Emotional intelligence is emotional power.
भावनात्मक बुद्धि ही भावनात्मक शक्ति है।
एकबार फिर इमोशन पर बात करने का मन हुआ हैं। वैसे जीवन का अद्भुत रहस्य इन्हीं में छीपा हुआ हैं। भावनाएँ क्या कुछ नहीं करती..!? लेकिन भावना में बहते ही रहना ठीक नहीं हैं। इसलिए भावनात्मकता शक्ति नहीं बन पाती। भावनात्मकता या इमोशन को हम थोड़ा कमजोर समझते हैं। उसकी शक्ति को नज़र अंदाज़ करते हैं।
भावनात्मक बुद्धिमत्ता का मतलब केवल अच्छाई से झुडा नहीं है। बल्कि भावनाओं को अपने दिमाग पर हावी होने से रोकना भी है। एक बार गुस्सा महसूस किया गया, फिर उसे फेंकना होगा। एकबार दु:ख को गले लगाया फिर उसे दफनाया नहीं तो गलत होगा। एकबार सच बोला गया फिर उस सच के साथ चिल्लाकर झुडे रहना होगा। उदाहरणार्थ को पकडे.. इसे हम भावनात्मक शक्ति कहते है। यही जीवन के लिए बहतरीन मार्ग हैं। इससे जीवन को उत्तम गति मिलती हैं। जीवन ठहराव से बचता हैं।
ईश्वर ने हमें जन्म से ही ये सब शक्तियां दे रखी हैं। लेकिन हम अपनी शक्तिओ को नजर-अंदाज करते रहे हैं। जीवन में भीतर का प्रकाश फैले वो जरुरी हैं। भावना जीवन का आधार हैं, बुद्धि जीवन का विकास हैं। भावना और बुद्धि एकरूप हो जाए तो शक्ति बन जाएंगी। इस सत्य को समझना पड़ेगा। मनुष्य जीवन की एक स्थिति बचपन को भाव और बुद्धि के मेल से समझने का प्रयास करते हैं।
एक बच्चे की परवरिश में इन दोनों स्थितिओं का बड़ा महत्व है, इसे विस्तारित रूप से देखते हैं। हमारा बच्चा हमें बहुत ही पसंद होता हैं। स्वाभाविक तौर पर सबकी ये स्थिति होती हैं। उसका बचपन तो हमारे लिए सुवर्ण समय से कम नहीं होगा। उसे मैं मस्ती भरा आनंद कहूंगा। बच्चे की हरेक जिद्द हमें प्यारी लगती हैं। क्योंकी हमारी समग्र भावनाएँ उससे झुड गई हैं। आमतौर पर ये सही भी हैं। सबके साथ और सभी परिवारों में ये होता हैं। अब दूसरी स्थिति का विचार करते हैं। भावनात्मकता के साथ बुद्धि को जोड़कर विचार करते हैं तो कुछ सवाल खड़े होते हैं...!
हमारा बच्चा केवल भावना से खुश रह पाएगा क्या ?
उनके आनेवाले जीवन के लिए ये ठीक है क्या ?
उनके भविष्य के लिए केवल भावना ही पर्याप्त हैं क्या ?
उनके जीवन में बौद्धिकता के महत्व का विचार कौन करेगा ?
एक अच्छे माता-पिता के रुप में बच्चों के साथ उनके भविष्य को संवारने की स्थिति को नजर समक्ष रखना हैं। बच्चे को प्यार करना हैं, अनहद प्यार से सभी बर्ताव करना हैं। लेकिन उस प्यार से उनमें उत्साह और उम्मीद पैदा होनी चाहिए। वो परतंत्र बने वो कतई ठीक नहीं हैं। हमारे बच्चे की बुद्धिभाव से परवरिश करनी होगी। हो सकता है, कभी-कभार हमें अच्छा न लगे फिर भी बच्चों के भविष्य के लिए बुद्धि प्रेरित कार्य करना ही होगा। वच्चों को दिया गया ये सच्चा प्यार हैं।
अब हमारे वैयक्तिक जीवन के बारें में, हमारे विकास के पथ पर भाव और बुद्धि का कैसे मोल करना हैं !? वो समझमें आ जाएगा। हमें बहते रहना है लेकिन कहीं फँसना नहीं हैं। जहां बुद्धि को लगाना है वहां लगानी पड़ेगी। समय थोड़ा कठीन हैं, लोग भावनाओं की कद्र कम मज़ाक ज़्यादा बनाते हैं। इसलिए हर कोई को ये सिखाना पडेगा। लोग भावनाशीलता में स्वार्थ देखकर अपमानित भी करते हैं। कईं ऐसे वर्तन हैं जो आज विश्वसनीयता से परे हो गए हैं। कोई अच्छा वार्ताव करता हैं तो उसके वर्तन पर शंका करने वालों की संख्या बढ़ जाएगी। ऐसा भला होता हैं क्या ? कहकर अच्छी भावना को ठुकराई जाती हैं। भावनात्मकता को जीवन की शक्ति बनाना हैं, बुद्धि के बल पर उसे जीवन का दमदार कदम बनाना हैं।
आपका Thoughtbird 🐣
Dr.Brijeshkumar Chandrarav
Modasa, Aravalli
Gujarat. INDIA
drbrijeshkumar.org
Dr.brij59@gmail.com
+ 91 9428312234
बेहतरीन ब्लॉग के साथ
ReplyDeleteकुछ लिखना चाहता हूं
✍️✍️✍️
भावनात्मक बुद्धि हमारी भावनाओं को समझने की नियंत्रित करने और प्रभावी ढंग से व्यक्त करने की क्षमता रखती है
यह हमें अपने और दूसरों के भावनात्मक अनुभवों को समझने और उजागर करने में मदद करती है
भावनात्मक शक्ति हमारी भावनात्मक चुनौतियों का सामना करने और उन्हें प्रबंधित करने की क्षमता है रखती हैं यह हमें तनाव चिंताऔर अन्य भावनात्मक चुनौतियों से दूर रखती हैं भावनात्मक बुद्धि हमारी भावनाओं को समझने और नियंत्रित करने की मदद करती है हमारी भावनात्मक चुनौतियों का सामना करने और उन्हें प्रबंधित करने की क्षमता रखती हैं
भावनात्मक बुद्धि और भावनात्मक शक्ति दोनों हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और हमें अपने और दूसरों के भावनात्मक अनुभवों को समझने और प्रबंधित करने में मदद करती हैं।
जे जे एस एल
Thanks JJSL my friend.
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