जे. कृष्णमूर्ति भारत के महान विचारक..!
एक ऐसा जीवन जो 20 वीं सदी के महान तजज्ञ और मर्मज्ञ के रूप में उभरा था। जे.कृष्णमूर्ति की शिक्षा उस समय अधिकांश भाग में फैली थी। कई लोगों के जीवन में इसका गहरा प्रभाव रहा हैं। मानव चेतना को अचंभित करने वाले व्यक्ति के रूप में हम जे.कृष्णामूर्ति को जानते हैं। विश्व में एक नया आयाम जोड़ने वाले 'विश्वशिक्षक' के रूप में जे. कृष्णामूर्ति प्रशंसित हुए और स्थापित भी हुए हैं।
Photo and Information by J. krishnamurti Foundation India and study center.
उन्होंने दुनियाभर के लोगों के जीवन में ज्ञान का प्रकाश डालने का उत्तम काम हैं। बुद्धिजीवियों एवं सामान्य लोगो का विचार करके उन्होंने सभी संगठित धर्मों से परे जीवन के बेहतरीन तरीके की ओर इशारा किया था। और धर्म को नया अर्थ दिया था। उन्होंने समकालीन समाज की समस्याओं का साहसपूर्वक सामना किया था। और वैज्ञानिक सटीकता के साथ मानव मन के कार्य का विश्लेषण किया था। यह घोषणा करते हुए कि उनका एकमात्र सरोकार 'मनुष्य को पूरी तरह से बिना शर्त मुक्त करना' हैं। उन्होंने मनुष्यों को स्वार्थ और दुःख की गहराईयों से मुक्त करने का बहतरीन प्रयास किया था।
जे. कृष्णमूर्ति (11 मई 1895) का जन्म दक्षिण भारत के मदनपल्ले नामक ग्रामीण कस्बे में हुआ था। वो एक धार्मिक और मध्यम वर्गीय परिवार था। बचपन में ही उन्हें 'थियोसोफिकल सोसायटी' के नेता डॉ. एनी बेसेंट और सी. डब्ल्यू. लीडबीटर ने पहचान लिया था। जिन्होंने घोषणा की थी कि वे 'विश्व शिक्षक' हैं। जिनका थियोसोफिस्टों को इंतजार था। मगर जे.कृष्णमूर्ति ने खुद को सभी संगठित धर्मों और विचारधाराओं से अलग कर लिया था। और अपने ही एकांत मिशन पर निकल पड़े थे। उनकी अपनी सोच थी कि "लोगों से गुरु के रूप में नहीं बल्कि एक मित्र के रूप में मिलना और उनसे बात करना चाहिए। और उन्होंने ऐसा ही कार्य शुरु कर दिया।
जे. कृष्णमूर्ति ने अपने जन्म से लेकर 1986 में अपने अंत तक करीबन इक्यानबे वर्ष की आयु तक दुनियाभर में यात्रा की थी। अपने प्रवास के दरमियान भाषण किए। बहुत लेखन कार्य किया। साथ ही उन पुरुषों- महिलाओं के साथ बैठे जो उनकी मदद और सलाह लेना चाहते थे।
जे.कृष्णमूर्ति की शिक्षाएँ पुस्तकीय ज्ञान और विद्वत्ता पर आधारित नहीं थी। बल्कि उससे ऊपर मानवीय परिस्थितियों के बारे में थी। उनकी अंतर्दृष्टि और पवित्रता के बारे में थी। उनके समदर्शी दृष्टिकोण पर आधारित थी। उन्होंने किसी दर्शन की व्याख्या नहीं की बल्कि उन चीजों के बारे में बात की जो हमें दैनिक जीवन में उपयोगी हैं। आधुनिक समाज में रहने की समस्याएं...जिसमें भ्रष्टाचार और हिंसा, मनुष्य की सुरक्षा और खुशी की तलाश, लालच, हिंसा, भय और दुःख के अपने आंतरिक बोझ से खुद को मुक्त करने की सलाह दी। साथ ही मनुष्य की आवश्यकताएं और अपने सामान्य जीवन ऊपर उठने की शाश्वत खोज का मार्गदर्शन किया हैं।
इन मानवीय विद्वता के कारण उन्हें पूर्व और पश्चिम के देशों में सम्मान मिला हैं। इस समय के सबसे महान धार्मिक शिक्षकों में से एक के रूप में कृष्णमूर्ति की पहचान उभर आई हैं। जे. कृष्णमूर्ति स्वयं किसी धर्म एवं संप्रदाय या देश से संबंधित नहीं थे। न ही उन्होंने किसी राजनीतिक या वैचारिक संगठन की सदस्यता ली हैं। ऐसे महान मानवीय तत्वज्ञान के विस्तारक को शत शत नमन करते हुए आनंद प्रकट करता हूं ।
आपका Thoughtbird 🐣
Dr.Brijeshkumar Chandrarav
Modasa, Aravalli
Gujarat
INDIA.
drbrijeshkumar.org
dr.brij59@gmail.com
+91 9428312234
Good describe.
ReplyDeleteकृष्णमूर्ति भारत के महान विचारक थे। उनकी बात ही निराली थी। अभिनंदनीय काम
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