम्मीद है कि इस गीत के शब्द आपको याद दिलाएगा कि आप वास्तव में अकेले नहीं हैं। कोई तो आपको देख रहा हैं, सुन रहा हैं। अदृश्य होकर भी कोई आपका ख्याल रख रहा हैं।
जब आपकी निराशाएँ आती हैं,
और आप बहुत उदासी महसूस करते हैं,
कोई है जो आपकी परवाह करता है,
और जब आपको एक दोस्त की ज़रूरत हो तब
एक ऐसा दोस्त जो अंत तक रहे,
कोई तो है जो आपका मित्र है।
कोई परवाह करने वाला, कोई साझा करने वाला,
आपकी सभी परेशानियाँ ऐसी हैं, जैसे कोई और नहीं कर सकता।
वह आसमान से नीचे आएगा, तुम्हारी आँखों से आँसू पोंछेगा,
आप उसके बच्चे हैं और वह आपकी परवाह करता है।
इस गीत को बैरी कॉफ़मैन द्वारा पोस्ट किया गया है। उनका धन्यवाद प्रकट करते हुए आभार।
जीवन सहयोग से, साथ से, परवाह से अच्छी तरह गुजरता हैं। जीवन का ये सबसे अच्छा पड़ाव हैं। पीड़ा और परेशानियाँ से मुक्त करनेवाला सबसे अच्छा औषध परवाह हैं। यहां कौन किसकी परवाह करता हैं ? इसके उत्तर में जो चेहरे सामने आयेंगे वो हमारे जीवन के आधार हैं। इसके कारण ही जीने में कुछ आनंद के पल आते रहते हैं।
आप कैसे हो ?
How are you doing ?
आप ठीक हैं ना ?
ऐेसे कुछ सवालों के जवाब देने से पहेले खुशी छा जाती हैं। और हँसकर हम "मैं ठीक हूँ...अच्छा हूं..!" जैसे उत्तर देते हैं। आज यह पूछनेवाले लोगों में कमी आ रही हैं। हम क्यों किसीको पूछे ? इससे क्या होगा ? जैसी मानसिकता कायम हो रही हैं। या फिर यह पूछने का किसीके पास समय नहीं हैं। उलझने बढ़ी है, जीवन किसी ओर जा रहा हैं। अक्सर हम खुशी ही ढूँढते रहते हैं। मगर इस छोटे-से सवाल में खुशी छिपी है, ये हम भूल गये हैं।
मनुष्य जीवन में शायद अब ये नया स्वभाव उभरकर आया हैं। सहज सवाल से कोई अच्छा महसूस करेगा, इस बात में पडना ठीक नही लग रहा हैं। वो आसमान से आयेगा, आंसु पोंछेगा ऐसी भावना मन में पाले बैठे हैं। लेकिन वो आसमान से आया हुआ इन्सान "मैं नहीं बन सकता क्या !?" इन बातो पर हमारी नज़र पड़नी चाहिए। इसका विचार करना हमें पसंद आयेगा तो ईश्वर भी खुश होंगे। ईश्वर के अदृश्य आशीर्वाद से इस निहाल हो जाएंगे। मेरा ब्लोग 'आनंद विश्व' यही सोच पर निर्भर करता हैं। अच्छी बातों का स्वीकार करते हुए....!
आपका Thoughtbird 🐣
Dr.Brijeshkumar Chandrarav
Modasa, Aravalli.
Gujarat.
INDIA
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