THE PANCHTATVA. - Dr.Brieshkumar Chandrarav

Friday, January 27, 2023

THE PANCHTATVA.

 The power of Life...Growing and Glowing with PANCHTATVA.

पंचमहाभूत- पंचतत्व से हम संवृत-संतृप्त हैं। 

The power of Life

महान ईश्वर ने पंचतत्वों का विश्व आकारित किया हैं। इन तत्वों की मौजूदगी जीव-जगत की निर्मिति का कारण बनती हैं। मनुष्य जीवन इसी पारंपरिक व पारस्परिक ईश्वरीय संभावनाओं से घटित हुआ हैं। ईश्वर की श्रेष्ठतम कलाकृति  होने का हम गौरव करते हैं। बुद्धि और भाषिक वैशिष्ट्य प्राप्त करके हम सभी जीवों से बेहतर सबसे उपर हो गए।
सारी सृष्टि का नियमन हमारे हाथ में नहीं है। फिर भी हम ही सब चला रहे हैं ऐसे गुरूर के साथ सारी सृष्टि का संचालन करने प्रतिबद्ध भी हो रहे हैं। सबसे बेहतर बनने  व्यक्ति-समूह-धर्म या राष्ट्र की होड लगी हैं। ऐसी कुछ बात है ना ? बेहतर वो हैं जो सबका भला सोचे और करे।

ईश्वर के पंचमहाभूतो में आकाश मूलभूत तत्व हैं। वह मूलभूत तत्व, जिसके ऊपर बाकी के चार तत्व अपना खेल खेलते हैं। सद्गुरु का ये विचार हमें काफी कुछ गहराईयों में ले जाता हैं। परम- सर्वोच्च- अनंत आकाश से अपनी सीमाओं से परे जाने की क्षमताएं प्राप्त करे। आकाश असीमताओं से समृद्ध है। आकाश  हरदम हमारा बोध करने मौजूद हैं। विशालतम संभावनाए कैसे संभावित हो इसका अहर्निश ज्ञान-बोध करने आकाश हमें संवितरित है...अनंत को धारण किए !!

पंचतत्व से बना हमारा शरीर भी इस पंचतत्वों की असीमित शक्तियों से अवश्य संबल बन सकता हैं। लेकिन पंचतत्वों का पारस्परिक मेल हमें सिखना होगा। पारस्परिक अवलंबन और एक दूसरें का साक्ष नियमन सहजता से अनुभूत करना होगा। ये संयोग नहीं है,दिव्यता का संबंध है। ये तत्वों के बीच पंचमप्रेम, पंचमानुराग ओर पंचमसख्य भी ईश्वरीय ब्रह्माण्ड का अविस्मरणीय सृजन हैं।

आनंदविश्व सहेलगाह का मार्ग प्रशस्त करने हेतु संबलता प्राप्त करने पंचमहाभूतो के आधिन अपना जीवन विकसित करना होगा। ईश्वर इन्ही को आधार बनाकर हमें शक्ति प्रदान करते होंगे क्या ?! शायद ?!
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छोटे-से विचार के साथ मेरी ये प्रस्तुती भी शायद आपको पसंद आए। हमें शामिल होना है अपने भीतर !! अपनी ही जिवंतता के साथ। यही संदेश पंचतत्व का हैं और जीवंतता का फैलाव भी..!!  खुशीओं का सैलाब भी !! आपका ThoughtBird Dr.Brijeshkumar
Gandhinagar Gujarat, INDIA
09428312234.

3 comments:

Thanks 👏 to read blog.I'm very grateful to YOU.

Strength of words.

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