November 2022 - Dr.Brieshkumar Chandrarav

Wednesday, November 30, 2022

ईश्वर की प्रेम दुनिया...!!
November 30, 20220 Comments
ईश्वर की प्रेम दुनिया !!ईश्वर की दुनिया ही अनोखी हैं। प्रेममय ईश्वर सृष्टि में इसे हरदम स्थापित करना चाहते होंगे। युगों से मनुष्य की उडान प्रेम शक्ति से ही बहतरीन रही हैं। नफरत हिंसा और डर से विश्व में असुरक्षा-असुविधा ही फैलती है।ईश्वर को ये कभी पसंद होगा क्या ?? ईश्वर की दी गई शक्ति का योग्य इस्तेमाल न करना भी उनके साथ किया गया द्रोह ही कहलाएगा। सभी मनुष्य को कोई न कोई उडान भरनी हैं, किसी क्षेत्र में सफलता हासिल करनी है। जिसके दिलोदिमाग मेंं ये...
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Sunday, November 27, 2022

ईश्वर हमसे बातें करें...!!
November 27, 20220 Comments
ईश्वर हमसे बातें करे ,,,!!ईश्वर हमें कुछ कहना चाहता है। हर पल.हमारे साथ जीने वाले, हमारे श्वास से हृदय की धडकन को चलाने वाले ईश्वर को हमसे बात करना भी अच्छा लगता होगा। लेकिन हममें वो आवाज सुनने की शायद फूरसत। नहीं है। भौतिक दुनिया में ओर अपनी ही बुद्धिमानी अपने दिल-दिमाग पर कब्जा कर बैठी है...!! पूरे विश्व ओर  ब्रह्माण्ड को बनाने वाला ईश्वर पंचतत्वों से हमसे जुड़ा है।इसके जरिए वो हमसे जुड़ा रहता है... वो भी हमसफर बनके... Friend, Father and philosopher...
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Friday, November 25, 2022

प्रकृति का नियम...!!
November 25, 20220 Comments
प्रकृति का नियम !!कुदरत, ईश्वर,प्रभु जो कुछ भी कहों। प्रकृति का सृजन करनेवाला, या विश्व की नियमितता का नियंता कहो। कोई तो अदृश्य शक्ति है जो इस संसार का नियमन करती हैं। ईसी शक्ति के नियम भी होंगे। शायद कुछ ईसी तरह के.... अनुमान है। कुदरत के सभी अंग सुरक्षितता से पारस्परिक अनुराग से दूसरे को पिडित किए बिना ओर समर्पित सहयोग से जिए। इस चैतन्य धरातल पर आनंद पूर्वक अपना जीवन विकसित करें। सृष्टि में कई येसे भी जीव हैं, जो अपना सामर्थ्य स्थापित नहीं कर...
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Wednesday, November 23, 2022

कुदरत ही कुदरत...!!
November 23, 20220 Comments
कुदरत ही कुदरत  !!कुदरत द्वारा आकारीत चैतन्यता की अनुभूति करना हमारा मानवीय दृष्टिकोण होना चाहिए। ईश्वर ने हमें इस संसार में अनुभूत संचरण का साक्षात्कार करने एवं उनकी योजना में ही मस्त रह कर कर्तव्य पालन करते जीवन जीने भेजा है। उन्होंने अविश्रान्त रुप से आनंद की अनुभूति के साथ अनुस्यूत रहना सिखाया है। विश्व की झड चेतन दुनिया पारस्परिक अनुबंध में ही निर्भर है। इस अवलंबन मे से ही हमारे वैयक्तिक संबंध निर्माण होते हैं। इसमें कोई अनुचितता प्रवेश...
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Sunday, November 20, 2022

विश्व नियंता की कुछ तो योजना होगी....!!
November 20, 20220 Comments
                       विश्व नियंता की कुछ तो योजना होगी !!सृष्टि का नियमन करनेवाली शक्ति को हम विश्व नियंता कहते हैं। सूर्य,चंद्र,तारें,नदी, समुद्र और पर्वत का सृजन करनेवाली ईश्वरीय शक्ति का कोई न कोई मकसद होगा।ये अकस्मात या कोई अनहेतु या अनर्पेक्ष कुछ नहीं होगा। ये संयोग भी नहीं है... ये मानव-पशु-पंखी-किटक ओर झड-चेतन के सहचर्य का प्रकृतिक माहोल हैं। हम सब इस भूमंडलीकरण के उपकरण हैं। मानव...
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Friday, November 18, 2022

ईश्वर सनातन सर्वत्र...!!
November 18, 20220 Comments
ईश्वर सनातन सर्वत्र !!पृथ्वी के निर्माण से ही कोई अक्षय,अविश्रान्त रूप से कार्य कर रहा है। ये न दिखाई देने वाली ओर फिर भी निरंतरीत नियमितता से सृष्टि का बखूबी नियमन करनेवाली शक्ति को हम ईश्वर के नाम से जानते हैं। कोई धर्म सम्पदाय के कारन कोई व्यक्ति विशेष की विचारधारा से कोई आकृति निर्माण हुई। ये भी हमारे ईश्वरका रुप धारण करके श्रद्धा का कारन बन गई हैं। श्रद्धा से ही हमारे हृदय में भावनात्मकता जन्म लेती हैं।ये भाव ही प्रेम का रूप हैं। प्रेम...
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Tuesday, November 15, 2022

प्रकृतिविश्व...!!
November 15, 20220 Comments
प्रकृति विश्व !!प्रकृति यानी ईश्वर। हम सब प्रकृति के ही अंश है। ईश्वर की निर्मिति ही पंचमहाभूत कहलाती हैं। सारे विश्व में इन्ही आधार पर नियंता का नियमन हैं। हजारों साल पहले श्री कृष्ण ने ये बात भगवद गीता के माध्यम से हमें बताई है। प्रेम स्वरूप ईश्वर पारस्परिक अनुबंध-सख्य और नितांत एकमेव पारस्परिक निर्भरता कि बात का ही अनुमोदन करता हैं। आज मानव मात्र को प्राकृतिक सांनिध्य मे जीना मुनासिब होगा। संताप से मुक्ति एवं जीवन के प्राकृतिक आनंद कि अनुभूति...
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Sunday, November 13, 2022

हमारा राष्ट्र
November 13, 20220 Comments
हमारा राष्ट्र । राष्ट्र से बहतर कुछ भी नहीं है। एक व्यक्ति के रूप में हमें जो कुछ करना है देश को ध्यान में रखकर ही करना है। मेरी सुबह देश के लिए ही संभव हुई हैं ये भाव मुझे सामर्थ्यवान बनाने के लिए सक्षम हैं। मैं एक शिक्षक के रूप में अपने छात्रों को देख कुछ येसी राष्ट्र प्रति कर्तृत्व संभावनाएँ महसूस करते हुए आनंदित हूँ। मेरे पास आए हुए मासूमों से मुझे राष्ट्र गौरव की संस्कारिता प्रकट करवाने का उमदा कार्य निर्वाहन करना है। इस से मैं आनंदित...
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Rivers Never Go Reverse... So try to live like a river. Forget your past and FOCUS ON YOUR FUTURE..! A.P.J. Abdul Kalam.  नदियाँ कभी उल्टी ...

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