Quality of life..! - Dr.Brieshkumar Chandrarav

Wednesday, October 30, 2024

Quality of life..!

The quality of your thinking determines the quality of your life.

आपकी सोच की गुणवत्ता आपके जीवन की 

गुणवत्ता निर्धारित करती है।


जीवन आखिर जीवनन ही कहलाता हैं। सुबह-शाम, रात-दिन का घूमते रहना..सालों का गुजरना भी जीवन का ही भाग हैं। जन्म से लेकर मृत्यु तक की ये परंपरा चलती ही रहती हैं। ये जीवन का उम्र बढ़ते रहने का पडाव हैं। इसमें बस जीवन अवस्थाएं प्राप्त करता हैं। सबकी गति इसमें संमिलित हैं। सबको ये जीवन प्राप्य हैं।

Quality of life

आज मैं कुछ अप्राप्य की बात छेडता हूं। जो अप्राप्त है, उसे प्राप्त करना हैं। ये जीवन की गुणवता को दर्शाता हैं। इससे हम एक जीवन को दूसरें जीवन से अलग बता सकते हैं। ईसे हम कुछ शक्तियों से भरा या कुछ विशिष्ट कार्यो के निमित्त रुप जीवन कहते हैं। ये क्वॉलिटी वाला जीवन हैं। विचार की बहुरंगीता या शुद्धता से ही ऐसा जीवन संभावित हैं। विचार की संपूर्ण असर जीवन के व्यवहार पर पडती हैं। विचारों की कलुषितता पूरे जीवन को प्रभावित करती हैं। ये जीवन को एक विचित्र और अनचाहे मोड़ पर ले जाएगी।

जीवन संकल्पों से भरा होना चाहिए। कुछ उपलब्धि को पाने की कोशिश में बहते रहना चाहिए। प्राप्ति के प्रयास भी वैयक्तिक होने चाहिए। ईश्वर ने सबको जीवन दिया हैं। जीवन शक्यताओं से भरा हैं, संभावनाओं से भरा हैं। पहेली शर्त हमें इस विचार में श्रद्धेय बनना हैं। अभी दो शब्द मुझे सुनने में आये हैं, फिक्स्ड माइंसेट एण्ड ग्रोथ माइंडसेट। अच्छी बातों के लिए हमें फिक्स्ड बनना ही पड़ेगा। तब हमारी बुद्धिशक्ति या विचारशक्ति का ग्रोथ होगा। सामान्य सोच के पीछे चलना या उसको अपने दिमाग में फिक्स्ड कर लेना वैयक्तिक रूप से घातक हैं।

महर्षिदयानंदकृत यजुर्वेद भाष्य के कुछ श्लोक यहाँ रखता हूँ। सरलता से समझाया गया हैं। जीवन के गुणात्मक पहलू को विकसित करने हेतु विचार और कर्म के प्रति जागरुक होना आवश्यक हैं। एक सामान्य विचार को जब शास्त्र का प्रमाण मिलता हैं, तब वो शुद्धता के नजदीक पहुंच जाता हैं। विचार को प्रस्तुत करने का मेरा प्रयास तो छोटा-सा निमित्त हैं। फिर भी व्यक्ति की लघुता को भी गुरुता की श्रेष्ठतम ऊँचाई विचार ही देता हैं। देखिए, यजुर्वेद के प्रमाण को ;

"तन्तुना रायः पोषेण ॥" (यजुर्वेद १५-७)
भावार्थः-मनुष्यों को चाहिये कि विस्तारयुक्त पुरुषार्थ से ऐश्वर्य को प्राप्त हो के सब प्राणियों का हित सिद्ध करें।

"त्रिवृद् असि त्रिवृते ॥" (यजुर्वेद १५-९)
भावार्थः-पृथिवी आदि पदार्थों के गुण, कर्म और स्वभावों के जाने बिना कोई भी विद्वान् नहीं हो सकता। इसलिये कार्य कारण दोनों को यथावत् जान के अन्य मनुष्यों के लिये उपदेश करना चाहिये।

आश्चर्य हैं ! विचार भी पुरुषार्थ हैं..कितनी बडी बात है ! जब हमारी बुद्धि में सत्य की प्रतिष्ठा हो जायेगी, सत्य स्पष्टरुप से स्थापित हो जायेगा या जो विचार हमारी समज में बैठ जायेगा, तब किसी अस्पष्ट व्यक्ति या समूह का बंधन छूट जायेगा।

मैं किसी को छोड देने के विचार का पक्षधर नहीं हूं। लेकिन विचारों की स्पष्टता के कारण ये सहज हो जाता हैं। दृष्टि में गज़ब की स्वीकार्यता विकसित होती हैं। शायद ये, स्वीकार्य गति व्यक्ति को गुणात्मकता की ओर ले जाए !? जिसे हम प्रसिद्धि कहते हैं, उस मुकाम पर ले जाए !?

ये लिखने के निमित्त से मुझे पता चल गया है कि विचार का कितना सौंदर्य हैं !? चले..! सोच या विचार से गुणात्मकता की ओर...!
नये साल की यही शुभेच्छा के साथ..!

आपका ThoughtBird 🐣
Dr.Brijeshkumar Chandrarav.
Gandhinagar, Gujarat.
INDIA.
dr.brij59@gmail.
+91 9428312234.

No comments:

Thanks 👏 to read blog.I'm very grateful to YOU.

Quality of life..!

The quality of your thinking  determines the quality of your life. आपकी सोच की गुणवत्ता आपके जीवन की  गुणवत्ता निर्धारित करती है। जीवन आखिर...

@Mox Infotech


Copyright © | Dr.Brieshkumar Chandrarav
Disclaimer | Privacy Policy | Terms and conditions | About us | Contact us