मानवीय जीवन का संबंध विचार से जुड़ा हैं।
विचार हमें उच्चतम स्थिति देते हैं।
An intellectual is a person who engages in critical thinking, research, and reflection about the nature of reality, especially the nature of society and proposed solutions for its normative problems. Definition by Wikipedia.
एक बुद्धिजीवी वह व्यक्ति होता है जो वास्तविकता की प्रकृति, विशेष रूप से समाज की प्रकृति और उसकी मानक समस्याओं के लिए प्रस्तावित समाधानों के बारे में आलोचनात्मक चिंतन,अनुसंधान और चिंतन में संलग्न होता है।
Philosophy is the study of general and fundamental problems concerning matters such as existence knowledge, values, reason, mind, and language. It is distinguished from other ways of addressing fundamental questions (such as mysticism, myth) by being critical and generally systematic and by its reliance on rational argument. It involves logical analysis of language and clarification of the meaning of words and concepts.
Definition by Wikipedia.
दर्शनशास्त्र अस्तित्व, ज्ञान, मूल्य, तर्क, मन और भाषा जैसे विषयों से संबंधित सामान्य और मौलिक समस्याओं का अध्ययन है। यह मौलिक प्रश्नों (जैसे रहस्यवाद, मिथक) को संबोधित करने के अन्य तरीकों से आलोचनात्मक और सामान्यतः व्यवस्थित होने और तर्कसंगत तर्क पर अपनी निर्भरता के कारण अलग है। इसमें भाषा का तार्किक विश्लेषण और शब्दों एवं अवधारणाओं के अर्थ का स्पष्टीकरण शामिल है।
दोंनो शब्दों की व्याख्या कुछ विचार को जन्म देती हैं। पहेली नज़र में कुछ भेद नजर नहीं आता हैं। मगर एक दो बार पढ़ने पर काफ़ी कुछ समझ में आता हैं। "फिलसूफी मूल्य आधारित होती हैं और मौलिक रहस्य को प्रकट करती हैं।" इन दो वाक्यों ने मुझे इस पर सोचने के लिए मजबूर किया हैं। अपनी सामान्य बुद्धि से मुझे ऐसा लगता है बौद्धिकता और फिलसूफी दोनों अलग हैं। बोधिकता एक मापदंड भी हैं। किसी विषय पर अपनी क्षमता प्रदर्शित करती हैं। शायद उसे योग्यता के प्रमाणपत्र में भी बाँधा जा सकता हैं। उसका मापन भी हो सकता हैं। उसे बढ़ाया जा सकता हैं। यह मनुष्य की सोच का एक स्तर भी हैं।
उसके सामने फिलसूफी अनुभव जगत को प्रदर्शित करती हैं, मौलिक चिंतनशीलता को दर्शाती हैं। इसे वैयक्तिक व्यवहार से गहरा नाता हैं। मनुष्य जीवन के आधार पर इसकी स्वीकार्यता काफ़ी बढ़ जाती हैं। इसे हम 'आत्मज्ञान' से जोड़कर भी समझ सकते हैं। फिलासफी प्राप्ति या सफलता से दूर आनंद को महसूस कराने वाली एक प्रक्रिया हैं। इसको निजी आनंद की अवस्था में से प्राप्त हुए विचार भी कहे तो गलत नहीं हैं। इससे जो तर्क मिलते हैं वो सर्वमान्य या प्रकृतिवाद से झुडे भी होते हैं। साम्यता, सत्यता, स्वीकार्यता और सत्त्वशीलता से जुड़ी अवधारण को हम दर्शनशास्त्र कहे तो गलत नहीं होगा।
उदाहरण के तौर पर एक व्यक्ति के नाम का जिक्र करता हूं। उनका नाम हैं प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन। 1998 में भारतीय अमेरिकी 'अमर्त्य सेन' को आर्थिक विज्ञान में विश्व का सर्वोच्च 'नोबेल पुरस्कार' मिला था उनके 'डेवलपमेंट एज फ्रीडम' 'विकास के रुप में स्वतंत्रता' इस ग्रंथ के आधारित उन्हें 'कल्याणकारी अर्थशास्त्र' में उनके योगदान के लिए यह पुरस्कार दिया गया था। उन्होंने अर्थशास्त्र में नैतिक आयामों को फिर से स्थापित किया था। उन्होंने सामाजिक विकल्प सिद्धांत, आर्थिक और सामाजिक न्याय, अकाल के आर्थिक सिद्धांत, निर्णय सिद्धांत, विकास अर्थशास्त्र एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य और सभी देशों की भलाई के उपायों में भी प्रमुख विद्वतापूर्ण योगदान दिया है। इनके जिक्र में केवल अर्थशास्त्र नहीं हैं। उसके साथ कल्याणार्थ या परमार्थ जुड़ा हैं। मतलब एक विषय की योग्यता से बढ़कर मानवजीवन के लिए उपकारक हैं, उसे इस हम 'फिलोसोफी' के रूप में समझ सकते हैं। भारतीय 'दर्शनशास्त्र' विश्व के लिए उपकारक हैं। मनुष्य मात्र के उत्कर्ष के लिए और इससे भी आगे जीवजगत के कल्याण के लिए हमारे ईश्वरीय अंश समान दर्शनशास्त्रीओं ने 'जीवन मूल्यज्ञान' एवं 'आनंदमय' विचार विमर्श दिये हैं।
आज नये साल की शुरुआत हो रही हैं। ईश्वर हम सबको कुछ ऐेसे कल्याणकार्य में जोड़कर हमारे जीवन को एक नई दिशा दे..! ऐसी भावना को प्रकट करते हुए प्रार्थना में लीन...!
आपका Thoughtbird 🐣
Dr.Brijeshkumar Chandrarav
Modasa, Aravalli.
Gujarat,
INDIA
drbrijeshkumar.org
dr.brij59@gmail.com
+91 9428312234

this blog gave me breif insights about your thinking and knowledge you possess which world needs to know..Thank you for sharing
ReplyDeleteThanks 👏
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