The hero of human being Heart.
🩶Truth 💙 Nonviolence 💜 LOVE.
The hero of human being Heart.
🩶Truth 💙 Nonviolence 💜 LOVE.
The power of Life...Growing and Glowing with PANCHTATVA.
पंचमहाभूत- पंचतत्व से हम संवृत-संतृप्त हैं।The man is Thinker...who is never without think ? !
विचार के बग़ैर कोई कैसे जी सकता हैं ?Who is KRISHNA.
Extreme struggle and Responsible action.Only Trying is in our Hands.
प्रयास ही हमारे हाथ में हैं।Happiness with KITES.
उमंग और उत्साह से भरा त्योहार.. उत्तरायन..!!१२मी जनवरी १८६३ मकरसक्रान्ती एक अनोखे महामानव का अवतरण उत्सव..!!
आनंद प्राप्त करने का आसान तरीक़ा कुछ न कुछ देने की हरकत में हैं।
आनंद सहज हैं, हमें सहज बनना होगा।
Let's we start to walk this way.
Time is not for us, we are all for Time.
समय की रफ्तार न कोई पकड सका न समज सका हैं...!
युगों से चली आ रही काल गणना..! कई करवटें..!
पृथ्वी के जन्म से या उससे भी पहले क्या था ?? कौन ये करतबों को आकार दे रहा हैं। कल्पनातीत घटनाएं इस ब्रह्मांड में होती रही हैं। पारस्परिक अनुबंध और मानव उत्क्रांतिक घटनाओं से ज्ञान संवर्धित होता रहा। आज हस्तांतरित एवं कंठोपकंठ ज्ञान संपदा विश्व की कई संस्कृतियाँ संजोए खड़ी हैं। हम समय की गणना करते चले लेकिन समय को अबतक पकड नहीं पाए। उसे महसूस कर पाए पर समज नहीं पाए। सही है न !?
आज विश्व वैज्ञानिक तकनीकों से समृद्ध हैं। भूतकाल के कइ भेद समझने में संशोधक सफल रहें हैं। मनुष्य ने इतिहास को बौद्धिक रूप से जानकर सामाजिक परंपराओं की समज प्राप्त की हैं। भौगोलिक घटनाओं सें जल-स्थल की ज्ञान संपदा प्राप्त की हैं। अंतरिक्ष विज्ञान व कास्मिक एनर्जी का अकल्पनीय भेद भी दृश्यमान हुआ है। लेकिन समय की आनेवाली एक क्षण को आज भी हम समझ नहीं पाए। मनुष्य के रूप में इसे विफलता समझे की कुछ और ?? नहीं ये विफलता नहीं..!!युगों से चली आ रही नियंत्रित शक्ति की सहलगाह हैं। हम इसे ईश्वर की सनातन अदृश्य यात्रा कहें या कुछ और ? मूलतःसब ईश्वरीय हैं। उसके ऐश्वर्य को आनंदित होकर अपने-आप महसूस करना है। विश्व को इस आनंदित बात का संदेश देकर मानुषीय कर्तव्य का पालन करना हैं।
आज विश्व की ज्ञान-विज्ञान की वैचारिक गहराई काफ़ी महत्वपूर्ण स्थान पर हैं। ईश्वर भी अपनी अदृश्य-अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य की खोज पर निकलें मनीषीओं की सहलगाह से खुश होंगे। ज्ञान संवर्धन के लिए बुद्धि तत्त्व भी हमें उसी शक्तिमान ईश्वर ने दिया हैं। विश्व को बुद्धिमानी के साथ संवेदनशील भी बनना होगा तभी तो हम ईश्वर की आनंद संपदा का अलौकिक स्पर्श महसूस कर पाएगें। समय अपनी अदृश्य कलाबाजी करता रहेगा। हमें समय की एक एक क्षण को जीने का अपना ही अंदाज ढूँढ निकालना होगा।
आनंदविश्व की सहलगाह एक विचार मात्र हैं। हम सब को स्वीकार है ऐसा गणमान्य विचार हैं...विश्व में आनंदप्रियता की स्वीकृति सहज हैं। ईश्वर की रंगत अमाप-असीम हैं। समय की करवटें बदलती रहेगी...! अनादिकाल से प्रतिबद्ध ईश्वर का रहस्यमय साम्राज्य स्थापित है और रहेगा। आनंदविश्व की सहेलगाह में हमें ह्रदय को प्रेममय परिभाषा से भर देना है बस...!! आपके साथ ऐसी सहलगाह के लिए मैं डॉ.ब्रजेशकुमार भी तैयार हूँ।
09428312234, Gujarat, India.
भारत के एक इतिहास पुरुष..! सामाजिक अवहेलन से उपर उठकर अपने अस्तित्व को कायम करनेवाले, स्वतंत्रता के पश्चात उभरे राजनैतिक चरित्र के बारें में...